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सम्पादकीय
बजट सत्र का दूसरा चरण, बेरोजगारी-महंगाई के मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष
Gulabi Jagat
14 March 2022 2:42 PM GMT
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बेरोजगारी-महंगाई के मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में यह आशा की जा सकती है कि दोनों सदनों में हंगामा और शोर-शराबा नहीं होगा। इस आशा का एक कारण तो यह है कि बजट सत्र के पहले चरण में विपक्ष ने संयम का परिचय देते हुए हंगामा करने के बजाय विभिन्न मुद्दों पर बहस करना पसंद किया था और दूसरा यह कि पांच में से चार राज्यों में विपक्षी दलों को पराजय का सामना करना पड़ा है। स्पष्ट है कि पंजाब में शानदार जीत के कारण आम आदमी पार्टी तो उत्साहित होगी, लेकिन कांग्रेस समेत शेष विपक्षी दल मायूस होंगे।
संसद में यह मायूसी खीझ में तब्दील होती हुई नहीं दिखनी चाहिए। विपक्ष को इसका आभास होना चाहिए कि संसद के शीतकालीन सत्र में व्यर्थ में हंगामा करने से उसे कुछ हासिल नहीं हुआ था। यह किसी से छिपा नहीं कि उस दौरान वह संसद को चलने भी नहीं दे रहा था और ऐसे आरोप भी लगा रहा था कि सरकार उसकी बात सुनने को तैयार नहीं। उसके इस रवैये से देश को यही संदेश गया था कि विपक्षी दल संसद में अपने दायित्वों का निर्वहन करने के मामले में गंभीर नहीं। विपक्ष को यह भी याद रहे तो बेहतर कि उसने जिस तथाकथित किसान आंदोलन को हवा दी, उसका पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कहीं कोई असर नहीं दिखा। उलटे जनता ने उस कांग्रेस को कड़ा सबक सिखाया, जो इस आंदोलन के पक्ष में खुलकर खड़ी हुई थी। पंजाब में तो वे किसान नेता भी बुरी तरह पराजित हुए, जो चुनाव मैदान में उतरे थे।
संसद राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा का मंच है। यहां यही काम होना चाहिए और वह भी पूरी गंभीरता के साथ। गंभीरता का यह अभाव न केवल समय की बर्बादी का कारण बनता है, बल्कि जनता को निराश करने का भी काम करता है। नि:संदेह सदन चलाना सत्तापक्ष का दायित्व है, लेकिन वह अपने इस दायित्व की पूर्ति तभी कर सकता है, जब विपक्ष हंगामा करने की जिद न पकड़े।
राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे का कहना है कि वह महंगाई, बेरोजगारी के साथ ही यूक्रेन में फंसे छात्रों का मुद्दा उठाएंगे। क्या वह इससे अवगत नहीं कि वहां फंसे छात्रों को सुरक्षित स्वदेश ले आया गया है? जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि विपक्ष कई बार विरोध के लिए विरोध वाली राजनीति की राह पर चलते दिखता है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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