सम्पादकीय

सच बोल ही पड़ता है!

Gulabi Jagat
18 April 2022 11:39 AM GMT
सच बोल ही पड़ता है!
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अहमदाबाद के स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों से सामने आया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर
By NI Editorial
अहमदाबाद के स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों से सामने आया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान इस शहर में 30,427 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई। जबकि उसके पहले के दो सालों में इसी अवधि में औसतन 8,337 लोगों की मौत हुई थी। जाहिर है, 2021 में मौतों का आंकड़ा तीन गुना से भी ज्यादा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहते हैं कि उनके राज कोरोना महामारी के बेदह कुशल ढंग से संभाला गया। भाजपा का प्रचारतंत्र इतना मजबूत है कि गिने-चुने लेग ही इस दावे को चुनौती देते हैं। बहरहाल, कहा जाता है कि सच पर परदा डालना संभव नहीं होता। कुछ समय के लिए बातें छिपाई जा सकती हैं, लेकिन देर-सबेर सच खुद बोल पड़ता है। तो ऐसा ही अब प्रधानमंत्री के गृह राज्य में हुआ है। अहमदाबाद के स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों से सामने आया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान यानी अप्रैल-मई 2021 में इस शहर में 30,427 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई। जबकि उसके पहले के दो सालों में इसी अवधि में औसतन 8,337 लोगों की मौत हुई थी। जाहिर है, 2021 में मौतों का आंकड़ा तीन गुना से भी ज्यादा है। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में 2021 में इन दो महीनों में 1,000 से भी कम मौतें दर्ज हैं। स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों में मौतों का कारण नहीं दिया गया है। लेकिन ताजा आंकड़ों ने कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों के दावों को और मजबूत किया है।
कई विशेषज्ञों ने दावा किया था कि भारत में कोविड-19 से होने वाली मौतों की गिनती काफी कम की गई है। अहमदाबाद में आधिकारिक रूप से महामारी की शुरुआत से लेकर अभी तक 10,942 लोगों की मौत दर्ज की गई है। मगर राज्य सरकार ने कोविड-19 की वजह से हुई मृत्यु के हर्जाने के लिए कम से कम 87,000 दावों को स्वीकार किया है। तो गड़बड़झाला साफ है। स्थानीय प्रशासन से आंकड़े आरटीआई अर्जी से सामने आए। इन्हें हासिल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक उन्हें ये आंकड़े लंबी कानूनी लड़ाई के बाद दिए गए। यह अपने आप में दिखाता है कि सरकारी एजेंसियां कुछ छिपाने की कोशिश कर रही थीं। भारत में पिछले साल मार्च में संक्रमण के मामलों में नाटकीय बढ़ोतरी की वजह से अहमदाबाद समेत अनेक शहरों में मेडिकल ऑक्सीजन, एम्बुलेंस और अस्पतालों में बिस्तरों की भारी कमी हो गई थी। इस वजह से कई लोगों की मौत घर पर हुई। कइयों की पार्किंग में और और कइयों की अस्पताल के रास्ते में ही मौत हो गई। भारत में अभी तक संक्रमण के कुल 4.3 करोड़ मामले और 5,21,000 मौतें दर्ज की गई हैं। लेकिन कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि मौतों की कुल संख्या 30 लाख से ज्यादा हो सकती है।
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