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- युद्ध के मुहाने
इसमें कोई शक नहीं कि इजराइल और फिलस्तीन के बीच विवाद करीब सात दशक पुराना है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उस समूचे इलाके में जिस तरह का संघर्ष चल रहा है, उसने विश्व समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में अल-अक्सा मस्जिद में नमाज पढ़ने आए फिलस्तीनियों और इजराइली सैनिकों के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा ने अब जो शक्ल अख्तियार कर ली है, अगर उसे तुरंत नहीं रोका गया तो शायद यह आधुनिक दौर के एक त्रासद टकराव के तौर पर दर्ज होने जा रहा है। सवाल है कि इस संघर्ष को रोकेगा कौन? कहने को संयुक्त राष्ट्र के जिम्मे दुनिया भर में किसी भी वजह से होने वाले ऐसे युद्धों को रोकने का दायित्व है। लेकिन यह किसी से छिपा नहीं है कि या तो वह महज औपचारिक प्रतिक्रिया जाहिर कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेने वाली संस्था के तौर पर सिमट कर रहा गया है या फिर उस पर अमेरिका जैसे ताकतवर देशों का प्रभाव काम करता है। अब अगर अमेरिका खुद परोक्ष रूप से इजराइल के पक्ष में खड़ा है, तब ऐसे में हल या फिर कम से कम तात्कालिक तौर पर वहां फैली व्यापक हिंसा पर रोक लगने की उम्मीद कहां से आएगी!