सम्पादकीय

छठ की आवाज

Rani Sahu
9 Nov 2021 5:12 PM GMT
छठ की आवाज
x
छठ इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा लोकपर्व है, जो अपनी व्यंजना में बहुआयामी है

छठ इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा लोकपर्व है, जो अपनी व्यंजना में बहुआयामी है। धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक आयाम की सबसे ज्यादा प्रबलता है। सूर्य इस त्योहार का केंद्र हैं। सूर्य जीव जगत के आधार हैं। सूर्य के बिना कोई भी भोग-उपभोग संभव नहीं है। अत: सूर्य के प्रति आभार प्रदर्शन के लिए छठ या सूर्य षष्ठी व्रत मनाया जाता है, तो कोई आश्चर्य नहीं। सूर्य उन क्षेत्रों के लिए सबसे उपयोगी देव हैं, जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा है। पूर्वांचल में नदियों का जाल बिछा हुआ है, ऐसे में सूर्य से ताप लेना जीवन के लिए सबसे जरूरी हो जाता है। हमारी सूर्य केंद्रित संस्कृति कहती है कि वही उगेगा, जो डूबेगा। अत: छठ में पहले डूबते और फिर अगले दिन उगते सूर्य की पूजा स्वाभाविक है। व्रत करने वाला जब भगवान दिनकर से ताप मांगने या आभार जताने घर से निकलता है, तो किसी तालाब, नदी के तट पर ही जाता है। अर्थात हे सूर्य, आपने जल दिया है, उसके लिए आभार, लेकिन आप अपने ताप का आशीर्वाद भी हम पर बनाकर रखें।

निरोग रहने के लिए भी सूर्य की बड़ी जरूरत है। सूर्य रोगनाशक शक्ति हैं। अक्सर लोग छठ महापर्व के समय स्वास्थ्य को लेकर भी प्रार्थना करते हैं। जिस दौर से यह दुनिया गुजरी है, उसमें न जाने कितनों के साथ बहुत बुरा हुआ है। लोग आज भी उन दिनों की टीस से उबरने की कोशिशों में हैं। ध्यान आता है, जब कोरोना का उभार हुआ था, तब लोग आश्वस्त थे कि एक बार सूर्य की तपन बढ़ेगी, तो कोरोना वायरस नष्ट हो जाएगा। यह जो हमारा भ्रम था, वह सूर्य के प्रति हमारी आशा का ही फल था। हालांकि, सूर्य के प्रति हमारी आशा का कोई विकल्प भी नहीं है। पिछली बार छठ का आयोजन भी कोरोना से प्रभावित हुआ था, लेकिन इस बार घाटों पर रौनक लौट आई है। लोगों को पूरा विश्वास है कि छठ पर्व और सूर्य की पूजा से टूटे दिलों को भी पूरी ताकत मिलेगी। सूर्य के पास जाना आज जितना जरूरी है, उतना कभी नहीं था। कोरोना के समय महीनों तक घरों में बंद रहे लोगों को धूप की बड़ी जरूरत है। भारत में यह समग्र आकलन नहीं हुआ है, लेकिन यह एक बुनियादी तथ्य है कि सूर्य के बिना भारत की जैव विविधता, जीवन और स्वास्थ्य का मेल नहीं बन सकता। आधुनिक जीवन की मजबूरी में जब अक्षय ऊर्जा की बात होती है, तब लोगों की नजर सूर्य की ओर ही जाती है। मतलब किन्हीं अर्थों में सूर्य हमारे अतीत ही नहीं, भविष्य भी हैं।
ऐसे सूर्य की पूजा का व्रत छठ आधुनिक रूप से भी उपयोगी है। छठ का एक संकल्प देखिए, हे सूर्य देव, आपने अन्न, सब्जियां, फल, फूल, जल, दूध दिए, आपने जो भी दिया, हम वे सब आपको अर्पित कर रहे हैं, आप हम पर आगे भी कृपा बनाए रखें। हे सूर्य, हमें सक्षम बनाना, अगली बार हम आएंगे ज्यादा सामग्री, तैयारी के साथ आपको अर्घ्य देने के लिए। एक और बड़ी बात, इस दिन घाट पर कोई भेद नहीं रहता, न जाति, न धर्म, न गरीब, न अमीर। सारे लोगों का लक्ष्य एक ही होता है। छठ सदियों से स्वच्छता-पवित्रता का संदेश देने वाला पर्व है। अगर इसके इस पक्ष को भी हम ठीक से समझ लें, तो हमारा जीवन सुखमय हो सकता है। छठ हमें मितव्ययिता की भी शिक्षा देता है, जिसकी आज बहुत जरूरत है।

हिन्दुस्तान

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story