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इस समय फ्रांस में बनाया जा रहा एक नया कानून सभी जगह चर्चा का कारण बना हुआ है।
इस समय फ्रांस में बनाया जा रहा एक नया कानून सभी जगह चर्चा का कारण बना हुआ है।हालांकि, इससे संबंधित एक बिल फ्रांस के निचले सदन में ही पारित हुआ। अभी ऊपरी सदन में पारित होने में एक माह का समय बचा हुआ है। किंतु उसकी यह पहल फ्रांसीसी समाज की बदलती मानसिकता का प्रतीक है। बिल में फ्रांस की धर्मनिरपेक्षता, उदारता, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व जैसे फ्रांसीसी क्रांति के मूल्यों को बचाने की चर्चा की गई है। इसके साथ ही मस्जिद के इमामों की अरब मुल्कों में दी जा रही ट्रेनिंग, मस्जिदों-मदरसों में छोटे-छोटे बच्चों को मजहबी तालिम देने पर आपत्ति जताई गई है।
पढ़ाई के लिए मस्जिद के स्थान पर स्कूलों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इंटरनेट पर मौलानाओं के पैगाम को रोककर उन पर प्रतिबंध लगाने का जिक्र किया गया है। मुस्लिमों द्वारा एक से ज्यादा विवाह करने और जबरिया निकाह पर रोक लगाने, विवाह पूर्व स्त्रियों के कौमार्य की जांच करने, मजहबी तालिम देने वाली संस्थाओं को प्रतिबंधित करने जैसे कई प्रविधान किए गए हैं। इसमें फ्रांसीसी पुलिस को यह अधिकार होगा कि वह मस्जिदों-मदरसों की निगरानी कर सकेगी या आवश्यकता पड़ने पर इनको बंद करने की भी पहल कर सकेगी।
फ्रांस की उदार सांस्कृतिक परंपराओं को बचाने की बात करते रहे हैं मैक्रों
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों लंबे समय से फ्रांस की उदार सांस्कृतिक परंपराओं को बचाने की बात करते रहे हैं। माना जा रहा है कि यह कानून उसी की दिशा में एक मजबूत पहल है। हालांकि वहां की कुछ विपक्षी पार्टयिां इसे उनका एक नया राजनीतिक स्टंट करार दे रही हैं। वे कह रही हैं कि इस तरह मैक्रों अगले चुनाव में फ्रांसीसी जनता का समर्थन पाना चाहते हैं। विपक्षी दल यह भी कह रहे हैं कि कुछ लोगों के गलत कार्यो के लिए पूरे समुदाय को दोषी मानना अनुचित है।
भारत सरकार ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी
फ्रांस में बन रहे इस नए कानून पर भारत सरकार ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, किंतु जिहादी आतंकवाद से भारतीय मूल्यों के खतरे में पड़ने जैसी चिंताए यहां भी बढ़ती जा रही हैं। कई विचारक यह स्वीकार कर चुके हैं मिलीजुली संस्कृति, धर्मनिरपेक्षता, सह अस्तित्व जैसी वर्तमान की अवधारणा से जिहादी विचारधारा अपना सामंजस्य नहीं बैठा पा रही है।
मुस्लिम विद्वान मानते हैं कि मजहबी तालिम बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं
हालांकि फ्रांस में बन रहे नए कानून से उन सभी लोगों को जरूर थोड़ी-बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, जो बिना किसी वैचारिक झमेले में पड़े अपने दैनिक कार्यो में लगकर एक सम्मानित जीवन जीना चाहते हैं। अब कई मुस्लिम विद्वान मानते हैं कि मजहबी तालिम बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं। आज इनकी न कोई आवश्यकता है, न ही निहितार्थ। कुछ लोग इसकी आड़ में समाज में वर्चस्व कायम करने के लिए युवाओं को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। उम्मीद है फ्रांस के इस कदम से इस पर रोक लगेगी। और दुनिया को राहत मिलेगी।
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