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Written by जनसत्ता; रूस के समर्थक यूरोपीय देश भी अब युद्ध न थमने के आसार देख कर रूस के प्रति नाराजगी प्रकट कर रहे हैं। संपादकीय 'भारत का रुख' में भी जारी युद्ध पर चिंता व्यक्त कर मांग की गई है। युद्ध विराम में ही सबका हित है। यूक्रेन और रूस दोनों ही कदम पीछे नहीं लेना चाहते और परमाणु बम की धमकी देना बदनीयत ही दर्शाता है। हमारी विदेश नीति स्पष्ट है, क्योंकि हम किसी के पिछलग्गू नहीं बन सकते। बेहतर हो कि फिलहाल जनसंहार रोका जाए। येनकेन प्रकारेण युद्ध विराम करवाने पर विश्व को भारत से काफी अपेक्षाएं भी हैं।
देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस की दहलीज से वापस लौट आए हैं। वे अपनी शर्तों पर कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे। पर कांग्रेस आलाकमान अपने कार्यकलापों में बदलाव लाने को तैयार नहीं थीं। कांग्रेस पार्टी का कार्यकलाप किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चल रहा है, जिसमें किसी अन्य सोच के लिए कोई जगह नहीं है। पिछले तेईस वर्षों से पार्टी अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी का कब्जा है। पार्टी के कई युवा और जनाधार वाले नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन गांधी परिवार के ऊपर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।
एक ओर प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे, लेकिन दूसरी ओर उनकी कंपनी तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए काम करना चाहती है। अगर प्रशांत किशोर को अपनी रणनीति पर इतना ही भरोसा है, तो उन्हें अपना एक अलग राजनीतिक दल बना लेना चाहिए। वातानुकूलित कमरों में बैठ कर धरातल की राजनीति नहीं की जा सकती है।
हर वर्ष गर्मियों में देश के कुछ जंगलों में भयंकर आग लगने की खबरें मिलती हैं। आग किसी भी कारण से जंगलों में लगती है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ लोग गर्मियों में बेकार की घास-फूस को जलाने के लिए जंगलों या खेतों में आग लगा देते हैं, जिससे भीषण आग की घटना हो जाती है। लोगों को चाहिए कि अगर वे खेतों से फालतू की घास-फूस को जलाना चाहते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि यह आग खेतों के साथ लगते जंगलों में न फैले। इससे एक तो वन संपदा नष्ट होती है दूसरी कई जंगली जीव-जंतु या फिर पक्षी जल कर नष्ट हो जाते हैं।
दुनिया के किसी भी देश के किसी भी जंगल में आग लगती है तो उसका नुकसान दुनिया के लगभग हर देश को भुगतने पड़ते हैं, क्योंकि ऐसा होने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता है। हमें पहले अपने देश के जंगलों में लगने वाली आग पर काबू करने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि हमारे देश की वन संपदा बची रहे और देश में बढ़ती प्रदूषण की समस्या का समय रहते हल निकालने की कोशिश की जाए।
अगर दुनिया ने वनों को बचाने के प्रयास अभी से तेज नहीं किए गए, तो वह दिन दूर नहीं, जब स्वर्ग जैसी धरती नरक बन जाएगी, साथ ही प्राणी जगत के अस्तित्व को खतरे में डाल देगी। जंगलों में आग लगाने वालों के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए। हरी-भरी वादियों को किसी भी हाल में नष्ट नहीं करना है, बल्कि इन्हें संभाल कर रखना है, क्योंकि यही वन संपदा हमारे हिमालय को प्रकृति की तरफ से मिला अमूल्य उपहार है।