सम्पादकीय

मानव विकास की अनूठी खोज : निएंडरथल के डीएनए से उजागर होते रहस्य और मानव विकास की कहानी के अंश

Neha Dani
6 Oct 2022 11:24 AM GMT
मानव विकास की अनूठी खोज : निएंडरथल के डीएनए से उजागर होते रहस्य और मानव विकास की कहानी के अंश
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उभयनिष्ठ स्रोतों का भान होगा तो समाजों में एकात्मकता के भाव जागेंगे।

अपने अस्तित्व के मोल को गहराई से समझना और अपने विकास की जड़ों तक पहुंचना मानव का एक कौतूहल भरा विषय रहा है। इसकी जिज्ञासा सदैव हमारे अंदर अपनी पैठ बनाकर रही है। प्रागैतिहासिक काल में जाए बिना हम अपने अस्तित्व और अपने संपूर्ण विकास की गहरी जानकारी उपलब्ध नहीं कर सकते। इस बार हम लाखों वर्ष लंबे इतिहास की खुदाई करके अपने अस्तित्व के विकास की जड़ों तक पहुंचने में सफल हो गए हैं।

इसी सफलता के लिए स्वीडिश वैज्ञानिक स्वान्ते पाबो ने मानव विकास शोध के लिए इस वर्ष का चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीता है। जर्मनी के लीपजिग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी (एमपीआई-ईवीऐ) में अनुवांशिकीविद 67 वर्षीय स्वान्ते पाबो ने निएंडरथल डीएनए के रहस्यों को उजागर किया, जिससे हमें यह समझने में सहायता मिली कि मनुष्य को क्या अद्वितीय बनाता है।
निएंडरथल डीएनए का ज्ञान हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिसमें गंभीर कोविड-19 जैसे रोगों के प्रति हमारी प्रतिरोध क्षमताओं का क्षीण पड़ जाना भी सम्मिलित है। इस शोध के साथ ही प्रारंभ हो गया है पैलियोजेनॉमिक्स का भयंकर प्रतिस्पर्धी क्षेत्र। कई निएंडरथल और डेनिसोवन्स के जीनोम उपलब्ध होने के साथ, अब विशिष्ट मानव जीन की पहचान करना संभव है।
पाबो के नेतृत्व में विकसित तकनीकों ने शोधकर्ताओं को आधुनिक मनुष्यों और अन्य होमिनिन-डेनिसोवन्स के साथ-साथ निएंडरथल के जीनोम की तुलना करने का आधार दिया। लीपजिग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, 'जैसे आप अतीत के बारे में पता लगाने के लिए पुरातात्विक खुदाई करते हैं, वैसे ही हम मानव जीनोम में खुदाई करते हैं।'
यह स्पष्ट नहीं है कि निएंडरथल के अस्तित्व की लड़ी आधुनिक मनुष्यों की लड़ी से कब अलग हुई। अनेक अध्ययनों ने 3,15,000 से लेकर 8,00,000 साल पहले के विभिन्न अंतरालों के अनुमान लगाए हैं। निएंडरथल के अपने पूर्वज एच. हीडलबर्गेंसिस से विचलन की तिथि भी स्पष्ट नहीं है। सबसे पुरानी संभावित निएंडरथल हड्डियां 4,30,000 साल पहले की हैं, लेकिन वर्गीकरण अनिश्चित बना हुआ है।
निएंडरथल कई जीवाश्मों से जाना जाता है, विशेष रूप से 1,30,000 साल पहले के बाद से निएंडरथल वर्तमान जर्मनी में निएंडर घाटी में 1856 में पाया गया था। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, यूरोपीय शोधकर्ताओं ने निएंडरथल को आदिम, मूर्ख और क्रूर के रूप में चित्रित किया। यद्यपि वैज्ञानिक समुदाय में तब से उनके बारे में ज्ञान और धारणा स्पष्ट रूप से बदल गई है। लोकप्रिय संस्कृति में अविकसित गुफाओं की छवि प्रचलित है।
क्या केवल डीएनए की समझ से हम प्रजातियों के बीच संबंधों को पूरी तरह से समझने में सक्षम हैं? जीवन की संहिता को समझना है, तो उसे डीएनए के अध्ययन से समझा जा सकता है। परंतु चुनौती यह थी कि निएंडरथल और आधुनिक मानव प्रजाति लगभग 3,15,000 से 8,00,000 वर्ष पूर्व एक प्रजाति के रूप में अलग हो गए थे। इतने युगों के अंतराल में दोनों प्रजातियों के संबंधों (अथवा, अंतर्संबंधों) को कैसे उजागर किया जा सकता है।
लेकिन पाबो और उनकी टीम ने अपनी तकनीकों से इस चुनौती पर पार पा लिया। पाबो को डीएनए का विश्लेषण करने के तरीके विकसित करने थे, जो प्रकृति में अनेक तत्वों के संपर्क के हजारों वर्षों से क्षतिग्रस्त हो गए थे, और सूक्ष्म जीवों और आधुनिक मनुष्यों के अनुक्रमों से दूषित हो गए थे। उन्होंने और उनके सहयोगियों ने फिर इन तकनीकों को निएंडरथल जीनोम के अनुक्रम में काम करने के लिए रखा।
इस आनुवंशिक विश्लेषण से यह पता चला कि निएंडरथल और होमो सेपियंस ने इंटरब्रीडिंग की, और यूरोपीय या आधुनिक मनुष्यों के जीनोम का एक से चार प्रतिशत एशियाई मूल का निएंडरथल में पता लगाया जा सकता है। 2008 में दक्षिणी साइबेरियाई गुफा में पाई गई 40,000 साल पुरानी उंगली की हड्डी की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए पाबो की तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया था।
हड्डी से पृथक डीएनए ने संकेत दिया कि यह न तो निएंडरथल और न ही होमो सेपियंस से था, बल्कि एक व्यक्ति से आया था। होमिनिन्स का एक नया समूह, जिस गुफा में हड्डी मिली थी, उसके नाम पर इस समूह का नाम डेनिसोवन्स रखा गया। एशिया में रहने वाले प्राचीन मानव भी इस समूह के साथ जुड़े हुए थे, और डेनिसोवन डीएनए आज जीवित अरबों लोगों के जीनोम में पाया जा सकता है।
नोबेल समिति के अध्यक्ष अन्ना वेडेल ने कहा, 'पाबो और उनकी टीम ने भी आश्चर्यजनक रूप से पाया कि निएंडरथल से होमो सेपियंस तक जीन प्रवाह हुआ था, यह दर्शाता है कि सह-अस्तित्व की अवधि के दौरान उनके साथ बच्चे थे।' होमिनिन प्रजातियों के बीच जीन का यह स्थानांतरण इस बात को प्रभावित करता है कि आधुनिक मनुष्यों की प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोना वायरस जैसे संक्रमणों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है।
अफ्रीका के बाहर के लोगों में एक से दो प्रतिशत निएंडरथल जीन होते हैं। निएंडरथल कभी अफ्रीका में नहीं थे, इसलिए उप-सहारा अफ्रीका में लोगों के लिए कोई प्रत्यक्ष योगदान ज्ञात नहीं है। निएंडरथल जीनोम अनुक्रम पर पाबो के साथ काम कर चुके हार्वर्ड में जनसंख्या आनुवंशिकीविद डेविड रीच का कहना है, 'पाबो की नोबेल जीत इस क्षेत्र के परिपक्व होने की एक असाधारण मान्यता मान्यता है और उन्होंने इस चमत्कार को पूरा करने के लिए मानव अवशेषों से प्राचीन डीएनए प्राप्त कर जो कुछ भी करने की आवश्यकता थी वह किया है।'
वर्ष 2022 के नोबेल पुरस्कार का केंद्रीय विषय आधुनिक मानव को पुनर्परिभाषित करने का एक सुप्रयास है। हमारी अर्वाचीन दुनिया में डीएनए ही यथार्थपूर्ण सामाजिक संबंधों का सेतु हो सकता है। हमारे अंदर हमारे उद्गम के उभयनिष्ठ स्रोतों का भान होगा तो समाजों में एकात्मकता के भाव जागेंगे।

सोर्स: अमर उजाला

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