सम्पादकीय

इस्लामी आक्रांताओं-क्रूर शासकों ने भारत की आस्था और प्रतीकों पर जो प्रहार किया, अब उस स्थिति को सुधारने का समय आ गया है

Gulabi Jagat
17 April 2022 4:11 PM GMT
इस्लामी आक्रांताओं-क्रूर शासकों ने भारत की आस्था और प्रतीकों पर जो प्रहार किया, अब उस स्थिति को सुधारने का समय आ गया है
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मंदिर भारत की धार्मिक संस्कृति के प्रतीक हैं। उनके प्रति गहन आस्था है, लेकिन
हृदयनारायण दीक्षित। मंदिर भारत की धार्मिक संस्कृति के प्रतीक हैं। उनके प्रति गहन आस्था है, लेकिन विदेशी हमलावरों ने हजारों मंदिर ध्वस्त किए। इनमें अयोध्या मसला हल हो गया है। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग पर मुकदमा चल रहा है। न्यायालय ने एक वकील कमिश्नर नियुक्त कर उन्हें निर्देश दिया है कि वे दोनों पक्षों की उपस्थिति में एक रिपोर्ट तैयार करें। सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख नियत हुई है। मुकदमे में श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजन की अनुमति मांगी गई है। परिसर में स्थित अन्य देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने व प्रतिवादियों को उन्हें क्षति पहुंचाने से रोकने की मांग भी की गई है। औरंगजेब के समय आदि विश्वेश्वर मंदिर के हिस्से पर मस्जिद जैसा ढांचा बनाया गया था। कथित मस्जिद मंदिर के एक हिस्से में है। अनाड़ी भी इसे देखकर मंदिर तोडऩे व मस्जिद बनाने का कृत्य समझ सकता है। भारत में मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने के हजारों मामले हैं।
इस्लामी हमलावरों और शासकों ने हिंदुओं को अपमानित करने के लिए हजारों मंदिरों को ध्वस्त किया था। मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध फतह के बाद हज्जाज को पत्र में लिखा था, 'मूर्ति पूजकों को इस्लाम में मतांतरित कर लिया गया है। मंदिरों की जगह मस्जिदें बना दी गई हैं।' गजनी के मोहम्मद ने भी यही किया था। मोहम्मद के इतिहासकार उतबी ने लिखा कि 'उसने मंदिरों-मूर्तियों को तोड़ा।' इतिहासकार डा. टाइटस ने 'इंडियन इस्लाम' में लिखा है कि मंदिरों के ध्वंस के पर्याप्त साक्ष्य हैं। डा. आंबेडकर ने लिखा है, 'गजनी के मोहम्मद द्वारा किया गया यह कृत्य पवित्र परंपरा बन गया। उसके बाद हमलावरों ने इसी परंपरा का पालन किया।' डा. टाइटस ने लिखा है, 'गोरी ने अजमेर विजय के दौरान मंदिरों, मूर्तियों और स्तंभों को ध्वस्त किया। उनके स्थान पर मस्जिदें बनाईं।' शाहजहां का ऐसा कुकृत्य बादशाहनामा में दर्ज है।' बादशाह को ध्यान दिलाया गया कि बनारस में मंदिरों का निर्माण शुरू हो गया है। यह कुफ्र का केंद्र है। बादशाह ने आदेश दिया कि बनारस सहित पूरी सल्तनत में मंदिरों को गिरा दिया जाए। बनारस में 76 मंदिरों को गिराया जा चुका है। डा. टाइटस ने 'मासिरे आलमगिरी' के हवाले से लिखा, 'औरंगजेब को पता चला कि बनारस आदि सूबों में मूर्ख ब्राह्मण तुच्छ पुस्तकों की व्याख्या करते हैं। उसने हुक्म दिया कि काफिरों की पाठशालाओं व मंदिरों को गिरा दें। बाद में दीन के रक्षक को बताया गया कि बनारस का विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त कर दिया गया है।' डा. आंबेडकर ने लिखा है, 'गजनी के आने और शाह अब्दाली की वापसी के बीच 762 वर्ष की यही कहानी है।'
अयोध्या, मथुरा और काशी के ध्वस्तीकरण विश्व चर्चित हैं। अयोध्या जगमगा रही है। काशी में मुकदमा है। मथुरा भी प्रतीक्षा में है। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के सामने लगे शिलापट का विवरण पठनीय है, 'यहां कंस के कारागार में 3168 ई. पूर्व कृष्ण का अवतार हुआ था। इस स्थान से अनेक ब्राह्मïी शिलालेख और पुरातात्विक शिलालेख प्राप्त हुए हैं। ईसा पूर्व पहली सदी में शक राजा के काल में जन्मस्थान पर वासुदेव कृष्ण का मंदिर तोरणद्वार विद्यमान था। गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने यहां एक भव्य मंदिर बनवाया, जो चीनी यात्री ह्वïेनसांग के समय से विद्यमान था। इसे गजनी ने नष्ट किया। राजा विजयपाल देव द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया। उसे सिकंदर लोदी ने फिर ध्वस्त कराया। फिर ओरछा नरेश ने बनाया। औरंगजेब ने इसे गिराकर आधे भाग में ईदगाह बनवाई।' मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की घटनाएं हिंदू मन को आहत करती हैं। दिल्ली में कई मंदिरों को गिराकर 'कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' (इस्लाम की ताकत) बनाई गई। इसी प्रकार अजमेर में 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' नामक मस्जिद बनी। दीवारों पर पृथ्वीराज चौहान के पूर्वज विग्रहराज का हरीकेल नाटक अंकित हैं और सोमदेवकृत ललित विग्रहराज भी।
मंदिरों का ध्वंस असाधारण अपमान है। तमाम मंदिरों को लेकर हिंदू अदालत की शरण में हैं। न्यायपालिका सम्यक विचार कर रही है, लेकिन भारत के मन में राष्ट्र अपमान के घाव हैं। हिंदू मूर्तियों में प्राण और देवत्व देखते हैं। उनका पूजन हिंदू मन को आनंद देता है। मंदिर ध्वस्तीकरण की प्रत्येक घटना ने भारतवासियों के मन में गहरे घाव दिये हैं। घाव रिसते हैं। अदालतें इस अपमान पर मरहम नहीं लगा सकतीं। हिंदुओं का अपमान तथ्य सिद्ध है। कट्टरपंथी, सेक्युलर, लिबरल ताकतें हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ करती हैं। आखिर हजारों मंदिर नष्ट करने का मकसद क्या रहा? तैमूर ने बताया था, 'हमले का मकसद हिंदुस्तान को मिथ्या आस्था और बहुदेववाद से मुक्त करना है।'
मंदिर देवालय हैं। उन्हें गिराकर बनी मस्जिदें वास्तव में उपासना स्थल नहीं हैं। हिंदुओं ने कभी कोई मस्जिद नहीं गिराई, लेकिन यहां ध्वस्त मंदिर की सामग्री से बनी मस्जिदें हिंदू मन को व्यथित करती हैं। ऐसे सभी इबादत स्थल राष्ट्रीय स्वाभिमान का अपमान करते हैं। मूलभूत प्रश्न है कि बहुसंख्यक समुदाय को अपमानित करने वाली मंदिर ध्वस्त की घटनाओं पर मुस्लिम नेता निष्पक्ष राय क्यों नहीं देते?
प्रत्येक राष्ट्र को विदेशी हमलावरों द्वारा किए गए सांस्कृतिक हमलों से छुटकारा पाने का अधिकार है। पोलैंड की राजधानी वारसा में रूसियों ने आर्थोडाक्स चर्च बनाकर उसे 'अवर लेडी आफ व्लादिमीर' का नाम दिया। पोलैंड ने स्वशासन मिलते ही 1916 में उसे फिर से कैथोलिक चर्च बना दिया। पोलैंड ने रूसी शासन की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतीक मिटाने की मुहिम चलाई, जो असल में रूस द्वारा उसे नीचा दिखाने के लिए खड़े किए गए थे। पोलैंड की भांति भारत को भी अपने सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों की प्रतिष्ठा के लिए विचार करना चाहिए। आखिर धीरज की भी एक सीमा होती है। अयोध्या विवाद को लेकर हिंदुओं ने दीर्घकाल तक धैर्य परिचय भी दिया। जब कथित-सेक्युलर तत्वों ने श्रीराम को लेकर अनर्गल प्रलाप की सभी सीमाएं लांघ दीं, उसकी प्रतिक्रिया में ही अयोध्या कांड हुआ। हिंदू मन मथुरा, काशी सहित सभी मंदिरों से विदेशी हमलावरों की त्रासद स्मृतियों से मुक्ति चाहता है। देश के सभी राजनीतिक दल, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाएं मिलकर कोई सार्थक निर्णय लें।
(लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं)
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