सम्पादकीय

रहस्यों की चादर में लिपटा ब्रह्मांड और कहानी डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की..!

Gulabi Jagat
20 May 2022 2:01 PM GMT
रहस्यों की चादर में लिपटा ब्रह्मांड और कहानी डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की..!
x
जहां हमारे रोवर्स करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रहों और उनके उपग्रहों की सतह पर भ्रमण कर रहे हैं
संकल्प सिंह।
आज हमारी सभ्यता उस मुकाम पर पहुंच चुकी है, जहां हमारे रोवर्स करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रहों और उनके उपग्रहों की सतह पर भ्रमण कर रहे हैं। हमारे टेलीस्कोप अरबों प्रकाश वर्ष से सफर करके आ रही लाइट को डिटेक्ट कर पा रहे हैं। यही नहीं हमने तकनीक और गणित की आंखों से लंबे समय से रहस्य बने ब्लैक होल को भी देखने में समर्थता हासिल कर ली है।
इस अनंत असीमित ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाने की खोजबीन में हमें एक ऐसे रहस्य के बारे में पता चला, जिसने विज्ञान जगत को सख्ते में डाल दिया। हब्बल टेलीस्कोप की आंखें रोज की तरह ही ब्रह्मांड के ओर छोर पर नजरें गड़ाए हुई थीं।
इस दौरान उसने कुछ ऐसा पाया, जो आगे आने वाले समय में हमारी ब्रह्मांड को लेकर पुरानी समझ को तोड़ने वाला था। ये रहस्य था डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का। हब्बल टेलीस्कोप से जो डाटा मिला, उसमें पता चला कि हमारे ब्रह्मांड का 95 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं दोनों रहस्यमयी पदार्थों से मिलकर बना है।
हमारा ब्रह्मांड जिस स्थिरता और व्यवस्थित ढंग से काम कर रहा है। उसके पीछे की वजह डार्क मैटर है
हमारा ब्रह्मांड जिस स्थिरता और व्यवस्थित ढंग से काम कर रहा है। उसके पीछे की वजह डार्क मैटर है - फोटो : Istock
ऐसे में हब्बल से आए इस डाटा का बारीकी से अध्ययन किया गया। अध्ययन में पता चला कि आज हमारा ब्रह्मांड जिस स्थिरता और व्यवस्थित ढंग से काम कर रहा है। उसके पीछे की वजह डार्क मैटर है। वहीं जिस तेजी से हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है और उसके भीतर की आकाशगंगाएं एक दूसरे से दूर जा रही हैं, उसके पीछे की वजह डार्क एनर्जी है।
गजब का संयोग है सालों पहले एडविन हब्बल ने ही दुनिया को यूनिवर्स के थ्योरी ऑफ एक्सपेंशन के बारे में बताया था। वहीं सालों बाद उन्हीं के नाम के एक टेलीस्कोप ने उस रहस्य से पर्दा उठाने का काम किया, जिस पदार्थ के चलते इस ब्रह्मांड की फैलने की गति में लगातार वृद्धि हो रही है।
हालांकि, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी आज भी कौतूहल का विषय बने हुए हैं। इनके बारे में हमारे पास अब तक कोई विकसित समझ नहीं है। ये दोनों ही पदार्थ प्रकाश का परावर्तन नहीं करते। इसके अलावा इनका द्रव्यमान भी काफी कम है।
इनका द्रव्यमान इतना ज्यादा कम है कि हम भविष्य में विकसित होने वाली हाईटेक से हाईटेक दूरबीन से भी इनके बारे में पता नहीं लगा सकते हैं। हालांकि, इनका असर ब्रह्मांड में है और उस असर से हमें इनके होने के बारे में पता चलता है।
ब्रह्मांड हमारे भीतर छुपा है। हम उसी से बने हैं। ये अनंत अंतरिक्ष खुद को हमारे जरिए ही जान रहा है। हम ब्रह्मांड को जानने का एक जरिया हैं।
ब्रह्मांड हमारे भीतर छुपा है। हम उसी से बने हैं। ये अनंत अंतरिक्ष खुद को हमारे जरिए ही जान रहा है। हम ब्रह्मांड को जानने का एक जरिया हैं। - फोटो : Istock
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की खोज होने से पहले ही अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कह दिया था कि 'ब्रह्मांड पूरी तरह खाली नहीं है। इसमें कई तरह के चौकाने वाले गुण हैं'।
हमारे इस ब्रह्मांड के ताने बाने को बुनने में डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की एक बहुत बड़ी भूमिका है। आज भले ही हम इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। वहीं दूसरी तरफ भविष्य ऐसी कई संभवनाओं को लेकर खड़ा है, जिसके बल पर कहा जा सकता है कि आगे आने वाले वक्तों में इन दोनों रहस्यमयी पदार्थों के विषय में काफी कुछ जाना जा सकेगा।
हमारी सभ्यता और तकनीक का जिस गति से निरंतर विकास हो रहा है। उसके आधार पर यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि हमारी उत्सुकता की आंखें एक दिन डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के रहस्य से भी पर्दा उठा देंगी।
शायद तब कई और अनभिज्ञ अनजाने रहस्य हमारी आंखों के सामने आएंगे, क्योंकि ब्रह्मांड और उसके भीतर के छुपे रहस्य असीमित हैं। वहीं इंसान के भीतर की प्रबल अकांक्षा भी उसी को जानने की है। महान खगोलवैज्ञानिक कार्ल सेगन ने कहा था - "ब्रह्मांड हमारे भीतर छुपा है। हम उसी से बने हैं। ये अनंत अंतरिक्ष खुद को हमारे जरिए ही जान रहा है। हम ब्रह्मांड को जानने का एक जरिया हैं।"
भविष्य में अंतरिक्ष की कई गुत्थियां सुलझाई जाएंगी और कई नए रहस्य जन्म लेंगे। इन दोनों के बीच जो एक चीज निरंतर रहेगी वो है उत्सुकता, जो हमेशा कुछ नए और अनजाने पहलुओं को जानने के सफर पर चलती रहेगी।
हालांकि, इसके लिए हमें विज्ञान विषयक बनना पड़ेगा। आज हमारी सभ्यता युद्धोन्माद में घायल है। अपने निजी हितों के लिए एक देश दूसरे देश पर आक्रमण कर रहे हैं। इन सब के बीच मानवता क्षतिग्रस्त हो रही है। हमें अपनी सामूहिक चेतना के स्तर को ऊपर उठाने की जरूरत है। हमें विज्ञान विषयक बनने की जरूरत है। इसी में हमारा और हमारे भविष्य का कल्याण है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story