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सवाल यह उठा है कि क्या यह सरकार का पूर्ण और ठोस आकलन पर आधारित स्वतंत्र निर्णय है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्वैड शिखर बैठक के लिए रवाना होने से पहले ये खबर आ गई भारत ने अक्टूबर से फिर से कोरोना वैक्सीन का निर्यात शुरू करने का फैसला किया है। भारत दोनों डोज के साथ पूरे टीकाकरण की दर काफी नीचे है। ऐसे में भारत सरकार का ताजा फैसला कितना उचित है? corona vaccine export India
जिस रोज ये एलान हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने क्वैड्रैंगुलर सिक्युरिटी डायलॉग (क्वैड) के सदस्य देशों को आमने-सामने पहले शिखर के लिए ह्वाइट हाउस आमंत्रित किया है, उसी दिन अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एक्सियोस.कॉम ने ये खबर छापी बाइडेन प्रशासन ने भारत पर कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर से रोक हटाने के लिए दबाव बना रखा है। वेबसाइट ने खबर दी कि 24 सितंबर को क्वैड शिखर बैठक में कोविड-19 की समस्या एक अहम मुद्दा होगी और बाइडेन प्रशासन उसके पहले भारत से वैक्सीन के मामले पर फैसला चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस शिखर बैठक के लिए रवाना होने से पहले ये खबर आ गई भारत ने अक्टूबर से फिर से कोरोना वैक्सीन का निर्यात शुरू करने का फैसला किया है। भारत की आबादी में अभी भी दोनों डोज के साथ पूरे टीकाकरण की दर काफी नीचे है। ऐसे में यह सवाल अपनी जगह अहम है कि भारत सरकार का ताजा फैसला कितना उचित है? लेकिन अगर सरकार का यह सचमुच आकलन हो कि अब निर्याता शुरू करने से भारत में टीकाकरण पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, तो उसे बेशक इस बारे में फैसला लेने का अधिकार है। मगर मुश्किल इस निर्णय के साथ गए संदेश से है।
सवाल यह उठा है कि क्या यह सरकार का पूर्ण और ठोस आकलन पर आधारित स्वतंत्र निर्णय है? या यह फैसला सरकार की अमेरिका केंद्रित विदेश नीति को सुगम बनाने के लिए लिया गया है? यहां ये तथ्य गौरतलब है कि अमेरिका में जरूरत से ज्यादा टीके का उत्पादन के बावजूद अमेरिका सरकार ने अपनी आबादी के हितों को लगातार प्राथमिकता दे रखी है। अब वहां बूस्टर डोज के तौर पर तीसरा डोज लगाने का फैसला हुआ है।
इसलिए अमेरिका में उत्पादित टीका निर्यात के लिए- और खास कर गरीब देशों को टीका मुहैया कराने के लिए बने कोवाक्स के तहत आपूर्ति के लिए उपलब्ध नहीं है। जबकि अमेरिका यह भी नहीं चाहता कि कथित वैक्सीन कूटनीति में चीन की बढ़त बनी रहे। इसीलिए मार्च में हुई क्वैड की वर्चुअल शिखर बैठक में वैक्सीन सहायता के लिए इसके एक करोड़ डोज के उत्पादन का संकल्प जताया गया था। क्वैड में शामिल जापान और ऑस्ट्रेलिया के पास टीका बनाने की क्षमता नहीं है। तो बात भारत पर आ टिकी है। अगर इस नजरिए से भारत ने फैसला किया है, तो उसे अपनी आबादी के हितों से समझौता करने के अलावा और क्या समझा जाएगा?
क्रेडिट बाय नया इंडिया
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