सम्पादकीय

सोवियत संघ और इजरायल सरकार ने अपने दुश्मनों को दूसरे देशों में खोज-खोज कर मार डाला था

Gulabi
11 March 2022 1:58 PM GMT
सोवियत संघ और इजरायल सरकार ने अपने दुश्मनों को दूसरे देशों में खोज-खोज कर मार डाला था
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अपने दुश्मनों को दूसरे देशों में खोज-खोज कर मार डाला था
सुरेंद्र किशोर।
सेवियत संघ (Soviet Union) सरकार ने सन 1940 में मैक्सिको में छिपे अपने राजनीतिक दुश्मन ट्रॉटस्की (Trotsky) को ढूंढकर मरवा डाला था. तब यह दुनिया का चर्चित हत्याकांड साबित हुआ था. उसी तरह 1972 में हुए म्यूनिख ओलम्पिक (Munich Olympic) में 11 इजरायली खिलाड़ियों के हत्यारे अरब आतंकियों को मोसाद ने एक-एक कर खोजकर मार डाला. स्टालिन के कट्टर विरोधी लियोन ट्रॉटस्की की हत्या करवाने के लिए सोवियत जासूसों ने छल-प्रपंच का इस्तेमाल किया था. ट्रॉटस्की की 20 अगस्त 1940 को उसका विश्वासपात्र बन कर जैक्सन ने तब हत्या कर दी जब वे मैक्सिको में निर्वासित जीवन बिता रहे थे.स्टालिन के भय से वे वहां छिपे थे.
स्टालिन ने अपने जासूसों को यह सख्त आदेश दे दिया था कि "किसी भी नीति-रणनीति का पालन क्यों न करना पड़े, कोई कार्य पद्धति क्यों न अपनानी पड़े, पर ट्रॉटस्की को जल्द से जल्द खत्म कर दो." उधर ट्रॉटस्की ने पहले सोवियत संघ में स्टालिन की तानाशाही का विरोध किया. जब स्टालिन ने एक-एक करके अपने राजनीतिक विरोधियों का सफाया करना शुरू कर दिया तो ट्रॉटस्की विदेश भाग गए. ट्रॉटस्की ने मैक्सिको में शरण ली. वहां भी वह स्टालिन की सख्त आलोचना करते हुए यूं कहें कि उन्हें गालियां देते हुए स्थानीय अखबारों में लेख लिखते रहे.
सोवियत जासूसों ने उनकी हत्या करा दी
उन्होंने यह सोचा था कि शायद स्टालिन के लिए मैक्सिको दूर पड़ेगा. पर, ट्रॉटस्की गलत सोच रहे थे. सोवियत जासूसों ने उनकी हत्या के लिए वहां भी एक छल के जरिए पक्का प्रबंध करा दिया. जासूसों ने पता लगाया कि मैक्सिको में ट्रॉटस्की का कौन ऐसा भक्त है जिसकी बात वह सुनते हैं. पता चला कि वह एक लड़की है. सोवियत जासूसों ने ट्रॉटस्की की एक और कमजोरी का लाभ उठाया. ट्रॉटस्की किसी भोले-भाले दिखने वाले अजनबी पर आसानी से विश्वास कर लेते थे.
जासूसों ने उनकी इस कमजोरी का भी लाभ उठाया. जैक्सन नामक भोला-भाला दिखने वाले एक व्यक्ति को जासूसों ने ट्रॉटस्की की भक्त लड़की से पहले मित्रता करवा दी. उस लड़की को जैक्सन के खतरनाक मनसूबे का कोई संकेत तक नहीं मिला. फिर जैक्सन का परिचय उसी लड़की ने ट्रॉटस्की से करवा दिया. उस लड़की का ट्रॉटस्की के यहां अक्सर आना-जाना था. ट्रॉटस्की ने उस पर विश्वास कर लिया. मैक्सिको के अखबारों में ट्रॉटस्की, सोवियत संघ में स्टालिन के अत्याचारों व ज्यादतियों की जो 'झूठी-सच्ची कहानियां' लिखते थे,उससे मैक्सिको में भी ट्रॉटस्की का एक प्रशंसक वर्ग तैयार हो गया था.
जैक्सन का मैक्सिको के उस किलानुमा घर में आना-जाना शुरू हो गया जिसमें पूरी सुरक्षा के साथ ट्रॉटस्की रहते थे. जैक्सन की रूचि भी लेख लिखने में थी.ट्रॉटस्की उससे अपने लेख के विषयों पर चिचार-विमर्श करते थे. पर जैक्सन को एकांत में ट्रॉटस्की से मुलाकात का इंतजार था. ट्रॉटस्की ने 20 अगस्त 1940 को एक लेख पर विचार के लिए जैक्सन को एकांत में आमंत्रित किया. उसी दिन का जैक्सन को इंतजार था. वह रेन कोट पहन कर उस दिन गया. संतरी ने पूछा तो उसने बताया कि आज बारिश की आशंका है. पर अपनी कुटिल योजना के तहत उसने अपने रेन कोट में कटार, रिवाल्वर और कुदाल छिपा रखी थी.
ट्रॉटस्की का जब पूरा ध्यान लेख पढ़ने में था तो जैक्सन ने निगाह बचाकर अपनी कुदाल निकाली और पीछे जाकर जोर से कुदाल से उनके सिर पर वार कर दिया. इस वार से सिर में तीन इंच गहरा घाव बन गया. ट्रॉटस्की बुरी तरह घायल होकर चिल्लाने लगे. 24 घंटे में ही ट्रॉटस्की के प्राण पखेरू उड़ गये. मैक्सिको की अदालत में जैक्सन पर मुकदमा चला. पुलिस ने यह साबित कर दिया कि वह रूस का खुफिया एजेंट था और ट्रॉटस्की की हत्या करने के लिए ही जाली पासपोर्ट पर मैक्सिको भेजा गया था. उसे बीस साल की कैद की सजा हुई. सजा के दौरान उसने अपने अपराध और उसके पीछे के षड्यंत्र के बारे में किसी से कुछ भी नहीं कहा. सजा की अवधि पूरी करने के बाद जैक्सन सोवियत संघ चला गया.
अब बात इजरायल के मोसाद की
1972 में अरब आतंकवादियों ने म्यूनिख ओलम्पिक में 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी. बाद के वर्षों में इजरायली खुफिया एजेंसी 'मोसाद' ने उन सारे षड्यंत्रकारी हमलावरों को खोज-खोज कर एक-एक कर मार डाला. वे इजरायल सरकार के डर से कई देशों में जा छिपे थे. मोसाद ने करीब 20 वर्षों में यह टास्क पूरा किया था. हत्यारों को मोसाद ने बारी-बारी से इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, लेबनान, एथेंस और साइप्रस में अपने नाटकीय ऑपरेशन के जरिए मारा.
यदि इजरायल ने 234 अरब छापामारों को रिहा कर दिया होता तो सन 1972 में 11 इजराइली ओलम्पिक खिलाड़ियों की जान बच जाती. पर, व्यापक देशहित में इजरायल ने उन आतंकवादियों के सामने झुकना मंजूर नहीं किया जिन्होंने म्यूनिख ओलम्पिक के दौरान 11 इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बना रखा था. छापामारों को रिहा करने से इनकार कर देने पर 11 खिलाड़ियों को अरब आतंकवादियों ने मार डाला. उस दौरान जर्मन पुलिस की कर्रवाई में चार छापामार भी मारे गए. तीन पकड़े गए. पर एक भागने में सफल हो गया.
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