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सी-वोल्फ क्लास की ‘यूएसएस कनेक्टिकट’ (USS Connecticut) नाम की अमेरिका की परमाणु चालित पनडुब्बी दो अक्टूबर की दोपहर दक्षिणी चीन सागर के गहरी पानी में किसी ‘अज्ञात चीज़’ से टकराने से उसमें सवार 15 अमेरिकी नौसैनिक घायल हो गए हैं
ज्योतिर्मय रॉय सी-वोल्फ क्लास की 'यूएसएस कनेक्टिकट' (USS Connecticut) नाम की अमेरिका की परमाणु चालित पनडुब्बी दो अक्टूबर की दोपहर दक्षिणी चीन सागर के गहरी पानी में किसी 'अज्ञात चीज़' से टकराने से उसमें सवार 15 अमेरिकी नौसैनिक घायल हो गए हैं. इस क्षेत्र में 'यूएसएस कनेक्टिकट' एक गुप्त मिशन में थी. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह पनडुब्बी शनिवार को अज्ञात चीज़ से टकराई.
यह रहस्यमयी हादसा ऐसी जगह पर हुआ है जहां चीन पिछले कुछ महीनों से ताइवान और अन्य पड़ोसी देशों को आंख दिखा रहा है. इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को लगाम देने के लिए अमेरिकी नौसेना अपने एयरक्राफ्ट कैरियर और परमाणु पनडुब्बियों से इस इलाके में लगातार गश्त लगा रही है.
हादसे की शिकार सी-वोल्फ क्लास की ये परमाणु पनडुब्बी करीब 353 फुट लंबी, 7,568 टन वजनी थी. इस पनडुब्बी को वर्ष 1988 में कमीशन किया गया था. इसमें गश्त के दौरान 15 अधिकारी समेत चालक दल के 116 सदस्य सवार रहते हैं. इस परमाणु पनडुब्बी में 40 टॉरपीडो या मिसाइल ले जाने की क्षमता होती है. समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने में माहिर'यूएसएस कनेक्टिकट' पर 100 से ज्यादा नेवल माइन रखा जा सकता है.
सी-वोल्फ क्लास की ये परमाणु पनडुब्बी कैसे और किससे टकराई है, इस बात का अभी तक पता नहीं चल पाया है. अमेरिकी नौसेना के प्रवक्ता ने बताया है कि हादसे के बाद अब पनडुब्बी अमेरिका के गुआम तट की तरफ़ बढ़ रही है. हालांकि हादसे में 'यूएसएस कनेक्टिकट' के परमाणु ऊर्जा प्लांट और अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों को कोई नुक़सान नहीं पहुंचा है. 'यूएसएस कनेक्टिकट' ठीक प्रकार से काम कर रहा है. अमेरिकी नौसेना के अधिकारी ने बताया कि टकराने से पनडुब्बी को कितना नुक़सान पहुंचा है, इसकी पूर्ण समीक्षा निर्धारित बंदरगाह पर पहुंचने के बाद ही किया जाएगा. पनडुब्बी सुरक्षित रूप से अमेरिकी नौसेना के 7वीं फ्लीट के एक बंदरगाह पर मरम्मत के लिए पहुंच गई है.
क्या यह साधारण दुर्घटना मात्र है?
आधुनिक तकनीक से लैस इस परमाणु पनडुब्बी और उसमें सवार प्रशिक्षित कर्मचारियों के रहते हुए इस प्रकार की घटना चिंता का विषय है. क्या यह केवल एक दुर्घटना मात्र है? क्या यह मानवीय गलती है? इतनी आधुनिक तकनीक से बनी परमाणु पनडुब्बी का टकराना अपने आप में अमेरिका द्वारा तैयार युद्ध संसाधनों की विश्वसनीयता पर प्रश्न है. क्या इस रहस्यमय हादसे के पीछे चीन का हाथ है? इस हादसे का समय और स्थान दोनों ही संदेहपूर्ण हैं.
इस हादसे के कुछ ही हफ़्ते पहले अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने एक ऐतिहासिक समझौता 'ऑकस पैक्ट' किया था, जिसके अंतर्गत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बनाने की तकनीक साझा करेगा, जिसका मक़सद चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाना है.
चीन के ताइवान के हवाई अतिक्रमण से क्षेत्र में तनाव
वर्तमान में चीन और ताइवान के रिश्ते काफ़ी तनावपूर्ण चल रहे हैं. गौरतलब है कि, चीन के लड़ाकू विमान लगातार ताइवान के हवाई क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे हैं. अक्टूबर महीने के पहले चार दिनों में चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानि पीएलए के 150 के क़रीब लड़ाकू विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र का अतिक्रमण किया. इस घटना ने इस क्षेत्र में तनाव पैदा कर दिया है. क्योंकि चीन लगातार ताइवान के एयर डिफेंस जोन में घुसपैठ कर रहा है. अमेरिका ने ताइवान का साथ देने का भरोसा जताया है.
चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, लेकिन आसपास के देश (मलेशिया, ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, वियतनाम) और अमेरिका इससे असहमत हैं. लगभग पूरे समुद्र पर चीन दशकों से अपना दावा कर रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में चीन के तीखे तेवरों की वजह से इस क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका ने इनमें से कुछ देशों का समर्थन किया है.
ताइवान के रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन के साथ तनाव 40 वर्षों में अपने सबसे खराब स्तर पर है. चीन 2025 तक ताइवान पर आक्रमण कर सकता है. ताइवान खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मानता है, जबकि चीन इसे एक विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है जिसे आवश्यकता पड़ने पर वह बल द्वारा पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है.
पिछले साल, अमेरिका ने ताइवान को लगभग 1.8 बिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है, जिसके कारण चीन के साथ ताइवान का तनाव बढ़ गया है. पेंटागन ने कहा कि इस सौदे में रॉकेट लॉन्चर, सेंसर और आर्टिलरी सहित तीन हथियार प्रणालियां शामिल हैं. इस सौदे में 135 सटीक-निर्देशित क्रूज मिसाइलें, साथ ही मोबाइल लाइट रॉकेट लॉन्चर और एयर टोही पॉड्स शामिल हैं जिसे कभी भी फाइटर जेट्स से जोड़ा जा सकता है.
चीन और अमेरिका में तकरार बढ़ने की संभावना
जो बाइडेन सरकार द्वारा अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के माध्यम से जिस प्रकार चीन अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, इससे विश्व में अमरिका की सुपरपावर छवि धूमिल हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की अर्थव्यवस्था और घरेलू राजनीति को लेकर कम्युनिस्ट सरकार परेशान है. अमेरिका और चीन की सरकार लोगों का ध्यान बंटाने के लिए ताइवान को लेकर आपस में भिड़ सकते हैं.
इसी वर्ष के अंत में शी और बाइडेन की बैठक हो सकती है
बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जिएची के साथ स्विट्जरलैंड में बैठक हुई है. बातचीत करीब छह घंटे तक चली. दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहयोग और असहमति पर चर्चा हुई. बैठक में ताइवान का मुद्दा भी उठा. हालांकि, चर्चा का मुख्य विषय दोनों देशों के बीच राजनयिक संपर्क बढ़ाना और अनावश्यक गलतफहमी को कम करना था. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों देशों द्वारा उठाए गए सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है, दोनों राष्ट्राध्यक्षों शी जिनपिंग और जो बाइडेन के बीच बैठक की योजना को अंतिम रूप देना. वे दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को भी खत्म करना चाहते हैं. दोनों राष्ट्राध्यक्षों की बैठक 2021 कि अंत तक होने की संभावना है.
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