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सम्पादकीय
ऋषि सुनक के ब्रिटेन के पीएम बन जाने की संभावना और भारत के इतिहास की एक करवट
Rounak Dey
28 July 2022 1:39 AM GMT

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भारत अंग्रेजों की 200 सालों की गुलामी के बाद जब 15 अगस्त 1947 में आजाद हुआ तो उस उपमहाद्वीपीय देश की स्वतंत्रता कई मायनों में संदेह के घेरे में थी। दुनिया देख रही थी कि आजाद हो रहा हिंदुस्तान आखिर किन लोगों के हाथों, किस दिशा में आगे बढ़ेगा। भरोसा मजबूत नहीं था और पूरा भारत एक तरह से अंधकार में दिखाई पड़ता था।
एक दौर ऐसा भी था जब दुनियाभर के अखबार और मीडिया भारत की आजादी और आजादी के बाद के भारत को लेकर नक्शा खींच रहे थे। कहा जाए तो नुक्ताचीनी कर रहे थे ऐसे में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था-
"सत्ता धूर्तों, दुष्टों और बदमाशों के हाथों में जाएगी। भारत के सभी नेता कम क्षमता वाले और कमजोर लोग हैं। इनके पास इनकी मीठी जुबान है लेकिन ये दिल से मूर्ख हैं। ये सत्ता के लिए आपस में लड़ेंगे और भारत राजनैतिक झगड़ों में फंस जाएगा। एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब भारत में हवा और पानी पर भी टैक्स लगाया जाएगा।"
बाहरहाल, ये अतीत की वे बातें हैं जिन्हें 21वी सदी के भारत में सालों पहले भुलाकार उन्नति की राह पर आगे बढ़ गया है। और इतना आगे बढ़ गया है कि आज जबकि देश आजादी के 75 साल बाद, अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, उसी समय भारतीय मूल के 42 वर्षीय ब्रिटिश राजनेता ऋषि सुनक ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की रेस में बने हुए हैं। ब्रिटेन की सत्ता के सबसे ताकतवर शख्स की रेस में किसी मूल रूप से भारतीय का होना पूरी दुनिया में सबसे बड़ी खबर है।
नागों, सांपों, सपेरों के देश की उपमाओं से नवाजे जाने वाले एक राष्ट्र का कोई ऋषि नाम की शख्सियत का केवल ब्रिटेन की पीएम की रेस में शामिल होने की आहट इतना व्यापक है तो जरा सोचिए जिस दिन ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए उस दिन इतिहास का एक सिरा पलट जाएगा और वह अपने नये अध्यायों की ओर बढ़ जाएगा।
ये और बात है कि ऋषि सुनक का पीएम बनकर भारत के प्रति अपनी नीतियों, योजनाओं और हितों को लेकर रुख अलहदा हो जाए लेकिन उनका पीएम बन जाना एक बड़ी खबर होगी जिसके दो ओर इतिहास अपनी करवट लिए बैठेगा।
ऋषि सुनक की दुनिया और ब्रिटेन
ऋषि सुनक कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य हैं और 2020 में बोरिस जॉनशन की सरकार में वित्त मंत्री बने थे। जॉनसन के खिलाफ पार्टी में असंतोष बढ़ने के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। इस्तीफ़ा देते हुए उन्होंने कहा था कि लोग सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह गंभीरता और ठीक से काम करे।
2015 से यॉर्कशर के रिचमंड से कंज़र्वेटिव सांसद चुने जा रहे सुनक का जन्म हैंपशर के साउथहैम्टन में हुआ था। विंचेस्टर कॉलेज में पढ़ाई के बाद उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उन्हें स्टैंडफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से भी डिग्री हासिल है।
राजनीति में आने से पहले उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम किया और एक निवेश फर्म को भी स्थापित किया। वित्त मंत्रालय का प्रभार मिलने से पहले वे आवास, समुदाय और स्थानीय सरकार मंत्रालय में संसदीय अवर सचिव थे।
भारत में जड़ें और भारतीयता
ऋषि सुनक के दादा दादी का जन्म भारत में हुआ था और बाद में वे लोग पूर्वी अफ्रीका चले गए थे। सुनक के पिता का जन्म केन्या में हुआ था जबकि माता उषा सुनक का जन्म तनजानिया में हुआ था। 1960 के दशक में सुनक के दादा-दादी ब्रिटेन आ गए।
ऋषि सुनक 12 मई 1980 को साउथेम्प्टन में पैदा हुए थे। सुनक ने 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की एक सुरक्षित टोरी सीट जीतकर राजनीतिक पारी शुरू की थी। इसके अलावा, सुनक, इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं। उन्होंने अक्षता मूर्त से साल 2009 में शादी की थी. बेंगलुरु में दोनों की शादी हुई थी और उनके दो बच्चे हैं।
अक्षता मूर्ति के पास इंफोसिस के शेयर हैं और उनकी निजी संपत्ति का मूल्य ब्रिटेन की महारानी की संपत्ति से भी अधिक है. ऋषि सुनक ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स (लोकसभा) में सबसे अमीर लोगों में से हैं यह उनके लिए मुसीबत भी बन सकती है।
ब्रिटिश राजनीति में दक्षिण एशियाई उम्मीदवारों का उभरना काफी दिलचस्प है और देश के राजनीतिक इतिहास में एक बड़े बदलाव को दिखाता है।
सोर्स: अमर उजाला

Rounak Dey
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