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- छठ की आवाज
छठ इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा लोकपर्व है, जो अपनी व्यंजना में बहुआयामी है। धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक आयाम की सबसे ज्यादा प्रबलता है। सूर्य इस त्योहार का केंद्र हैं। सूर्य जीव जगत के आधार हैं। सूर्य के बिना कोई भी भोग-उपभोग संभव नहीं है। अत: सूर्य के प्रति आभार प्रदर्शन के लिए छठ या सूर्य षष्ठी व्रत मनाया जाता है, तो कोई आश्चर्य नहीं। सूर्य उन क्षेत्रों के लिए सबसे उपयोगी देव हैं, जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा है। पूर्वांचल में नदियों का जाल बिछा हुआ है, ऐसे में सूर्य से ताप लेना जीवन के लिए सबसे जरूरी हो जाता है। हमारी सूर्य केंद्रित संस्कृति कहती है कि वही उगेगा, जो डूबेगा। अत: छठ में पहले डूबते और फिर अगले दिन उगते सूर्य की पूजा स्वाभाविक है। व्रत करने वाला जब भगवान दिनकर से ताप मांगने या आभार जताने घर से निकलता है, तो किसी तालाब, नदी के तट पर ही जाता है। अर्थात हे सूर्य, आपने जल दिया है, उसके लिए आभार, लेकिन आप अपने ताप का आशीर्वाद भी हम पर बनाकर रखें।
हिन्दुस्तान