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लालू परिवार में मचा घमासान आरजेडी के लिए कितनी बड़ी मुसीबत?
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पंकज कुमार | लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव(Tej Pratap Yadav) ने सही अर्थों में तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लेकिन तेजस्वी भी इस बार आर पार के मूड में दिखाई पड़ रहे हैं. लालू परिवार (Lalu Family) में कई लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं इस लड़ाई में आग में घी डालने का काम कर रही हैं. ज़ाहिर है तेजप्रताप द्वारा अपने आपको दूसरा लालू घोषित करने के बाद लालू परिवार का असली वारिस कौन है इसको लेकर चर्चाएं तेज होने लगी हैं. तेजप्रताप यादव ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए रश्मिरथी में लिखी गई तीसरी संसर्ग कृष्ण की चेतावनी के माध्यम से महाभारत में घटी हुई घटना का उल्लेख कर दिया है. ज़ाहिर है लालू अब बूढ़े हो चुके हैं और उनका स्वास्थ्य भी उनका साथ नहीं दे रहा है. ऐसे में आरजेडी में वर्चस्व को लेकर तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है.
सूत्रों की मानें तो तेजप्रताप तेजस्वी के सामने खुलकर आ गए हैं. लेकिन पर्दे के पीछे से खेल करने में मीसा यादव हैं. दरअसल मीसा को इस बात की चिंता सताने लगी है कि लालू प्रसाद अपना वारिस तेजस्वी यादव को लगभग घोषित कर चुके हैं और तेजस्वी दिन पर दिन आरजेडी में पूरी तरह से मज़बूत होते जा रहे हैं. ऐसे में लालू परिवार में मीसा यादव, रोहिणी आचार्या और तेजप्रताप के भविष्य का क्या होगा इसको लेकर चिंता होना लाजिमी है.
आरजेडी के एक बड़े नेता के मुताबिक लालू प्रसाद का ये कहना कि तेजस्वी पार्टी की कमान संभालने में लालू प्रसाद से भी आगे निकल गए हैं. इसका मतलब साफ है कि लालू प्रसाद आरजेडी में अपने वारिस के तौर पर सिर्फ और सिर्फ तेजस्वी यादव को ही देखना चाहते हैं. वहीं राबड़ी देवी चाहती हैं कि तेजस्वी यादव के हाथों कमान हो लेकिन तेजप्रताप की हैसियत भी पार्टी में कम न हो. यही वजह है कि तेजस्वी, तेजप्रताप के पार्टी विरोधी बयान के बावजूद भी खुद कुछ कहने से बचते रहे हैं.
तेजप्रताप से परेशान हैं तेजस्वी यादव
लेकिन इस बार तेजप्रताप जगदानंद सिंह पर नाराज हैं क्योंकि उन्होंने बिना उनसे सलाह मशविरा लिए उनके करीबी युवा अध्यक्ष आकाश यादव को पद से हटा दिया. इतना ही नहीं तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव पर तेजप्रताप द्वारा ताबड़तोड़ हमले ने भी तेजस्वी को पूरी तरह से परेशान कर दिया है. इसलिए तेजस्वी ने तेजप्रताप को अनुशासन में रहने की नसीहत देकर अपनी मंशा साफ कर दी है, कि पार्टी के अध्यक्ष जगदा बाबू ही हैं. वहीं उनके सिपहसलार संजय यादव तेजस्वी यादव को खासे पसंद हैं.
ऐसे में तेजप्रताप का मीडिया में दोनों के खिलाफ बोलना तेजस्वी यादव को परेशान कर रहा है. तेजप्रताप संजय यादव पर जान से मरवाने की साजिश करने तक का आरोप लगा चुके हैं और पिछले साल तक खुद को कृष्ण का अर्जुन बताने वाले तेजप्रताप अब रश्मिरथी की कविता पोस्ट कर उन पर निशाना साध रहे हैं. हालांकि पार्टी में तेजस्वी यादव अपने खिलाफ किसी भी चुनौती को स्वीकार करने वाले नहीं हैं. इसलिए मामला पिता लालू प्रसाद के सामने पुरजोर तरीके से दिल्ली में रखा जा रहा है.
राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि तेजस्वी यादव ने अनुशासन की बात कह कर तेजप्रताप को आगाह कर दिया है कि उनके द्वारा कही बातों को पार्टी नजरअंदाज करने वाली नहीं है. आलम यह है कि तेजस्वी ने जगदाबाबू को बेहद अनुभवी नेता बता तेजप्रताप के करीबी आकाश यादव को हटाए जाने को लेकर भी अपनी हामी भर दी है. जबकि तेजप्रताप इस बात को लेकर लगातार गर्जना कर रहे हैं.
तेजस्वी यादव का खुलकर विरोध नहीं करते तेज प्रताप यादव
तेजप्रताप जितनी भी गर्जना करें, लेकिन उनकी हैसियत पार्टी में तेजस्वी यादव वाली नहीं है. पार्टी का कोई बड़ा नेता उन्हें गंभीरता से नहीं लेता है. इसलिए तेजप्रताप खुद तेजस्वी को सीधा निशाना नहीं बनाते हैं. लेकिन जगदानंद सिंह सहित शिवानंद तिवारी, लालू प्रसाद के बेहद करीबी नेता रामचंद्र पूर्वे समेत दिवंगत नेता रघुवंश बाबू को तो तेजप्रताप एक लोटा पानी बता सार्वजनिक तौर पर अपमानित कर चुके हैं.
जानकारों के मुताबिक बड़े बेटे होने के बावजूद आरजेडी की विरासत उन्हें नहीं मिलने वाली है, इस वजह से तेजप्रताप के मन में एक टीस तो जरूर है. इसलिए पार्टी में अपनी हैसियत साबित करने के लिए तेजस्वी यादव के करीबियों समेत पुराने नेताओं को तेजप्रताप अपना निशाना बनाते रहते हैं.
लालू की नजर में तेजस्वी हैं पार्टी को संभालने के काबिल
लालू परिवार में विरासत की लड़ाई साल 2016 में सामने आई थी. जब तेजस्वी को कमान सौंपने के बाद मीसा भारती आरजेडी की राजनीति में दखल देने लगी थीं. इससे परेशान लालू प्रसाद ने मीसा भारती को राज्यसभा में भेज दिया था. उस समय कहा गया था कि मीसा दिल्ली और लोकसभा चुनाव से जुड़ी बातें देखेंगी. वहीं, तेजस्वी यादव को तेजप्रताप के साथ बिहार की कमान सौंपी गई थी. हालांकि तेज प्रताप यादव इससे संतुष्ट नहीं थे.
बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद के जेल में रहने के बावजूद तेजस्वी यादव ने कैंपेन अपने हाथों में लेकर आरजेडी को सत्ता के बेहद करीब पहुंचा दिया था. लालू प्रसाद की नजरों में तेजस्वी के अलावा जगदानंद सिंह और संजय यादव की रणनीति आरजेडी की सफलता की कहानी गढ़ने में कामयाब रही थी. इसलिए लालू प्रसाद मोटे तौर पर तेजस्वी यादव को अपना वारिस घोषित कर चुके हैं.
तेजप्रताप को आरजेडी गंभीरता से नहीं लेती है?
आरजेडी के वोटर्स भी तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद का विकल्प मान चुके हैं और तेजप्रताप को लेकर उनके मन में नेतृत्व करने को लेकर कई सवाल हैं. तेजप्रताप यादव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा समय-समय पर सामने आती रहती है और उनके साथ इस मुहिम में मीसा समते रोहिणी की महत्वाकांक्षाओं की भी चर्चा होती है. ज़ाहिर है यही परिवार में कलह की वजह बनती है. तेजप्रताप समय-समय पर तेजस्वी को सीएम बनाने की बात भी करते रहे हैं, लेकिन लालू प्रसाद के कम सक्रिय रहने की वजह से तेजप्रताप, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और रोहिणी आचार्य भी अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं जो परिवार में कलह की वजह बनती है.
फिलहाल तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद से मीसा भारती के घर मिलने आए हैं. वहीं तेजप्रताप अपनी दूसरी बहन के घर रुककर उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत कराने वाले हैं. ज़ाहिर है राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी कहे जाने वाले लालू प्रसाद अपने घर में मची इस जंग को रोकने में कब तक और कहां तक सफल हो पाते हैं इस पर निगाहें सबकी टिकी हुई हैं.