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धरती पर आया, गया और मौजूद शायद ही कोई ऐसा इंसान हो
मनीषा पांडेय।
धरती पर आया, गया और मौजूद शायद ही कोई ऐसा इंसान हो, जिसने जीवन में कभी प्रेम पत्र न लिखा हो. सबके प्रेम पत्र भेजे नहीं जाते और सारे भेजे गए पत्र मंजिल तक पहुंचते भी नहीं, लेकिन वो पत्र लिखे जरूर जाते हैं. प्रेम उतनी ही आदिम भावना है, जितना कि खुद मनुष्य का इतिहास. जब से धरती पर जीवन है, तब से प्रेम है और प्रेम का इजहार. जब इंसान ने भाषा का आविष्कार किया होगा, क्रियाओं और भावनाओं के लिए शब्द ईजाद किए होंगे, उन शब्दों के लिए लिपि बनाई होगी और उस लिपि किसी पत्थर, दीवार, कागज या लकड़ी पर दर्ज कर भाषा का आविष्कार किया होगा, तब से लिखे जा रहे होंगे प्रेम पत्र.
किसने भेजा होगा दुनिया का पहला प्रेम पत्र
कभी सोचा है, दुनिया का पहला प्रेम किसने लिखा होगा? वो कौन सी स्त्री होगी, जिसके नाम सबसे पहली प्यार वाली चिट्ठी लिखी गई होगी. वो कौन डाकिया होगा, जो पहला प्रेम पत्र लेकर गया होगा उसके ठिकाने तक पहुंचाने. जैसे मैसिमो त्रॉयसी की फिल्म द पोस्टमैन में वो डाकिया पाब्लो नेरूदा की डाक लेकर जाता है. डाक के उस बक्से में वो ढेर सारे प्रेम पत्र भी होते हैं, जो दुनिया भर से औरतें ने पाब्लो नेरूदा के नाम भेजे होते हैं.
खत लिख दे संवरिया के नाम बाबू
हिंदी सिनेमा में तो नायक डरते-डरते नायिका को प्रेम पत्र लिखता है और कहता है, 'ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर, कि तुम नाराज न होना.' (फिल्म संगम- 1964). नायिका को लिखना नहीं आता तो वो किसी और से कहकर अपने प्रेमी के नाम खत लिखवा रही है, 'खत लिख दे संवरिया के नाम बाबू.' (फिल्म आए दिन बहार के- 1966). 80 के दशक तक तकरीबन हर फिल्म में डाकिए का भी रोल होता है. हर फिल्म में कोई न कोई खत आता, कोई खत भेजा जाता. खत के आने और जाने से फिल्म की कहानी का कोई निर्णायक मोड़ जुड़ा होता था. संगम में बिना नाम वाली चिट्ठी पढ़कर ही राज कपूर को ये लगा कि वैजयंती माला ने ये प्रेम पत्र उसके लिए ही लिखा है, जबकि वो लिखा तो राजेंद्र कुमार के लिए था. एक प्रेम पत्र की गफलत पर टिकी थी पूरी फिल्म की कहानी. एक गलतफहमी पूरी कहानी की दिशा बदल देती है.
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आज की फिल्मों में प्रेम पत्र नहीं होते. अब तो इंस्टेंट कॉल और मैसेज का जमाना है. इसलिए आज की पीढ़ी को उस रोमांच का पता नहीं, जो चिट्ठियां लिखने और भेजने में होता था. और वो इंतजार. रोज डाकिए के आने का इंतजार, रोज उस एक खत का इंतजार और वो खुशी, जो उसके आने में होती थी. उस जमाने में जितनी देर में प्रेम पत्र अपने ठिकाने पर पहुंचता था, उतनी देर में तो आज व्हॉट्सएप पर ब्रेकअप हो जाता है.
दुनिया का पहला प्रेम पत्र रुक्मणि ने लिखा था कृष्ण को
जैसे दुनिया की हर चीज पर रिसर्च होती है, इतिहासकारों ने प्रेम पत्रों पर भी रिसर्च करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यह जानने की कोशिश हुई है कि दुनिया में पहले प्रेम पत्र का लिखित प्रमाण कहां मिलता है.
आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि दुनिया के पहले प्रेम पत्र का लिखित प्रमाण भारतीय माइथोलॉजी में मिलता है. तकरीबन 50000 साल पहले रुक्मणि ने कृष्ण को एक पत्र लिखकर अपनी सखी सुंनदा के हाथों भिजवाया था. इस कथा का जिक्र भगवतपुराण के 52वें में आता है. भगवतपुराण कृष्ण की भक्ति में लिखा गया संस्कृत महाकाव्य है. इतिहासकार इसका रचनाकाल 800 से 1000 ईस्वी के बीच का बताते हैं.
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प्राचीन मिस्र में प्रेम पत्र का लिखित प्रमाण
भारतीय माइथोलॉजी के बाद प्रेम पत्र का दूसरा लिखित प्रमाण प्राचीन मिस्र में मिलता है. प्राचीन मिस्र की विधवा रानी आनखेसेनामुन ने हिजीत के राजा को पत्र लिखकर प्रार्थना की थी कि वह अपने किसी एक पुत्र को मिस्र भेज दे और उसका विवाह आनखेसेनामुन के साथ कर दे.
बेहद रोमांटिक प्रेम पत्र का प्रमाण प्राचीन चीन के माइथोलॉजिकल लिटरेचर में भी मिलता है, जिसमें जब नायिका की मर्जी के विरुद्ध माता-पिता उसका अरेंज विवाह तय कर देते हैं तो वह अपने बचपन के दोस्त को एक प्रेम पत्र लिखती है. इसी तरह प्राचीन रोम के लिटरेचर में भी बेहद मार्मिक और रोमांटिक अभिव्यक्तियों से भरे प्रेम पत्रों के प्रमाण मौजूद हैं.
दो विश्व युद्धों के दौरान लिखे गए सबसे ज्यादा प्रेम पत्र
उसके बाद उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में तो पूरी दुनिया का साहित्य प्रेम पत्रों के जिक्र और बखान से भरा हुआ है. अमेरिका में कई दशक पहले हुआ एक अध्ययन कहता है कि संभवत: दो विश्व युद्धों के समय दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम पत्र लिखे और भेजे गए. जब इंसान के पास संपर्क में रहने के ज्यादा संसाधन नहीं थे, टेलीफोन इतना कॉमन नहीं था, दुनिया विश्व युद्ध की आग में जल रही थी, जीवन भय, अनिश्चिताओं और आशंकाओं से घिरा हुआ था, इंसान को शायद सबसे ज्यादा इस बात की जरूरत महसूस हुई कि वह अपने प्रेम का इजहार कर दे. अपने मन की बात कह दे.
क्या पता कल हों न हो.
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