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जब तथ्य पर इस तरह का विवाद हो, तो दुनिया के सामने सच लाने का सबसे बेहतरीन रास्ता क्या है?
जब तथ्य पर इस तरह का विवाद हो, तो दुनिया के सामने सच लाने का सबसे बेहतरीन रास्ता क्या है? वो रास्ता यह होगा कि अधिक से अधिक मीडियाकर्मियों को वहां पहुंचने दिया जाए। इस बारे में तमाम तरह के जितने तथ्य सामने आएंगे, लोग उनके जरिए सच का अंदाजा लेने की बेहतर स्थिति में होंगे।
त्रिपुरा और केंद्र सरकारों ने औपचारिक रूप से कहा है कि अक्टूबर में राज्य में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों पर कोई ज्यादती नहीं हुई। इस दौरान कोई मस्जिद नहीं तोड़ी गई। जबकि कई मीडिया रिपोर्टों और अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ संगठनों के बयानों अत्याचार और मस्जिदों में तोड़फोड़ के आरोप लगाए गए हैँ। जब तथ्य पर इस तरह का विवाद हो, तो दुनिया के सामने सच लाने का सबसे बेहतरीन रास्ता क्या है? जाहिर है, वो रास्ता यह होगा कि अधिक से अधिक मीडियाकर्मियों को वहां पहुंचने दिया जाए। इस बारे में तमाम तरह के और अलग-अलग विवरणों वाले जितने तथ्य सामने आएंगे, लोग उनके जरिए सच का अंदाजा लेने की बेहतर स्थिति में होंगे। इसीलिए वहां रिपोर्टिंग के लिए जा रही दो युवा पत्रकारों को गिरफ्तार की घटना सरकार के लिए खुद को नुकसान पहुंचाने वाला कदम माना गया।
हालांकि अब ऑनलाइन मीडिया एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क की पत्रकारों- समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को जमानत मिल गई है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी समस्याग्रस्त थी। दोनों को असम में हिरासत में लिया गया। इस बारे में असम सरकार के बयान से शक और गहराया। पत्रकारों को असम के सिलचर जाते वक्त हिरासत में लिया गया था। न्यूज नेटवर्क के बयान के मुताबिक असम पुलिस ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ कोई केस नहीं है लेकिन त्रिपुरा पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने के लिए कहा। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी, 153-ए और 504 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। यह एफआईआर विश्व हिंदू परिषद के एक सदस्य की शिकायत के बाद दर्ज की गई। त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि कथित रूप से झूठी खबर प्रकाशित करने के आरोप में हिरासत में ली गईं दो महिला पत्रकारों को सांप्रदायिक नफरत फैलाने में शामिल पाया गया था। लेकिन अगर ये बात सच है, तो क्या पहले इस बारे में दोनों के खिलाफ अदालत से वारंट जारी नहीं करवाया जाना चाहिए था? सीधे गिरफ्तारी का आखिर क्या तर्क हो सकता है? एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के मुताबिक स्थानीय पुलिस ने महिलाओं को गिरफ्तार करने और उन्हें देर रात हिरासत में लेने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से निर्धारित सभी मानदंडों की अवहेलना की। पत्रकार प्रशासन के संपर्क में थीं। पुलिस ने उन पर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्हें सही ठहराने के लिए उसने अभी तक कोई साक्ष्य नहीं दिया है।
नया इंडिया
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Gulabi
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