सम्पादकीय

नवरात्र के नौ दिन यही सिखाते हैं कि किस प्रकार सावधानी से अपनी ऊर्जा का सदुपयोग किया जाए

Rani Sahu
13 Oct 2021 3:23 PM GMT
नवरात्र के नौ दिन यही सिखाते हैं कि किस प्रकार सावधानी से अपनी ऊर्जा का सदुपयोग किया जाए
x
हमने विद्यार्थी के रूप में पहली कक्षा में जो पढ़ाई की थी क,ख,ग.. की, वह बाद की ऊंची कक्षाओं में काम नहीं आती

पं. विजयशंकर मेहता हमने विद्यार्थी के रूप में पहली कक्षा में जो पढ़ाई की थी क,ख,ग.. की, वह बाद की ऊंची कक्षाओं में काम नहीं आती, लेकिन पढ़ने का अंदाज जिंदगी भर उपयोगी रहता है। इसीलिए नवरात्र में हमें पूजा-पाठ के माध्यम से देवीय शक्ति से जुड़ना चाहिए। इन दिनों में हम अपने संसार, संपत्ति, स्वास्थ्य, संतान, संबंध, समय और साधना के प्रति अतिरिक्त होश जगा सकते हैं। इस समय सबसे महत्वपूर्ण है स्वास्थ्य।

महामारी के दुखदायी दौर के बाद हम बीमारी की दोधारी तलवार पर चल रहे हैं। इसलिए आरोग्य के लिए प्रकृति से जुड़ा जाए। देवी भागवत के नौवें स्कंध में 'प्रकृति पंचक' प्रसंग आया है, जिसका सीधा संबंध स्वास्थ्य से है। दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री और राधा, इन पांच देवियों को प्रकृति माना गया है। प्रकृति शब्द की व्याख्या संतों ने इस प्रकार की है- प्र=सतोगुण, कृ=रजोगुण और ति=तमोगुण। हमें इन तीनों गुणों का उपयोग भी करना है, लेकिन संतुलन के साथ।
कब-कौन सा गुण बढ़ाना है, किसे नियंत्रित करना है यही प्रकृति सिखाती है। इस समय हमने अपनी बाहर की दुनिया में एक मेला-सा लगा लिया है और भीतर के झूले पर अभी भी सन्नाटा ही झूल रहा है। कई लोगों के जीवन में अब भी उदासी छाई हुई है। इसलिए बाहर की दुनिया में संभलकर कदम रखिएगा। नवरात्र के नौ दिन यही सिखाते हैं कि किस प्रकार सावधानी से अपनी ऊर्जा का सदुपयोग किया जाए।


Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story