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- महामारी से उबरने का...
सचिन पायलट: कोविड इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी है। हम किसी तरह इस महामारी की पहली लहर से निकले ही थे कि उसकी दूसरी लहर ने दस्तक देकर दहशत फैला दी। पहली लहर में जहां नंगे पांव पलायन करते मजदूरों की दर्दनाक तस्वीरें आम रहीं तो इस दूसरी लहर ने हमारी प्रशासनिक क्षमताओं और इंफ्रास्ट्रक्चर की कलई खोलकर रख दी है। फिर भी राहत की कोई राह नहीं दिख रही। शोकसंतप्त परिवार अभी भी इस संक्रमण से भयाक्रांत हैं। बच्चे, बूढ़े और जवानों के अलावा टीका लगवा चुके लोग भी इस महामारी के कोप से बच नहीं सके। श्मशानों से लेकर कब्रिस्तानों की तस्वीरें इस आपदा की भयावहता को बताती हैं। इसके बावजूद तमाम गुमनाम भारतीय नायक अपनी जिजीविषा से मोर्चे पर डटे हुए हैं। इनमें स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर स्वच्छता कर्मी, ऑक्सीजन टैंकर गंतव्य तक पहुंचाने वाले और श्मशान में सक्रिय लोगों तक न जाने कितने तबके शामिल हैं।