सम्पादकीय

इस अंतर्विरोध का मतलब

Triveni
1 July 2021 4:27 AM GMT
इस अंतर्विरोध का मतलब
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भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है।

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है। सरकार का कहना है कि एफडीआई पॉलिसी में सुधार, निवेश के लिए सुविधाएं देने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मोर्चों पर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों ने देश में एफडीआई को बढ़ाया है। आम धारणा रही है कि विकासशील देशों में उद्योग-धंधे बढ़ाने और नौकरियां पैदा करने में एफडीआई का अहम रोल होता है। इससे देश के बुनियादी ढांचे का विकास होता है। और जब ऐसा होता है, तो रोजगार के अवसर बढ़ते हैँ। विदेशी निवेश के महिमामंडन का यही तर्क है। लेकिन हालांकि अब कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन से सामने आया कि एफडीआई और नौकरियों के बीच संबंध नहीं है। यानी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इतना एफडीआई ( indias record fdi ) आने पर इतनी नौकरियां पैदा होंगी। फिर भी इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष नौकरियां जरूर पैदा होती हैं। लेकिन भारत की हकीकत है कि रिकॉर्ड मात्रा में एफडीआई आने के बावजूद भारत में नौकरियों के अवसर नहीं बने। इसका कारण क्या है?

इस पर कुछ रोशनी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बुलेटिन से पड़ती है। इसके मुताबिक 60 खरब रुपये के जिस कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की जो बात सरकार की ओर से कही गई है, उसके दो हिस्से हैं। पहला- सीधे भारत में हुआ निवेश। और दूसरा- विदेशी निवेशकों की तरफ से भारत से निकाला गया पैसा। इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में हुए सीधे निवेश में इस साल 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। विदेशी निवेशकों ने इस साल, पिछले साल के मुकाबले 47 प्रतिशत ज्यादा पैसा भारत से निकाला है। यानी भारत में हुए सीधे निवेश और कुल एफडीआई आंकड़ों में भारी अंतर है। फिर कुल विदेशी निवेश में 10 फीसदी की बढ़ोतरी का दावा करने के लिए आंकड़ों में नेट पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट को भी शामिल कर लिया गया है। यह वो पैसा है, जिसे कंपनियां भारत में लंबे समय के लिए लगाने के बजाए कुछ महीनों या सालों के लिए लगाती हैं और फायदा होने के बाद निकाल लेती हैं। ऐसे निवेश से ना किसी नौकरी मिलती है और ना ही वहां बुनियादी ढांचे का विकास होता है। तो ऐसा निवेश, जिससे देश में उत्पादक संपत्ति की बढ़ोतरी ना हो, वह अर्थव्यवस्था में एफडीआई की भूमिका पर सवाल खड़े करता है। लेकिन इसमें वृद्धि के आंकड़ों से एक दिन की हेडलाइन जरूर मैनेज हो जाती है।


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