सम्पादकीय

गली में आज चांद निकला

Gulabi
26 Oct 2021 5:56 AM GMT
गली में आज चांद निकला
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पहला डर उसे अपनी भागवान से लगता है और दूसरा भगवान से

हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत आते ही सभी भारतीय पतियों को अपने वार्षिक जीवन बीमा के नवीनीकरण की चिंता सताने लगती है। पहला डर उसे अपनी भागवान से लगता है और दूसरा भगवान से। केवल अक्षरों का ही हेर-फेर है। क्या पता किसके नाराज़ होने से जीवन डोर टूट जाए? दोनों में से एक की नाराज़गी के चलते बेचारे लता दीदी के गीत 'जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी, क्या तोड़ेंगे इस बंधन को जग के तू़फान आँधी रे आँधी' गाने से वंचित रह जाएंगे। साल भर अपनी पत्नी के ऊपर अपने कामकाजी होने का रोब बाँधने वाला पति करवा चौथ आते ही भीगी बिल्ली की तरह उसकी लल्लो-चप्पो में लग जाता है। उसे लगता है कि अगर भाग्यवान कहीं नाराज़ हो गई तो क्या पता विघ्नहर्ता श्रीगणेश उसके वार्षिक जीवन बीमा का नवीनीकरण रद्द न कर दें। गणेश वैसे भी स्त्रियों के प्रिय हैं। भोले बाबा को गुस्से में श्रीगणेश का सिर काटने पर पार्वती की कटु दृष्टि से बचने के लिए तत्काल सर्जरी सीखनी पड़ी थी। आनन-़फानन में उन्होंने श्रीगणेश की गर्दन पर हाथी का सिर लगाकर अपनी जान बचाई थी। वैसे करवा चौथ व्रत कथा में संदर्भ आता है कि पार्वती के पूछे जाने पर स्वयं शिवजी ने उन्हें बताया था कि करवा चौथ का व्रत करने से गृहस्थी की छोटी-मोटी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसीलिए तो उन्हें भोले बाबा कहते हैं जो स्वयं ही दूसरे की बला अपने सिर डाल लेते हैं। क्या हलाहल कम था, जो उसके बाद यह सायनाड भी गटक लिया। कई बार लगता है कि अगर करवा चौथ व्रत पतियों को करना होता तो शायद ही किसी पत्नी के वार्षिक जीवन बीमा का नवीनीकरण हो पाता।


इधर जब से मौसम विभाग ने करवा चौथ से अगले तीन दिनों तक लगातार मौसम के ़खराब होने और बारिश-ब़र्फबारी का अंदेशा जताया, फुम्मन मियाँ की नींद हराम हो गई। सुबह से परेशान होकर घूमते रहे कि अगर कहीं पत्नी को चंद्रोदय के व़क्त चाँद नहीं दिखा तो कहीं करवा चौथ व्रत कथा में दिया गया वृतांत उनके ऊपर घटित न हो जाए। वैसे उनकी पत्नी ने 'दिल वाले दुल्हनियाँ ले जाएंगे' फिल्म देखने के बाद ही करवा चौथ का व्रत करना शुरू किया था। जब भी उन्हें इस फिल्म के नाईट शो की याद आती है, वह खुद के साथ इस फिल्म के निदेशक को कोसना शुरू कर देते हैं। इन्हीं फिल्म वालों ने देश भर में बाटा, कोलगेट और निरमा की तरह कई देवी-देवताओं और व्रतों-त्योहारों की ऐसी पैठ बनाई है कि बेचारे पतियों की नाक में साल भर पानी बना रहता है। हुआ वही, जिसका डर मियाँ फुम्मन को कई दिनों से सता रहा था।


पहाड़ों में करवा चौथ की रात को चन्द्र देव बादलों के पीछे ऐसे छिपे जैसे कोई नया-नवेला नेता चुनाव जीतने के बाद अपना हल़का छोड़ कर, राजधानी में जा बैठा हो। ़फुम्मन ने स्वयं ही अपनी पत्नी को करवा चौथ के महात्मय वाली व्रत कथा सुनाई थी। कथा में जब सात भाई अपनी बहिन के भूख-प्यास से कुम्लाहए चेहरे को देखकर विचलित हो उठे तो उन्होंने दूर पेड़ के ऊपर आग जलाकर, उसे चाँद बताकर उसका व्रत तुड़वा दिया। जिससे उसका प्यारा पति स्वर्गवासी हो गया। रात को साढ़े ग्यारह बजे तक जब चाँद के दर्शन न हुए तो स्वयं भी भूख-प्यास से त्रस्त फुम्मन ने बीवी से ज़बरन व्रत तुड़वा दिया। भयातुर ़फुम्मन ने रात के बारह बजे किसी तरह चार निवाले हल़क से उतारे और डरते-डरते यह सोचकर सो गए कि सुबह उठेंगे भी या नहीं। सुबह जब उनकी आँख खुली तो खुद को और आस-पड़ोस के पतियों को ज़िंदा देखकर उन्हें लगा कि सचमुच घोर कलियुग आ गया है जो दीर्घायु के नाम पर पत्नियाँ अपने पतियों को ब्लैकमेल करती हैं।

पी. ए. सिद्धार्थ

लेखक ऋषिकेश से हैं


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