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वो सबसे अच्छा समय था, वो सबसे बुरा समय था
अनिंद्य दत्ता
वो सबसे अच्छा समय था, वो सबसे बुरा समय था, वो ज्ञान का युग था, वो मूर्खता का युग था, वो विश्वास का युग था, वो अविश्वास का युग था, वो प्रकाश का समय था, वो अंधेरे का मौसम था, यह आशा का वसंत था, वो सर्द निराशा का दौर था… .'इस हफ्ते यूक्रेन (Ukraine) में रूसी (Russia) टैंकों की एंट्री और क्रूज मिसाइलों के खूबसूरत शहर कीव (Kyiv) से टकराने के साथ मुझे बार-बार डिकेंस के ए टेल ऑफ टू सिटीज की शुरुआती पंक्तियां याद आ रही हैं. फर्क यही है कि यहां बात दो शहरों या दो राज्यों की नहीं, बल्कि रूस की दो हस्तियों की है जिन्हें दुनिया ने इस हफ्ते सुर्खियों में देखा. एक छोर पर व्लादिमीर पुतिन की अहंकारी बोली थी जो जंग के जरिए विश्व पर प्रभुत्व जमाना चाहते हैं. दूसरी ओर टेनिस वर्ल्ड के शीर्ष पर अपनी योग्यता, प्रयास और दृढ़ता के दम पर पहुंचे दानिल मेदवेदेव हैं. जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर पहली मिसाइल दागी, उसी दिन टेनिस को उसका नया नंबर वन खिलाड़ी मिला और पिछले 18 साल में पहली बार ऐसा हुआ जब इस खिलाड़ी का सरनेम फेडरर, जोकोविच, नडाल या मरे नहीं था.
दुनिया के नंबर वन टेनिस स्टार बने मेदवेदेव
विडंबना देखिए! यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा करते हुए पुतिन ने दबंग अंदाज में दुनिया को चेतावनी दी कि अगर कोई उसके रास्ते में आया, तो परिणाम परमाणु युद्ध में बदल सकता है. ठीक उसी दिन, दुनिया के नवोदित नंबर 1 और स्पष्ट रूप से परेशान मेदवेदेव ने कहा – एक टेनिस खिलाड़ी होने के नाते मैं पूरी दुनिया में शांति को बढ़ावा देना चाहता हूं. बेशक दोनों हस्तियों के संदेश एकदूसरे से एकदम भिन्न थे.
1914 और 1945 – विश्व ने 10 बेशकीमती साल भीषण युद्ध में गंवाए हैं जिसमें कई करोड़ लोगों की जान चली गई. पैदल सैनिकों और घुड़सवारों, राइफलों से होता हुआ ये युद्ध दो शहरों पर परमाणु बम फटने पर समाप्त हुआ जिसमें लगभग एक पूरी जेनरेशन खत्म हो गई और आने वाली पीढ़ियां आनुवंशिक रूप से प्रभावित हो गईं.उस अवधि में सबसे ज्यादा मृतकों की संख्या रूसी नागरिकों की थी. विश्व जनसंख्या की ताजा समीक्षा के अनुसार, ये आंकड़ा 30 मिलियन के करीब का है. इस तहस नहस हुई दुनिया में ही 1952 में व्लादिमीर पुतिन का जन्म लेनिनग्राद (तब स्टेलिनग्राद कहा जाता था) के एक ऐसे अस्पताल में हुआ जिसको तब तक भी रिपेयर नहीं कराया जा सका था और ऐसी मां की कोख से हुआ जिनको 1945 में एक जर्मन बमबारी के बाद घायल अवस्था में मरने के लिए छोड़ दिया गया था.
बावजूद इसके, उन घटनाओं के आठ दशक के अंदर ही पुतिन ने संभावित रूप से अगला विश्व युद्ध शुरू कर दिया है और एक कदम आगे बढ़ते हुए परमाणु बम की भी धमकी दे दी है. सवाल यह नहीं है कि हालात यहां तक कैसे पहुंचे, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से असली रूस कौन सा है?
1989 का फ्लैशबैक :
संयुक्त राज्य अमेरिका में मेरी स्नातक की पढ़ाई चल रही है और मेरे छोटे से ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर अकल्पनीय घटनाएं प्रसारित हो रही हैं. उन्मादी महिलाएं, पुरुष, युवा और बूढ़े – बर्लिन की दीवार तोड़ रहे हैं. मशहूर ब्रैंडेनबर्ग गेट गिरने वाला है. इतिहास के प्रति गहरी रुचि रखने वाले एक युवा के तौर पर मैं समझ रहा था कि आने वाले समय में इसके मायने कितने बड़े होंगे. मेरे पास मेरा छोटा लाल 2-इन-1 है जिसका रिकॉर्डिंग बटन दबाकर मैंने टेलीविजन सेट के सामने रखा हुआ है. मुझे अभी तक पता नहीं है कि तकनीक आगे कहां तक बढ़ेगी, इसलिए मैं इस बीबीसी फीड को भावी पीढ़ी के लिए रिकॉर्ड कर रहा हूं. इतिहास रचा जा रहा है और तीन दशकों से दुनिया को बांटने वाला लोहे का परदा मेरी आंखों के सामने पिघल रहा है. यह मानव जाति के लिए आशा का क्षण है.
इसके दो साल बाद मिखाइल गोर्बाचेव के नेतृत्व में, सोवियत संघ का झंडा आखिरी बार उतारा गया. जार निकोलस (Tsar Nicolas ) और उनके परिवार की हत्या के बाद रूसी पहली बार पूंजीवाद के फल और तत्कालीन सोवियत संघ के पूर्व उपनिवेश – अपनी स्वतंत्रता का स्वाद लेने के लिए आजाद थे.
इस नए रूस में, जो पुतिन के जन्म वाले समय से बहुत अलग था, में दानिल मेदवेदेव का जन्म 1996 में हुआ था. उनके पिता, एक कंप्यूटर इंजीनियर और पूंजीवाद के शुरुआती लाभार्थियों में से एक थे, जिन्होंने पेरेस्त्रोइका (Perestroika) के युग में अपनी खुद की कंपनी शुरू की थी. मेदवेदेव और उनके समकालीनों ने जिस दुनिया में जन्म लिया, वह आशा और संभावनाओं में से भरी थी. यह रूस का नया चेहरा था.
पुतिन के कदम की निंदा करने का साहस
इसी नए रूस में पले बढ़े होने की वजह से दानिल मेदवेदेव और उनकी पीढ़ी के तमाम लोगों ने युक्रेन को लेकर पुतिन के कदम की कड़ी निंदा करने का साहस दिखाया. हालांकि इसकी वजह से मास्को में बड़ी संख्या में लोगों को अरेस्ट भी किया गया. वे नहीं चाहते कि उनके देश को इस तरह एकतरफा युद्ध में झोंक दिया जाए.
विश्व के प्रमुख देशों के बीच ऋण के लिए सकल घरेलू उत्पाद (Debt-to-GDP) के मामले में नीचे से दूसरे पायदान पर है. शीत युद्ध के बाद से रूस की समृद्धि तेजी से बढ़ी जिसकी वजह से यहां दुनिया की कुछ सबसे अमीर हस्तियां रहती हैं. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रूस ने अपना वर्सस्च स्थापित किया है और कई खेलों में वर्ल्ड चैंपियन दिए हैं. लेकिन रूसी राष्ट्रपति के लिए ये सब पर्याप्त नहीं है.वह अपने अहंकार की तुष्टि के लिए ये सब कर रहे हैं. उनके फैसलों के आर्थिक पहलू कम और अहम को संतुष्टि देने वाले ज्यादा होते हैं. यूक्रेन पर तो वह आक्रमण कर ही चुके हैं और अब उनकी निगाहें शेष यूरोप पर हैं, क्योंकि ये उनके बूते की बात है.
एक ओर जहां पुतिन कीव पर रूस का झंडा फहराने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दानिल मेदवेदेव सुदूर अकापुल्को में राफेल नडाल के खिलाफ टेनिस कोर्ट में वही रंग पहनकर खेल में अपना परचम लहराने के लिए उतरे. ये नया रूस पुराने को बता रहा है कि राष्ट्रवाद गर्व के साथ बांह पर पहनने के लिए है, ना कि मासूमों को मौत के घाट उतारने में.
Rani Sahu
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