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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन कृषि कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक के बावजूद किसान संगठनों का अड़ियल रवैया कायम है। यही कारण है कि किसान संगठनों के साथ सरकार की दसवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। किसान संगठन तीन नए कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी की मांग पर अड़े हैं। उनका सबसे ज्यादा जोर एमएसपी पर सरकारी खरीद की गारंटी पर है। इसमें दोराय नहीं कि कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों को एक निश्चित आमदनी सुनिश्चित कराने में एमएसपी की अहम भूमिका रही है, लेकिन फिर एमएसपी वोट बैंक की राजनीति का जरिया बन गया। नेताओं में राजनीतिक हित लाभ के लिए ऊंचा एमएसपी घोषित करने की होड़ मच गई। यदि एमएसपी का सबसे ज्यादा फायदा पंजाब के किसानों को मिला तो उसके दुष्परिणाम भी उसे ही झेलने पड़े हैं। शायद इसी कारण किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु भी पंजाब बन चुका है। एमएसपी की राजनीति को समझने के लिए पंजाब से बेहतर दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता।