- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- देश की सुरक्षा तो बस...
प्रियदर्शन। पेगासस जासूसी कांड पर जांच कमेटी बनाने की घोषणा कर सुप्रीम कोर्ट ने निश्चय ही एक बड़ा काम किया है. अब इसमें किसी को शुबहा नहीं रह गया है कि पेगासस से जुड़ा सच सरकार छुपाने पर आमादा है. वह सुप्रीम कोर्ट तक को यह बताने को तैयार नहीं है कि वह इजराइल के इस उपकरण का इस्तेमाल कर रही है या नहीं. उसकी दलील है कि इस जानकारी से देशविरोधी तत्वों को इस तकनीक की काट खोजने का अवसर मिलेगा. कहने की ज़रूरत नहीं कि यह एक हास्यास्पद तर्क है. पेगासस से जुड़े ख़ुलासों के बाद क्या किसी को शक रह गया है कि भारत में इसका इस्तेमाल हो रहा है? अगर वाकई कोई देशविरोधी या आतंकवादी संगठन भारत के विरुद्ध काम कर रहा है तो क्या वह ख़ुद को बचाने के लिए भारत सरकार के हलफ़नामे का इंतज़ार कर रहा होगा? क्या वह मान कर चल रहा होगा कि जब तक भारत सरकार नहीं बताती तब तक कोई जासूसी नहीं हो रही है?
दरअसल पेगासस से जु़ड़ी स्वीकारोक्तियां सरकार को इसलिए डरा रही हैं कि अगर एक बार उसने इसके इस्तेमाल की बात मान ली तो फिर यह सवाल भी उठेगा कि इसका इस्तेमाल किन लोगों के विरुद्ध हो रहा है? फिर भारत के जिन तीन सौ फोन नंबरों की जासूसी की बात सामने आई है, उनको लेकर औचित्य के सवाल उठेंगे. यानी यह पूछा जाएगा कि आखिर इन लोगों से देश की सुरक्षा को क्या ख़तरा था?