सम्पादकीय

बज गई स्कूल बैल लेकिन...

Subhi
31 Oct 2021 2:10 AM GMT
बज गई स्कूल बैल लेकिन...
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इसमें कोई संदेह नहीं कि मुसीबत और महामारी जब-जब आती है तो उसका मुकाबला न सिर्फ दवाई और सख्ती से किया जाता है बल्कि परहेज और धैर्यशीलता से भी जीवित रहा जा सकता है।

किरण चोपड़ा: इसमें कोई संदेह नहीं कि मुसीबत और महामारी जब-जब आती है तो उसका मुकाबला न सिर्फ दवाई और सख्ती से किया जाता है बल्कि परहेज और धैर्यशीलता से भी जीवित रहा जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते भारत ने अपने मजबूत इरादों और एक ऐसा मंत्र जो सैनेटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग तथा मास्क पर आधारित था, के दम पर इसे अब देश से खदेड़ दिया है। क्योंकि हालात सामान्य हो रहे हैं। कोरोना की पॉजिविटी रेट अब 97 प्रतिशत पार कर गई है तो है हमें सामान्य जीवन में लौटना ही होगा। जीवन के हर चरण में कोरोना ने लॉकडाउन से लेकर लोगों को घरोंं में कैद करके रख दिया लेकिन भारतवासियों ने धैर्यशीलता के दम पर अब सामान्य होने की राह पकड़ ली है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। डीएमए की सिफारिश पर दिल्ली सरकार ने राजधानी में एक नवंबर से सभी क्लासों के लिए स्कूल खोलने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही छठ पूजा के सार्वजनिक पूजन का भी ऐलान कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में नौवीं क्लास से बारहवीं तक के स्कूल तो पहले ही खुल गए थे परंतु अब नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाएं भी खुल सकेंगी। इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि दिल्ली के साथ-साथ पूरे भारत का हैल्दी होना जरूरी है लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। हमने देखा कि कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा दी थी। मोदी सरकार ने अब तीसरी लहर न आये इसके लिए तैयारी कर रखी है। इधर सभी कोरोना परोटोकॉल का पालन करना जरूरी है इसलिए दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा है कि नर्सरी से आठवीं तक के स्कूल सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही खुलेंगे लेकिन पैरेंट्स की मंजूरी जरूरी है। क्योंकि हम अपनी शिक्षा और सिस्टम को अब बहुत देर तक ऑनलाइन पर नहीं टीका सकते। स्कूल प्रबंधक बच्चों को स्कूल आने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। हां पचास प्रतिशत की क्षमता के साथ स्कूल खुले रहे तो कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन हमारे खुद के प्रोटोकॉल यही कहते हैं कि सैनेटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना ही चाहिए। अब जबकि कॉलेज भी खुल चुके हैं। पिछले डेढ़ साल में शिक्षा के क्षेत्र में हमने भारी चुनौतियों के चलते सिस्टम को आगे बढ़ाया है तो अब सामान्य मोड़ पर आते-आते पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ना है। मुझसे भी इस मामले में कई डिबेट्स या सैमिनार तथा वेबिनार में पूछा जाता है तो मैं यही कहती हूं कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ते हैं और भीड़भाड़ से बचे रहते हैं तो हम सामान्य जीवन सहजता के साथ जीते हुए आगे बढ़ सकते हैं। फिर भी क्योंकि दिल्ली सरकार ने छठ पूजा के सार्वजनिक पूजन की इजाजत दे दी है तो हम यही कहेंगे कि मास्क का पालन जरूरी होना चाहिए। त्यौहारों में हुए नुकसान से हमें सबक लेना होगा। कोरोना से दूरी और इसका शत्-प्रतिशत खात्मा हम तभी कर पायेंगे जब हम परहेज करेंगे। परहेज ही बढि़ उपचार है। आमतौर पर धार्मिक मौकों पर प्रसाद वितरण एक अच्छी परंपरा है परंतु हमारा मानना है कि यदि प्रसाद की पैकिंग होकर वितरित किया जाये तो यह सबके लिए अच्छा है। हम प्रसाद का सम्मान करते हैं लेकिन कोरोना के खतरे को देखते हुए जीवन की सुरक्षा भी बहुत जरूरी है। संपादकीय :सिनेमाघर होंगे गुलजार!रिजर्व बैंक के गवर्नर का 'वजन'कुफ्र टूटा खुदा-खुदा करके !धुआं-धुआं न हो उत्सवसीमा पर चीन की बगुला भक्तिपदोन्नति में आरक्षण का मुद्दादरअसल शिखा के क्षेत्र में नर्सरी से लेकर पीएचडी तक जो नुकसान पिछले डेढ़ साल में हुआ है उसकी भरपाई इतनी आसान नहीं है लेकिन यह भी सच है कि इस नुकसान की भरपाई के लिए प्रयास तो शुरू करने ही थे इसीलिए इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। जिस चीन से कोरोना फैलना शुरू हुआ यद्यपि वहां फिर रह-रहकर इसके दुबारा फूट पड़ने की खबरें उठ रही हैं। अमरीका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन आने की खबरें भी उठती रही हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वैक्सीनेशन, सोशल डिस्टेंस और मास्क के साथ-साथ सैनेटाइजर के नियमित प्रयोग से कोरोना से बचा जा सकता है। फिर भी हमारा मानना है कि खतरा अभी टला नहीं है परंतु अपनी सतर्कता के दम पर हम इसे टाल सकते हैं। आइये जीवन के सबसे अहम क्षेत्र शिक्षा को लेकर अपनी नई पीढ़ी को सतर्क रखते हुए आगे बढ़े क्योंकि नई पीढ़ी जब पढ़ेगी तभी तो आगे बढ़ेगी लेकिन सतर्कता और कोरोना के मंत्रों का पालन करना होगा तो कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

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