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- यूक्रेन संकट यही आभास...

संजय गुप्त। अमेरिका और उसके नेतृत्व वाले संगठन नाटो में शामिल देशों की रूस के साथ बातचीत विफल होने के बाद यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले की आशंका बढ़ गई थी। अंतत: रूस यूक्रेन पर हमला करके ही माना। इस हमले के जवाब में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। ये देश सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी लाए। रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर उसे विफल कर दिया और भारत, संयुक्त अरब अमीरात एवं चीन ने खुद को मतदान से अलग रखा। भारत मतदान से अनुपस्थित अवश्य रहा, लेकिन उसने यह स्पष्ट किया कि वह यूक्रेन के घटनाक्रम से व्यथित है। भारत ने कूटनीति का रास्ता त्यागने पर अफसोस जाहिर करते हुए यह भी कहा कि हिंसा और शत्रुता तुरंत खत्म करने के सभी प्रयास करने चाहिए। एक तरह से भारत ने रूस को यह संदेश दिया कि वह उसकी कार्रवाई से खुश नहीं। भारत के रुख से अमेरिका और उसके सहयोगी देश असहमत हो सकते हैं, लेकिन वे इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि भारत के सामने चीन की चुनौती है।