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- किसान भारत की शान
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतवर्ष को कृषि प्रधान देश इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी जनसंख्या के सर्वाधिक लोग खेती पर ही निर्भर निर्भर करते हैं और देश की आधारभूत अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके साथ यह भी हकीकत है कि आजादी के बाद पिछले 73 वर्षों में राष्ट्रीय सकल उत्पाद में कृषि क्षेत्र का हिस्सा घट कर अब 18 प्रतिशत के लगभग ही रह गया है मगर इसके बावजूद यह क्षेत्र रोजगार उपलब्ध कराने में सबसे ऊपर है। गौर से देखें तो खेती केवल किसानों को ही रोजगार नहीं देती बल्कि भूमिहीन मजदूरों से लेकर ग्रामीण दस्तकारों व शिल्पकारों और कारीगरों को भी जीविका प्रदान करती है। इन वर्गों की आय किसान की आय से ही जुड़ी होती है। अतः जिस राज्य में भी किसानों की आय में सतत् वृद्धि स्थायी भाव लेकर साल दर साल हुई है उस राज्य के लोगों की माली हालत में सुधार इस तरह हुआ है कि लोगों की जीविका के साधन में तब्दीली आयी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब, हरियाणा व प. उत्तर प्रदेश के इलाके हैं। इन क्षेत्रों के किसानों ने आधुनिकतम कृषि तकनीकों व उपकरणों से अपनी उपज बढ़ा कर दुतरफा तरक्की की है जिसका असर यहां के समग्र समाज पर पड़ा है। एक तो किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई और दूसरे खेती से निकल कर लोग दूसरे व्यवसायों की तरफ गये।