सम्पादकीय

विश्व सिनेमा की जादुई दुनिया: स्टिवन स्पीलबर्ग- जिनके फिल्मांकन में नजर आती है असामान्य खोज

Neha Dani
18 Dec 2022 1:53 AM GMT
विश्व सिनेमा की जादुई दुनिया: स्टिवन स्पीलबर्ग- जिनके फिल्मांकन में नजर आती है असामान्य खोज
x
अपने विचार हमें [email protected] पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
एक ऐसा निर्देशक जिसकी अधिकांश फ़िल्मों की थीम सामान्य लोगों के द्वारा असामान्य की खोज है, ये असामान्य चीजें कोई स्थान हो सकता है, कोई व्यक्ति हो सकता है, कोई जीव हो सकता है अथवा कोई वस्तु हो सकती है। इस निर्देशक की एक और विशेषता है इसकी फ़िल्मों के प्रमुख पात्र अक्सर टूटे-बिखरे परिवार से आते हैं, इन परिवारों में माता-पिता का तलाक हो चुका होता है, पिता या तो गायब होता है या फ़िर हिचकिहाट लिए, गैरजिम्मेदार व्यक्ति होता है। असल में यह निर्देशक का अपना अनुभव है, उसके माता-पिता का तलाक हुआ था।
इस अमेरिकी निर्देशक की कुछ फ़िल्मों के नाम हैं, 'ई.टी. दि एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल', 'जॉज', 'एम्पायर ऑफ़ द सन', 'द कलर पर्पल', 'वेस्टसाइड स्टोरी', 'एमिस्टाड', 'लिंकन', 'वार ऑफ़ द वर्ल्ड्स', 'माइनोरिटी रिपोर्ट', 'ए. आई. आर्टिफ़ीसियल इंटेलिजेंस', 'सेविंग प्राइवेट राइन', 'सिंडलर'स लिस्ट', 'जोरासिक पार्क'...ओह लिस्ट समाप्त ही नहीं हो रही है।
अब तक 160 से ऊपर फिल्में प्रड्यूस करने वाले और 58 फ़िल्मों का निर्देशन करने वाले, 3 ऑस्कर पुरस्कार (1998 में 'सेविंग प्राइवेट राइन' तथा 1994 में 'सिंडलर'स लिस्ट' के सर्वोत्तम निर्देशक तथा 'सिंडलर'स लिस्ट' सर्वोत्तम पिक्चर का साझा पुरस्कार) जीतने वाले इस प्रसिद्ध अमेरिकी का नाम है स्टिवन स्पीलबर्ग। और अभी काम जारी है। 1987 में अकादमी ने उन्हें स्पेशल ऑनर दिया है।
द्वितीय विश्वयुद्ध पर बनाई फिल्में
सिने-इतिहास का एक सबसे प्रभावशाली, प्रेरक और धनी स्टिवन एलन स्पिलबर्ग 18 दिसम्बर 1946 को ओहायो के सिनसिनाटी में पैदा हुआ था। मां कॉन्सर्ट में पियानो वादक तथा रेस्तरां की मालकिन थी और पिता इलेट्रिकल इंजीनियर। पति-पत्नी दोनों रूस से आकर अमेरिका में बसे यहूदी थे। शायद यही कारण है बेटे ने होलोकास्ट से जुड़ी कई फ़िल्म बनाई तथा टॉम हैंक्स के साथ मिल कर द्वितीय विश्वयुद्ध पर 'सूटिंग वार: वर्ल्ड वार II कॉम्बैट कैमरामेन' डॉक्यूमेंट्री बनाई और उसी साल 2000 में होलोकास्ट पर एक और डॉक्यूमेंट्री 'आईज ऑफ़ द होलोकास्ट' प्रड्यूस की।
स्टिवन ने कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी लॉन्ग बीच में पढ़ाई शुरू की लेकिन बीच में पढ़ाई छोड़ कर फ़िल्मों से जुड़ गए। शुरू में कुछ शॉर्ट फिल्में बनाई, 'बैटल ग्राउंड' में द्वितीय विश्वयुद्ध के फ़ुटेज का उपयोग किया गया है। 1961 में 'इस्केप टू नोव्हेयर' में द्वितीय विश्वयुद्ध में बच्चों को सैनिक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
'फ़ायरलाइट' का निर्देशन उनकी भविष्य की कई फ़िल्मों की दिशा-दशा तय कर देता है, इसमें एक कस्बे पर एलियन्स आक्रमण करते हैं। उन्होंने 'एम्बलिन' बनाई जिसमें रेगिस्तान की प्रमुखता है, यह भी भविष्य की फ़िल्मों का संकेत था।
कभी कॉफ़ी न चखने वाले स्टिवन स्पिलबर्ग '007' मूवी के प्रशंसक हैं और उन्होंने इसमें काम करने वाले अभिनेताओं जैसे सॉन कोनरी, रॉबर्ट शॉ, बर्ट कॉव्क, ब्रूस ग्लोवर, क्रिस्टोफ़र ली, फ़्रैंक मैक्री, माइकेल लॉन्सडेल, जूलियन ग्लोवर, जॉन राइस-डेविस, क्रिस्टोफ़र वॉकेन, डेविड हार्बर आदि को अपनी फ़िल्म में निर्देशित किया है। लेकिन कोई भी फ़िल्म निर्देशित करने के पूर्व 4 फ़िल्म अवशय देखते हैं, ये फ़िल्म हैं, 'सेवन समुराई', 'लॉरेन्स ऑफ़ अरेबिया', 'इट'स ए वंडरफ़ुल लाइफ़' तथा 'द सर्चर्स'।
मनोरंजन-भय के समागम वाली फिल्म
स्वयं को दर्शक मानने वाले तथा दर्शकों के विषय में सोचने वाले स्टिवन स्पिलबर्ग अपनी फ़िल्म 'पोल्टेरजिस्ट' में दर्शकों को एक साथ मनोरंजन तथा भय देना चाहते थे, उन्होंने इसमें हास्य और चीख को एक साथ मिलाया।
उन्होंने टीवी के लिए भी निर्देशन किया जिसमें 'ड्युएल', 'डेनिस वीवर', 'रॉड सेर्लिंग'स नाइट गैलरी', 'कोलम्बो: मर्डर बाई बुक' आदि का शामिल हैं। गोल्डी हॉन को लेकर निर्देशित की फ़िल्म 'द शुगरलैंड एक्सप्रेस' से उन्हें प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई जिसका ग्राफ़ ऊपर उठता गया। 'जॉज', 'क्लोज एन्काउंटर्स ऑफ़ द थर्ड काइंड' शुरुआती दौर की निर्देशित फ़िल्में हैं।
प्रोड्क्शन का कार्य उन्होंने 1978 में 'आई वाना होल्ड योर हैंड' से प्रारंभ किया फ़िर तो लाइन लगा दी। 'द मेन इन ब्लैक: इंटरनेशनल', 'बंबलबी', 'फ़र्स्ट मैन', 'रेडी प्लेयर वन', 'दि एडवेंचर्स ऑफ़ टिनटिन', 'हेयरआफ़्टर', 'द लेजेंड ऑफ़ ज़ोरो', 'द मास्क ऑफ़ ज़ोरो', 'द टर्मिनल', 'लिंकन', 'फ़ाइंडिंग ऑस्कर', 'हू फ़्रेम रोजर रैबिट'... कुल 167 के बाद भी लिस्ट जारी है।
स्टिवन स्पीलबर्ग ने बनाई कई लाजवाब फिल्में
स्टिवन स्पीलबर्ग ने बनाई कई लाजवाब फिल्में - फोटो : Twitter
मनोरंजन की दुनिया के बादशाह के पांच बच्चे हैं, दो बच्चे उन्होंने गोद लिए हुए हैं जबकि एक उनकी सौतेली संतान है। बच्चों से जुड़ी एक घटना जान कर मजा आता है। जब वे अपनी एक फ़िल्म में प्रसव का दृश्य फ़िल्मा रहे थे उसी समय उन्हें फ़ोन आया कि उनकी पत्नी एमी इर्विंग ने उनके बेटे को जन्म दिया है। उनका यह बेटा मैक्स स्पिलबर्ग 1985 को जन्मा, एमी उनकी पहली पत्नी हैं, दूसरी का नाम केट कैप्शॉ है। वे ड्रू बेरीमोर तथा ग्वेनथ पैल्ट्रो के गॉडफ़ादर भी हैं।
चश्मा और दाढ़ी की पहचान वाले स्टिवन अक्सर अपनी फ़िल्म में जॉन विलियम्स का संगीत रखते हैं। उन्होंने अपनी अधिकांश फ़िल्मों में टॉम हैंक्स, रिचर्ड ड्रेफ़स, हैरिसन फ़ोर्ड, टॉम क्रूज को लिया है और उनकी ज्यादातर फ़िल्मों का संपादन माइकेल कान करते हैं। ब्रिटिश अभिनेता उनके पसंददीदा अभिनेता हैं। जर्मनी ने उन्हें 'सिंडरलर'स लिस्ट' केलिए 'क्रॉस ऑफ़ मेरिट' दिया है।
1995 में स्टिवन को अमेरिकन फ़िल्म इंस्ट्यूट लाइफ़ अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त हुआ। क्वीन एलीज़ाबेथ द्वितीय ने उन्हें 2000 में 'नाइट ऑफ़ दि ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर' प्रदान किया। येल यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट दी।
2023 में आने वाली फिल्में
फ़िल्म 'कलर पर्पल' पुलित्ज़र पुरस्कृत अफ़्रो-अमेरिकन रचनाकार एलिस वॉकर का उपन्यास है, लेकिन जब स्टिवन स्पिलबर्ग ने फ़िल्म बनाई तो उसकी खूब आलोचना हुई थी। अब वे इसे फ़िर प्रड्यूस कर रहे हैं। 2023 में उनकी प्रड्यूस की हुई आठ फ़िल्में आने वाली हैं जिसमें 'कलर पर्पल' का पोस्ट प्रोड्कशन कार्य चल रहा है। वे एक फ़िल्म का निर्देशन भी कर रहे हैं, फ़िल्म का नामकरण अभी नहीं हुआ है।
घर पर आराम करते समय टीवी पर गोल्फ़ देखने और कम्प्यूटर पर 'एसासिनस क्रीड' गेम खेलने वाले स्टीवन के पसंदीदा निर्देशकों की लंबी लाइन है। वे निर्देशक डेविड लीन, फ़्रैंक कापरा, फ़्रांसुआ त्रुफ़ो, इंग्मर बर्गमैन, अकीरा कुरोसावा, स्टेन्ली कुब्रिक, अल्फ़्रेड हिचकॉक, जॉन फ़ोर्ड के प्रशंसक हैं।
परिवारिक नाम स्पिलबर्ग ऑस्ट्रियन मूल शब्द का इंग्लिश तर्जुमा 'प्ले माउंटेन' होता है। उनके पिता 1952 में उन्हें उस साल की फ़िल्म 'द ग्रेटेस्ट शो ओन अर्थ' दिखाने ले गए। यह ऐसी फ़िल्म थी जो उनके लिए ट्रॉमेटिक अनुभव सिद्ध हुई। इस 'प्ले माउंटेन' का कहना है कि जब आप सुनते हो तो आप सीखते हो, आप स्पंज की तरह सोखते हो और आपकी जिंदगी काफ़ी बेहतर हो जाती है, बनिस्बत जब आप सारे समय सुनाने की कोशिश करते हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें [email protected] पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
Next Story