सम्पादकीय

पीएम की कुर्सी तो गई ही, क्या भारत की बार-बार तारीफ़ करने वाले इमरान खान को जनता फिर से गले लगाएगी ?

Rani Sahu
10 April 2022 9:35 AM GMT
पीएम की कुर्सी तो गई ही, क्या भारत की बार-बार तारीफ़ करने वाले इमरान खान को जनता फिर से गले लगाएगी ?
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पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली (National assembly) में इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव हार चुके हैं

यूसुफ़ अंसारी

पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली (National assembly) में इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव हार चुके हैं. पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक पहले से ही मान रहे थे कि इमरान सरकार का गिरना तय है. इमरान को इसका पूरा अहसास था पर वो शायद जनता के बीच शहीद होना चाहते थे. पर जिस तरह इमरान खान (Imran khan) ने पिछले दिनों भारत की तारीफ की है क्या उसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि पाकिस्तान (Pakistan) की जनता उन्हें माफ करने वाली है? इमरान ख़ान ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले शुक्रवार रात को देश के नाम अपने संबोधन में चौथी बार भारत की जमकर तारीफ़ की. इस पर उन्हें मरियम नवाज़ समेत कई विपक्षी नेताओं ने भारत जाने की नसीहत दे डाली. यह निश्चित है कि पाकिस्तान की सियासत में भारत की तारीफ के ये 2 बोल इमरान का पीछा इतनी जल्दी नहीं छोड़ने वाले हैं.
ऐसे हालात में सवाल पैदा होता है कि आख़िर इमरान ख़ान बार-बार भारत की तारीफ क्यों कर रहे थे ? क्या इससे उनकी पार्टी को अगले चुनाव में फायदा होगा? इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक भी कर रहे हैं. पिछले एक महीने में इमरान ख़ान ने कम से कम आधा दर्ज़न बार किसी न किसी बहाने भारत और मोदी सरकार की नीतियों की जमकर तारीफ़ की है. राजनीतिक विश्लेषक अचानक उमड़े इमरान ख़ान के भारत प्रेम के निहितार्थ तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इमरान ख़ान और उनकी पार्टी अगले आम चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. उन्हें पता है कि उनकी सरकार गिरने के बाद जो भी सरकार बनेगी वो ज्यादा दिन नहीं चलेगी, देर-सबेर चुनाव होने ही हैं. लिहाज़ा जनता का बीच अपनी बात रख कर अगले चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई जाए. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या इस मकसद को हासिल करन में इमरान का भारत प्रेम मददगार साबित होगा.
चुनावी मुद्दा बन सकता है आज़ाद विदेश नीति का वादा
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर पैनी नज़र रखने वाले और विदेश नीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक इस बारे में पूछे जाने पर कहते हैं, अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि इससे इमरान ख़ान को फायदा होगा या नहीं. इससे पाकिस्तान में उनके ख़िलाफ़ माहौल भी बन सकता है. हालांकि है ये बहुत अच्छी बात. इससे पाकिस्तान का भला भी हो सकता है. ये भी हो सकता है कि वहां के लोगों को लगे कि पाकिस्तान को भी भारत की तरह एक संप्रभु देश बनना चाहिए. इमरान से पहले आसिफ़ अली ज़रदारी ने भी कहा था हर पाकिस्तानी के दिल में हिंदुस्तान धड़कता है. चलो अच्छा है. बुरा नहीं है. इससे पाकिस्तान को फायदा भी हो सकता है. वो आगे कहते हैं कि हाल ही में इमरान ख़ान ने चार बार भारत की आज़ाद विदेश नीति की खुले दिल से तारीफ़ की है. इसके खिलाफ पाकिस्तान में उनके खिलाफ कोई गुस्सा नहीं देखा गया. इससे लगता है कि वहां की जनता इमरान ख़ान के आज़ाद विदेश नीति देने के वादे पर भरोसा कर सकती है.
सेना पर अंकुश की कोशिश
वेद प्रताप वैदिक के मुताबिक़ मौजूदा समय में इमरान ख़ान पाकिस्तान में सबसे बड़े जनाधार वाले और लोकप्रिय नेता हैं. वहां की जनता की उन पर भरोसा है. इसी लिए पिछले चुनाव में उनकी पार्टी सौ से ज्यादा सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. अगले चुनाव में उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल सकता है. अगर इमरान खान पूर्ण बहुमत से सत्ता में आते हैं वो वहां सरकार पर सेना के वर्चस्व को ख़त्म कर सकते हैं. इमरान ख़ान ने अपनी सरकार के कामकाज में सेना की दखलंदाज़ी का काफी हद तक विरोध क्या है. चाहे सीआईए चीफ बनने का मामला हो या फिर सेनाध्यक्ष बाजवा को एक्सटेंशन देने का मामला रहा हो. दोनो ही मामले में इमरान झुके नहीं. पाकिस्तान की जनता भी वहां लोकतंत्र को मजबूत होते देखना चाहती है. ये तभी संभव है जब वहां सेना लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी हुई सरकार के काम काम में गैरज़रूरी दख़लंदाज़ी न करे. इमरान यही वादा कर रहे हैं. लिहाज़ा जनता ने उन् पर भरोसा किया तो वो अगले चुनाव में पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी कर सकते हैं.
पाकिस्तानी जनका की नब्ज़ पर हाथ
लगता है इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की जनता की नब्ज़ पकड़ ली है. हर की जनता अपने देश को दुनियाभर में सम्मान पाते देखना चाहती है. पाकिस्तानी जनता भी इसका अपवाद नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले कई साल से पाकिस्तान की खूब किरकिरी हो रही है. इमरान ख़ान खुल आम क़ुबूल कर चुके हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय उन पर कई पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया जबकि चीन ने खामोश रहने का दबाव बनाया. इमरान ने पहली बार भारतीय विदेश नीति की तारीफ़ भी इसी संदर्भ में की थी. तब उन्होंने एक जनसभा में कहा था कि इन देशों की इतनी हिम्मत नहीं है कि वो ऐसा दबाव भारत पर बना सकें क्योंकि उसकी आज़ाद विदेश नीति है. इसी के साथ उन्होंने पाकिस्तानी अवाम से वादा किया था वो भारत की तरह ही पाकिस्तान की विदेश नीति को दुनिया के बड़े देशों के दबाव से आज़ाद करना चाहते हैं. तब से इमरान ख़ान कई बार ये बात दोहरा चुके हैं.
इस्तीफे से एक दिन पहले भी बांधे तारीफ़ों के पुल
ग़ौरतलब है कि कुर्सी पर ख़तरे के बीच इमरान ख़ान ने शुक्रवार की रात को राष्ट्र को संबोधित करने के दौरान एक बार फिर उन्होंने अमेरिका की बुराई की और भारत की जमकर तारीफ़ की. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से एक दिन पहले इमरान खान ने देश के नाम संबोधन में भारत की तारीफ़ करते हुए कहा कि हिंदुस्तान एक खुद्दार मुल्क है.
किसी सुपर पावर की हिम्मत नहीं है कि भारत के खिलाफ़ साजिश करे. उन्होंने कहा कि हमारी विदेश नीति आजाद होनी चाहिए. उन्होंने फिर कहा कि हमारी विदेश नीति भारत जैसी होनी चाहिए. इमरान खान बोले हिंदुस्तान के खिलाफ किसी भी दूसरे देश की की हिम्मत नहीं कि वो उसके ख़िलाफ़ कुछ भी कह सके. भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता. इमरान खान ने अमेरिका पर अपनी सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया. इमरान खान ने कहा कि सीक्रेट कोड की वजह से साजिश की चिट्ठी जनता के सामने नहीं रख सकता. उन्होंने बताया कि चिट्ठी में लिखा गया था कि इमरान खान को माफ़ नहीं कर सकते हैं.
मोदी के नक़्शे क़दम पर इमरान
भारत और मोदी सरकार स प्रभावित इमरान खान कई मामलों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नक़्शे क़दम चलने लगे हैं. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वो साढ़े पांच करोड़ गुजरातियों की बात करते थे. प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनते ही उन्होंने सवा सौ करोड़ भारतीयों की बात करनी शुरु कर दी थी. इसी तर्ज पर इमरान ख़ान पूरे पाकिस्तान यानि 22 करोड़ पाकिस्तानियों की बात करने लगें हैं. देश के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हम 22 करोड़ लोग हैं. 22 करोड़ लोगों को कोई हुक्म दे रहा है कि अगर आपका प्रधानमंत्री बच जाता है तो आपको इसका अंजाम भुगतना होगा. इमरान खान ने कहा कि कुछ महीनों पहले अमेरिका के डिप्लोमेट हमारे लोगों से मिल रहे थे. इमरान खान ने कहा वो अमेरिका विरोधी नहीं हैं, लेकिन साजिश के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रची. हमारे राजदूत ने अमेरिकी राजदूत से बात की थी. शहबाज शरीफ़ को सभी बातों की जानकारी थी. हम पैसे लेते हैं इसलिए हमारी इज्जत नहीं होती. उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं को डॉलर का लालच है.
जनता से जम्हूरियत की हिफाज़त की करते रहे अपील
इमरान खान मोदी की तर्ज पर सारे फैसले अपने देश की जनता पर छोड़ते रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी कहते थे, देश के लूटने वालो को जनता माफ नहीं करेगी. इमरान भी पाकिस्तान में कहते रहे हैं कि फ़ौसला कौम (देश की जनता) को करना है कि वो अपनी जम्हूरियत की हिफाज़त करे. जहां विपक्षी दल संविधान बचाने के नाम पर इमरान ख़ान की सरकार को गिराने पर तुले हुए थे वहीं इमरान पाकिस्तान में लोकतकंत्र को बचाने और देश में उसकी जड़े मज़बूत करने की दुहाई देकर अपनी पार्टी के लिए समर्थन मांग रह थे. उन्हें भरोसा है कि उन्हें अगले चुनाव में वहां की जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा. जैसा कि वेदप्रताप वैदिक कहते हैं के पाकिस्तान में इमरान खान सबसे लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा भरोसंमंद नेता हैं. लिहाज़ा वहां की जनता उन्हें अन्य नेताओं के मुक़ाबले ज़्यादा गंभीरता से लेती है. मौजूदा राजनीतिक संकट से जनता में उनके प्रति सहानुभूति बढ़ेगी. इस, फायदा उन्हें निश्चित तौर पर अगले चुनाव में मिलेगा.
पाकिस्तान की राजनीति में इमरान ख़ान कोई वंडर ब्वाय की तरह नहीं आए. बल्कि उन्होंने अपने बूते धीरे-धीरे अपनी जगह बनाई और देश के प्रधानमंत्री बने.1996 में तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान पार्टी बनाने के 22 साल बाद इमरान ख़ान गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने. 2018 के चुनाव में उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला था लेकिन वो 116 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. बाकी पार्टियां आस पास भी नहीं ठहर पाई थीं. उन्होंने कई पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई थी. खास बात ये है कि इमरान ख़ान ने पांच सीटों से चुनाव लड़ा था और पांचों ही सीटों पर वो जीते थे. ये पाकिस्तान में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को दिखाता है. इससे पहले 1970 में जुल्फिकार अली भुट्टो चार सीटों से चुनाव लड़े थे लेकिन वो तीन सीटों पर ही जीत पाए थे. अगर मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में इमरान सरकार के गिरने से उन्हें सहानुभूति मिल सकती है. इससे उन्हें अगले साल होने वाले चुनाव में फायदा हो सकता है.
Rani Sahu

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