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- इस अंतर्विरोध का मतलब

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है। सरकार का कहना है कि एफडीआई पॉलिसी में सुधार, निवेश के लिए सुविधाएं देने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मोर्चों पर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों ने देश में एफडीआई को बढ़ाया है। आम धारणा रही है कि विकासशील देशों में उद्योग-धंधे बढ़ाने और नौकरियां पैदा करने में एफडीआई का अहम रोल होता है। इससे देश के बुनियादी ढांचे का विकास होता है। और जब ऐसा होता है, तो रोजगार के अवसर बढ़ते हैँ। विदेशी निवेश के महिमामंडन का यही तर्क है। लेकिन हालांकि अब कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन से सामने आया कि एफडीआई और नौकरियों के बीच संबंध नहीं है। यानी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इतना एफडीआई ( indias record fdi ) आने पर इतनी नौकरियां पैदा होंगी। फिर भी इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष नौकरियां जरूर पैदा होती हैं। लेकिन भारत की हकीकत है कि रिकॉर्ड मात्रा में एफडीआई आने के बावजूद भारत में नौकरियों के अवसर नहीं बने। इसका कारण क्या है?
