सम्पादकीय

शेयर बाजार की बढ़ती चमक: शेयर बाजार जुआघर नहीं, अर्थव्यवस्था की चाल को नापने का है आर्थिक बैरोमीटर

Triveni
7 Aug 2021 4:38 AM GMT
शेयर बाजार की बढ़ती चमक: शेयर बाजार जुआघर नहीं, अर्थव्यवस्था की चाल को नापने का है आर्थिक बैरोमीटर
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इस समय दुनियाभर के विकासशील देशों के शेयर बाजारों की तस्वीर में भारतीय शेयर बाजार की स्थिति शानदार दिखाई दे रही है।

इस समय दुनियाभर के विकासशील देशों के शेयर बाजारों की तस्वीर में भारतीय शेयर बाजार की स्थिति शानदार दिखाई दे रही है। भारतीय शेयर बाजार का चमकीला परिदृश्य निवेशकों, उद्योग-कारोबार और सरकार, तीनों के लिए लाभप्रद है। पिछले वर्ष 23 मार्च, 2020 को जो बांबे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 25,981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह पांच अगस्त, 2021 को 54,717.24 अंकों के स्तर को छूने में सफल रहा। चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों यानी अप्रैल से जुलाई में शेयर बाजार के निवेशकों ने 31 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है। इस समय शेयर बाजार में आइपीओ लाने की होड़ मची हुई है। आइपीओ में खुदरा निवेशकों की भागीदारी 25 फीसद बढ़ी है। पिछले वित्त वर्ष में 1.4 करोड़ से ज्यादा डीमैट खाते खुले हैं। देश में डीमैट खातों की संख्या 6.5 करोड़ से ज्यादा हो गई है। यह बात महत्वपूर्ण है कि शेयर बाजार में आई तेजी की वजह से दशक में पहली बार भारत की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से ज्यादा हो गया है। इस लिहाज से बाजार पूंजीकरण और जीडीपी का अनुपात 100 फीसद को पार कर गया है। अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, हांगकांग, कनाडा, आस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों में भी यह अनुपात 100 फीसद से अधिक है।

शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने के कई कारण
देश में शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने के कई कारण दिखाई दे रहे हैं। निवेशक यह देख रहे हैं कि कोरोना की चुनौतियों के बीच वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर आठ से नौ फीसद पहुंच सकती है। वहीं भारत समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने बाजार में बड़ी मात्रा में पूंजी डाली है। ऐसे में इस समय ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से नीचे हैं। निवेशक यह भी देख रहे हैं कि करीब छह फीसद से अधिक के मुद्रा प्रसार के बीच फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) पर प्राप्त होने वाला लाभ शेयर बाजार के लाभ से कम हैं। अमेरिका के साथ भारत के अच्छे संबंधों की संभावनाओं से निवेशकों की धारणा को बल मिला है। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा मजबूत होने से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में ज्यादा पूंजी लगाने में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। वहीं चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने वृद्धि दर और राजस्व में बढ़ोतरी को लेकर जो एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है, उससे भी शेयर बाजार को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। दरअसल वित्त मंत्री ने बजट में प्रत्यक्ष करों और जीएसटी में 22 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। विनिवेश से प्राप्त होने वाली आय का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8 फीसद तक विस्तारित करने में कोई संकोच नहीं किया है।
निजीकरण को बढ़ावा
बजट में सरकार निजीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ बीमा-बैंकिंग, विद्युत और कर सुधारों की डगर पर आगे बढ़ी है। इससे भी शेयर बाजार को गति मिली है। चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, विनिर्माण तथा र्सिवस सेक्टर को भारी प्रोत्साहन शेयर बाजार के लिए लाभप्रद है। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने से इस क्षेत्र को नई पूंजी प्राप्त करने और कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। 20,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ ढांचागत क्षेत्र पर केंद्रित नए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (डीएफआइ) की स्थापना अच्छा कदम है। टीडीएस नियम भी सरल बनाने की पहल की गई है। बजट में कारपोरेट बांड बाजार की मदद के लिए एक स्थायी संस्थागत ढांचा तैयार करने की कोशिश की गई है। बिजली वितरण क्षेत्र को उबारने के लिए बजट में 3,00,000 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। वित्त मंत्री ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बोझ से दबे सरकारी बैंकों के पुनर्पंूजीकरण के लिए 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। सरकार ने आइडीबीआइ बैंक के अलावा दो अन्य सार्वजनिक बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है। बजट में लाभांश पर स्पष्टता सुनिश्चित की गई है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और निवेशक बाजार में धन लगाने के लिए आर्किषत हो रहे हैं। यद्यपि छोटे और ग्रामीण निवेशकों की दृष्टि से शेयर बाजार की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाना जरूरी है। लोगों को यह समझाया जाना होगा कि शेयर बाजार कोई जुआघर नहीं है। यह तो देश की अर्थव्यवस्था की चाल को नापने का एक र्आिथक बैरोमीटर है।
शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं
नि:संदेह इस समय भारत में शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं, लेकिन जिस तरह लंबे समय से सुस्त पड़ी हुई कंपनियों के शेयर की बिक्री कोविड-19 के बीच तेजी से बढ़ी है, उससे शेयर बाजार में जोखिम भी बढ़ गया है। इसका सबसे अधिक ध्यान रिटेल निवेशकों को रखना होगा। ऐसे में शेयर बाजार में हर कदम फूंक-फूंककर रखना जरूरी है। शेयर बाजार की ऊंचाई के साथ-साथ छोटे निवेशकों के हितों और उनकी पूंजी की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है। सरकार द्वारा शेयर और पूंजी बाजार को मजबूत बनाने की डगर पर आगे बढ़ने के लिए सेबी की भूमिका को और प्रभावी बनाया जाना होगा।
शेयर बाजार कोविड-19 से ध्वस्त कारोबार को पुनर्जीवित करने में निभाएगा प्रभावी भूमिका
हम उम्मीद करें कि कोविड-19 से ध्वस्त देश के उद्योग-कारोबार सेक्टर को पुनर्जीवित करने में शेयर बाजार बहुत प्रभावी भूमिका निभाएगा। निवेशक शेयर बाजार का लाभ लेने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे। वहीं केंद्र सरकार भी चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ेगी।


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