सम्पादकीय

इगा श्वियान्तेक और फ्रेंच ओपन का बदसूरत सवाल!

Rani Sahu
9 Jun 2022 12:39 PM GMT
इगा श्वियान्तेक और फ्रेंच ओपन का बदसूरत सवाल!
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चुटकुलों की किताब से लेकर आम महफिलों तक, सदियों से चला आ रहा एक घिसा-पिटा जोक आज भी ठहाकों में मैरीनेट करके परोसा जाता है

स्वाति शैवाल

सोर्स- अमर उजाला


चुटकुलों की किताब से लेकर आम महफिलों तक, सदियों से चला आ रहा एक घिसा-पिटा जोक आज भी ठहाकों में मैरीनेट करके परोसा जाता है। इस पूरे जोक का बाकी मुलम्मा जो भी हो, सार यह होता है की स्त्रियां मेकअप में इतना समय लगाती हैं कि उतनी देर में पुरुष चार बार जन्म ले सकता है। ये इस चुटकुले की अतिशयोक्ति है। ऐसे कई चुटकुले हैं जो आज के सभ्य समाज में सुनाए जाते हैं।

इनमें पार्लर से आई पत्नी के बदले रूप को लेकर डरने वाले पतियों, पत्नी के मेकअप पर खर्च होने वाली मेहनत की कमाई, लड़कियों के मेकअप वाले चेहरे के बारिश में धूल जाने पर उनकी बदसूरती के उभर आने वाले कई मजाक शामिल हैं। जो कसर रह गई थी उसे इंस्टा रील्स और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने पूरा कर दिया। यहां ये चुटकुले बकायदा वीडियो बनाकर डाले जाते हैं। और इनपर महिलाएं भी ठठाकर हंसती हैं और अपने सभी ग्रुप्स पर इन्हें फॉरवर्ड करने में तनिक देर नहीं लगातीं।
फ्रेंच ओपन कासफलतापूर्वक समापन
बहरहाल, मामला ताजातरीन है, बिल्कुल दम लगी बिरयानी की सुगंध जैसा। दुनिया की प्रतिष्ठित, ख्यात और चर्चित खेल प्रतियोगिताओं में से एक, लॉन टेनिस के फ्रेंच ओपन का हाल ही में सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस खेल आयोजन की महिला वर्ग की विजेता रहीं महज 21 साल की पोलिश युवती इगा श्वियान्तेक 21-22 की उम्र यानी यौवन से लबरेज व्यक्तित्व।
ये वह उम्र है जब गालों पर प्राकृतिक सुर्खी का रंग इतना गहरा होता है कि किसी आर्टिफिशियल रंग की जरूरत ही नही होती। उसपर इगा श्वियान्तेक ने तो अपनी मेहनत और लगन से जिस अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि की चमक हासिल की, उनके चेहरे और आंखों के उस नूर पर ही कोई दिल हार जाए। उस चमक के आगे हर दमक बेकार। लेकिन साहब, जब तक लड़की को लड़की होने का एहसास न दिलाया जाए, तब तक उसका होना निरर्थक है!
पत्रकार ने पूछा सवाल
सो एक पत्रकार ने इगा से प्रश्न पूछा कि आप मेकअप लगाती हैं या नहीं? जाहिर था कि खिलाड़ी अचानक पूछे गए इस इर्रिलेवेंट प्रश्न को कुछ समय तक समझ ही नही पाई। क्योंकि उन्हें तो लगा था यहां लोग उनके प्रैक्टिस के समय, उनके स्पेशल शॉट्स, उनकी फिटनेस, कोच, जैसे सवाल करेंगे।
प्रश्न दो हिस्सों में था और पहले तकनीकी हिस्से के बाद दूसरे हिस्से में थी उत्सुकता ये जानने की कि तेजी से कलाई घुमाकर सर्व करने वाली ये लड़की क्या मेकअप भी करती है? रिपोर्टर ने इस प्रश्न में यह भी जोड़ा कि चूंकि पूर्व में कई खिलाड़ी कोर्ट में आने से पहले घन्टों आईने के सामने बिताते रहे हैं और आप तो उस लिहाज से बड़ी नैचुरल ब्यूटी लगती हैं। तो क्या आप मेकअप नही करतीं?
मिला ये जवाब
इगा ने फिर भी बहुत मैच्योरिटी से इसका जवाब देते हुए कहा- न जी, मैं तो मेकअप नही करती। मुझे लगता है मुझे इसकी जरूरत भी नहीं। मुझे नहीं लगता कि इससे (मेकअप से) कुछ फर्क पड़ता है। वैसे भी खेल के बीच में जब मैं टॉवल का उपयोग करूँगी तो मेकअप तो उतर ही जायेगा न!
हालांकि, उक् पत्रकार के इस अटपटे सवाल को लेकर कई लोगों ने उनपर बैन लगाने जैसी बात भी की और कई लोग उनके विरुद्ध भी बोले लेकिन इस एक सवाल ने मेकअप की उस परत को उधेड़ दिया है जो दुनियाभर के समाजों पर सदियों से चढ़ी हुई है।
सजना संवरना किसी भी व्यक्ति (मैं सिर्फ महिला नहीं कहूंगी) की निजी पसंद- नापसंद हो सकती है। लेकिन सजी-धजी, नाजुक सी सुंदर कपड़े में लिपटी महिला हर समाज की वर्चुअल आकांशा होती है। उसके हाथों में फिर भले ही क्रिकेट बैट हो या टेनिस का रैकेट या कि बंदूक, सजकर, प्रेजेंटेबल बनकर रहना उसके लिए एक्स्ट्रा ड्यूटी की तरह होता है। इसके बिना तो वह महिला ही क्या।
आश्चर्य की बात यह है कि महिलाओं के जिस मेकअप और साज श्रृंगार पर अपनी मेहनत की कमाई खर्च होने का, पुरुषों को रिझाने का उलाहना पुरुष देते हैं, वही पुरुष यह भी चाहते हैं कि उनकी प्रेयसी, पत्नी, हमेशा मेकअप से ढंकी रहे। इस मेकअप की हर सीमा भी तय है। उदाहरण के लिए यही लाली और टीका कोई उम्रदराज महिला लगा ले तो वह बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम की श्रेणी में आ सकती है। खैर, इसपर चर्चा फिर कभी।
बहरहाल, यूं उस सवाल को बहुत सामान्य भी माना जा सकता था। ठीक जैसे कई सेलिब्रिटीज से पूछा जाता है- आपके बैग में कौन से कॉस्मेटिक्स जरूर रहते हैं। लेकिन असल में टाइमिंग के लिहाज से वह जगह और वह बंदी दोनों ही गलत हो गए।
आज से हजारों साल पहले रोमन साम्राज्य में गालों पर लाली लगाने जैसे उपाय भले घर की औरतों के लिए नही माने जाते थे। लेकिन हां, सौंदर्य प्रसाधनों को हमेशा से ही पुरुषों को लुभाने और उन्हें अपना बनाये रखने का साधन जरूर माना जाता रहा है। ये उस युग मे भी था और आज भी है।
माने ये कि अगर सुंदर न रहीं तो पति घर के बाहर किसी सुंदरी को ढूंढ लेगा और तुम्हारी जिंदगी के साथ साथ तुम्हारा औरत होना भी व्यर्थ हो जाएगा। इसलिए सजो और मेकअप करो। तो औरतें मेकअप की परतों में बढ़ते उम्र के निशानों से लेकर पति द्वारा दी गई मार के निशान भी छुपाने लगीं। अब तो यह उपाय सीमारहित हैं। शरीर के अंगों की कांट छांट करवाने के साथ ही त्वचा को कसने के तमाम गैरकानूनी पैंतरे भी धड़ल्ले से आजमाए जाते हैं। और जो इसके बावजूद पति का मन कहीं और लग गया तो... इस तो की ग्यारंटी नहीं है भाई।
दादी कहती थी
दादी अक्सर बताया करती थीं कि उनके घर में उस दौर में कुवांरी लड़कियों के लिए पावडर, सुगंधित तेल, काजल जैसे साधन बिगड़ैल लड़कियों के संकेत हुआ करते थे। उनका उपयोग तो दूर घरों में उनका आना भी वर्जित था। हां शादी के बाद औरतें (मतलब 12 साल की बच्ची) चाहे तो रोज श्रृंगार करे, वो भी सिर्फ अपने पति के लिए। आदमियों को हमेशा की ही तरह इस नियम से छूट थी।
दादी की एक हमउम्र सखी थीं। जिन्हें बचपन से सजने संवरने का शौक था लेकिन आजादी नहीं थी। अब बाहर तो कहीं ज्यादा जा नही सकते थे। तो एक दिन उस 12-13 साल की बच्ची ने अपने से कुछ बड़ी भाभी की देखा देखी अपने बालों को गर्म चिमटे से घुँघराले बनाने की असफल कोशिश की और चेहरा जला बैठी। इसके बाद जो दर्द हुआ वो जलने से ज्यादा उस पिटाई का था जो इसे साज श्रृंगार के लिए बावलापन दिखाने के लिए की गई थी। मतलब यह कि सजो, लेकिन अपनी इच्छा से नहीं।
कॉस्मेटिक्स में मौजूद घातक कैमिकल्स
मैंने कई बार कुछ माओं को अपनी नन्ही सी बच्चियों को नेलपेंट और लिपस्टिक लगाते देखा है। बिना यह समझे और जाने कि उन कॉस्मेटिक्स में मौजूद घातक कैमिकल्स किस हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। बच्चे हर रंग बिरंगी चीज की ओर आकर्षित होते हैं और मेकअप का सामान इससे अछूता नही है। ऐसे में बजाय उसे यह समझाने के कि मेकअप बच्चों के इस्तेमाल की चीज नहीं, उन पर उसका इस्तेमाल कर दिया जाता है।
कुछ ही दिनों पहले हमने विश्व पर्यावरण दिवस के नारे लगाए हैं। क्या आप जानते हैं कि हमारे द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे कॉस्मेटिक्स और उनमें मौजूद घातक जहरीले रसायन अंततः जब समंदर में पहुंचते हैं तो ये न केवल समुद्री जीवन को खतरे में डाल देते हैं बल्कि कचरे और पानी के साथ मिलकर मिट्टी, पानी और हवा सबको प्रदूषित करते हैं और पूरे इकोसिस्टम को बिगाड़ डालते हैं।
यहां तक कि नैचरल कहकर बेचे जाने वाले सौंदर्य प्रसाधन और मेकअप के साधन भी यही असर करते हैं। तो जरूरी यह है कि इगा की तरह मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने पर ध्यान दिया जाए और सफलता की चमक को सराहा जाए बजाय ऊपरी मेकअप के। तब तक यही सोचें कि इगा ये प्रश्न तुम्हारे लिए था ही नहीं न ही तुम्हारे जैसी किसी भी प्यारी सी बच्ची के लिए कभी होगा।


Rani Sahu

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