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पेल्हू गुरु बनारसी पंडों के प्रतिनिधि चरित्र, देशी ही नहीं विदेशियों का भी परलोक सुधारते
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बनारस के पंडे दुनिया भर में मशहूर हैं. वे लोक से लेकर परलोक, पुनर्जन्म और मोक्ष तक का हिसाब चुटकियों में सेट कर देते हैं. पितरों को तार देते हैं, बाधाओं को निवार देते हैं, दुश्मनों को मार देते हैं. बनारस के पंडे अपनी अद्बभुत छिपी हुई ताकत से कुछ भी कर सकते हैं. वे अमेरिकी एटमी मिसाइलों से सुरक्षा का कवच तैयार कर सकते हैं. वे नासा से पहले मनुष्य को मंगल ग्रह पर सशरीर भेज सकते हैं. और आप ये जानते हुए भी कि ये सब असंभव है, उन पर यकीन भी कर लेते हैं. यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है. पेल्हू गुरु बनारसी पंडों के प्रतिनिधि चरित्र थे. लम्बे चौड़े, गौर वर्ण, पूरे ललाट पर अष्टछाप चंदन और बीच में रोली का गोल टीका. मुंह में पान की गिलौरी, आंखों में सूरमा, नंग धड़ंग बदन। " सच्चा हीरा" ब्रांड की मसलिन धोती, कन्धे पर सोने की जरी वाला डबल बॉर्डर का दुपट्टा. गले में रुद्राक्ष आदि की दर्जन भर माला उनकी बांहों की गुल्लियां उनके कसरती शरीर की गवाही देती थीं. संस्कृत के नाम पर सिर्फ़ "मासानाम उत्तमे मासे 'मासानां अमुक मासे ,अमुक पक्षे ,जम्बू द्वीपे भरत खण्डे आर्यावर्त देशान्तरगते अमुक नाम संवतसरे …. पिता का नाम लीजिये, गंगा मइया का नाम लीजिये और फिर समर्पयामि कराते हैं"…..गुरूआ को बस इतना ही आता था. हां संकल्प मंत्र को पढ़ते-पढ़ते उसी स्टाइल में ही गुरूआ कभी-कभी मां बहन की धारा प्रवाह गाली भी देता था. पेल्हू गुरू मुंह अंधेरे ही घाट के अपने ठीहे पर आ जाते. च्यवनप्राश का सेवन करते, वहीं दंड पेलते. बावजूद उनका पेट कोहडे़ की तरह निकला था. फिर पेल्हू आराम से भांग छान अपने आसन पर विराज स्नानार्थियों का परलोक सुधारते.