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किसी प्रत्याशी की गाड़ी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का पाया जाना दुखद और अवैधानिक है। असम से जो शिकायत आई है, वह इतनी गंभीर है कि स्वयं चुनाव आयोग को संबंधित चार अधिकारियों को निलंबित करना पड़ा है।
अगर मतदान के बाद ईवीएम मशीन को स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचाने का सरकारी इंतजाम नहीं था, तब मतदान केंद्र पर ही मशीन के साथ इंतजार करना चाहिए था। चुनाव आयोग के पास वाहन न होने के बहाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
संसाधनों की कोई कमी न हो, इसीलिए चुनाव अनेक चरणों में कराए जा रहे हैं। आयोग ने सभी केंद्रों को परिवहन सुविधा से जोड़ने के लिए तमाम इंतजाम किए ही होंगे, तब भी अगर कहीं वाहन का टोटा सामने आया, तो यह अपने आप में बड़ी चिंता की बात है। उससे भी बड़ी चिंता यह कि आयोग की गाड़ी उपलब्ध न होने पर किसी प्रत्याशी की गाड़ी में ईवीएम रख दी जाए! यह चुनावी व्यवस्था के साथ खिलवाड़ है।
अगर प्रत्याशी के वाहन में ईवीएम मशीन के साथ चुनाव अधिकारी भी बैठे थे, तो भी मामला बहुत गंभीर है। शिकायत आने के बाद चुनाव आयोग ने रतबरी क्षेत्र के उस मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान का सही फैसला लिया है। पूरे चुनाव में हर जगह आयोग को अपने इंतजामों को पुन: परख लेना चाहिए।