सम्पादकीय

अखंड भारत की परिकल्पना मात्र दिवास्वप्न

Rani Sahu
29 April 2022 7:01 PM GMT
अखंड भारत की परिकल्पना मात्र दिवास्वप्न
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आरएसएस और कुछ हिंदू संगठनों द्वारा आज भी अखंड भारत के सपने दिखा कर देश की जनता को क्या संदेश देना चाहते होंगे

आरएसएस और कुछ हिंदू संगठनों द्वारा आज भी अखंड भारत के सपने दिखा कर देश की जनता को क्या संदेश देना चाहते होंगे, यह तो वही बेहतर जानते होंगे, लेकिन अखंड भारत की परिकल्पना केवल कल्पना मात्र है और ऐसा संभव होना मुमकिन नहीं होगा। अखंड भारत प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, भूटान आदि देश आते हैं। देश अवश्य पूछना चाहेगा कि अखंड भारत या अखंड हिंदुस्तान के निर्माण का आह्वान किए जाने का क्या औचित्य हो सकता है, जबकि आज के दौर में और आने वाले समय में ऐसा होना संभव नहीं होगा। क्या अखंड भारत का सपना दिखाने वाले बता सकते हैं कि यह कैसे संभव हो सकता है? मेरा मानना है कि देश को अखंड भारत का सपना दिखाने से कुछ लाभ नहीं होगा।

-रूप सिंह नेगी, सोलन




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