- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- स्वास्थ्य सुरक्षा का...
नवभारत टाइम्स; सरकार आयुष्मान भारत का दायरा बढ़ाते हुए इसमें और 40 करोड़ लोगों को शामिल करने की सोच रही है। नैशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) का गवर्निंग बोर्ड इसी महीने हुई एक बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुका है। यह महत्वाकांक्षी पहल आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना को विस्तार के अगले चरण में ले जाएगी। अभी 50 करोड़ से ज्यादा लोग (10.74 करोड़ परिवार) इस हेल्थ कवर के दायरे में हैं। ऐसे हर परिवार को योजना के तहत सालाना पांच लाख रुपये का हेल्थ कवर मिला हुआ है। जाहिर है, इसमें आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के परिवारों को शामिल करने पर जोर रहा है। अब नए चरण में थोड़ा बदलाव यह किया जा रहा है कि इस हेल्थ कवर को पूरी तरह फ्री न रखते हुए इसे कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा। इरादा ऐसे परिवारों को हेल्थ कवर उपलब्ध कराने का है, जो इसके लिए कुछ कीमत चुकाने की स्थिति में तो हैं, लेकिन रिटेल प्राइस अफोर्ड नहीं कर सकते। योजना के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम में एक तिहाई से भी ज्यादा की कटौती की जाएगी ताकि वे परिवार भी इसका फायदा उठा सकें, जो अभी किसी मेडिकल इंश्योरेंस योजना से नहीं जुड़े हैं। ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है।
आंकड़ों के जरिए समझने की कोशिश करें तो आयुष्मान भारत योजना के तहत अभी आबादी के सबसे निचले 40 फीसदी हिस्से को हेल्थ कवर मिला हुआ है। अगर राज्य सरकारों की अलग-अलग योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और प्राइवेट इंश्योरेंस की विभिन्न स्कीमों को भी जोड़ लिया जाए तो कुल मिलाकर आबादी का करीब 70 फीसदी हिस्सा हेल्थ इंश्योरेंस के सुरक्षा दायरे में आ जाता है। मतलब यह कि देश की आबादी का 30 फीसदी हिस्सा अभी भी ऐसा है, जिसके पास स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से उबरने के लिए किसी भी तरह की वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध नहीं है। आयुष्मान भारत योजना के अगले चरण में आबादी के इसी हिस्से के 40 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें दो राय नहीं कि 2018 में शुरू किए जाने के बाद से इस योजना के हिस्से में आलोचनाएं भी काफी आई हैं। कुछ तो अमल से जुड़ी परेशानियों से उपजी थीं, जिन्हें धीरे-धीरे दूर किया गया और किया जा रहा है। एक बात यह भी कही जा रही थी कि चूंकि इसमें बने-बनाए ढांचे तक लोगों की पहुंच बनाने के इंतजाम पर जोर है, इसलिए स्वास्थ्य ढांचे के विस्तार पर से सरकार का ध्यान हटेगा और योजना का लाभ मुख्यत: शहरी इलाकों तक सीमित रह जाएगा। पिछले पांच वर्षों में इसके व्यापक विस्तार को देखते हुए यह आशंका काफी हद तक समाप्त हो चुकी है। फिर भी याद रखना होगा कि स्वास्थ्य ढांचे के निरंतर विस्तार की जरूरत अपनी जगह बनी हुई है और उसकी भरपाई आयुष्मान भारत योजना के नेटवर्क विस्तार से नहीं होती।