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पंकज कुमार बिहार के गौरवशाली इतिहास में गुरुवार का दिन बिहार विधानसभा भवन का शताब्दी समारोह (Bihar Vidhan Sabha Centenary Celebrations) उस सफरनामे का गवाह बना जहां एक नियत समय में राज्य को सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक स्थितियों को लोकतांत्रिक सांचे में ढालने का काम किया गया. लोकतंत्र की जननी के रूप में इसकी पहचान की चर्चा राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ वर्तमान और पूर्व प्रतिनिधियों के सामने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच हुई. ज़ाहिर है बिहार विधानसभा का शताब्दी समारोह राष्ट्रपति और वर्तमान और निवर्तमान प्रतिनिधियों की मौजूदगी की वजह से ऐतिहासिक बन गया. गुलामी की जंजीर ही नहीं, तमाम सामाजिक बेड़ियों वाली स्थितियों के स्वतंत्र बोध के उदयकाल की पूरी कहानी बिहार विधानसभा भवन की दिवारों पर इंगित है. लोकतंत्र के इस मंदिर में नए युग की पटकथा सामाजिक न्याय सहित समाज सुधार के कई कदमों की आहट जीवन के सर्वांगीण विकास की कहानी सालों से लिखा जा रहा है.