सम्पादकीय

द कश्मीर फाइल्स : हिंदुत्व के मुद्दे पर केजरीवाल अब जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं

Gulabi Jagat
1 April 2022 7:06 AM GMT
द कश्मीर फाइल्स : हिंदुत्व के मुद्दे पर केजरीवाल अब जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं
x
द कश्मीर फाइल्स
राकेश दीक्षित।
जिस पार्टी ने दिल्ली (Delhi) में CAA के विरोध में हुए धरना-प्रदर्शनों पर चुप्पी साधे रखा और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म करने का भी खुलकर समर्थन किया, वही आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) अब 'द कश्मीर फाइल्स' पर बीजेपी को आड़े हाथों लेकर इस बात के साफ संकेत दे रही है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) हिंदुत्व के मुद्दे पर जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं. क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में अपनी जगह बनाना चाहते हैं.
अगर केजरीवाल चाहते तो दिल्ली नगर निगम चुनाव में देरी के लिए केंद्र पर हमला कर बीजेपी पर द कश्मीर फाइल्स के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगाने से बच सकते थे. दोनों मुद्दे अलग थे. लेकिन लगता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को यह एहसास हो गया है कि बीजेपी को निशाना बनाते हुए हिंदुत्व पर वार करने से बचना गुजरात और हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं को लुभाने के लिए अच्छी रणनीति नहीं साबित होगी. दोनों राज्यों में बीजेपी के विकल्प के रूप में चुने जाने के लिए AAP को मतदाताओं के बीच अपनी अलग छवि बनानी होगी.
बीजेपी के विकल्प के रूम में खुद को देख रहे हैं केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा में अपने 20 मिनट के भाषण में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर कई आरोप लगाए. 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं से केजरीवाल ने कहा था, 'आपने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में चुनकर अच्छा काम किया, लेकिन यहां आप एक मुख्यमंत्री चुन रहे हैं इसलिए AAP को वोट दें.' उनके विरोधियों ने उन्हें 'छोटा मोदी' कहकर उनकी हंसी भी उड़ाई थी, लेकिन केजरीवाल इससे विचलित नहीं हुए. मुख्यमंत्री ने उदारवादियों की आलोचना को नजरअंदाज कर दिया जिन्होंने हनुमान चालीसा और तिरंगा प्रेम के लिए उन पर बीजेपी की कार्बन कॉपी बनने का आरोप लगाया था. अपने भाषण में केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को भी नहीं बख्शा. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य चुनाव आयोग को एमसीडी चुनाव टालने का निर्देश दिया था.
बीजेपी विधायकों को सीधे संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिटलर ने भी अपने कट्टर अनुयायियों को नौकरी दी थी. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपके बच्चों को जरूरत पड़ने पर दवाएं देने की परवाह की? यह हमारी सरकार थी जिसने जरूरत पड़ने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए भी सभी चिकित्सा सहायता का इंतजाम किया. केजरीवाल ने अपने भाषण में हिटलर का जिक्र करते हुए अप्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की उनसे तुलना की. वे अतीत में पीएम मोदी के लिए मनोरोगी शब्द का भी इस्तेमाल कर चुके हैं.
कुछ बीजेपी विधायकों द्वारा फिल्म द कश्मीर फाइल्स को टैक्स-फ्री बनाने की मांग के जवाब में केजरीवाल ने तंज कसा कि क्या वे इसीलिए राजनीति में आए हैं. उन्होंने कहा कि जब फिल्म निर्माता करोड़ों की कमाई कर रहा था बीजेपी का पूरा तंत्र देशभर में फिल्म का प्रचार करने और इसके पोस्टर चिपकाने में व्यस्त था. केजरीवाल ने कहा, 'आप हमसे फिल्म को टैक्स फ्री करने के लिए क्यों कह रहे हैं? आपको विवेक अग्निहोत्री (फिल्म निर्माता) से इसे यूट्यूब पर अपलोड करने के लिए कहना चाहिए ताकि हर कोई इस फिल्म को फ्री में देख सके.' कई बीजेपी शासित राज्यों में कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री कर दिया गया है.
गुजरात में AAP अपने बेहतर प्रदर्शन को लेकर आशावादी है
दक्षिणपंथियों (राइट विंग) के लिए द कश्मीर फाइल्स किसी नागरिक के राष्ट्रवाद को मापने का एक नया पैमाना बन गया है. केजरीवाल ने इस पर आपत्ति जताई. यह गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी से मुकाबला करने के उनके राजनीतिक सफर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है. दिल्ली में AAP खुद को एक सॉफ्ट हिंदुत्व वाली पार्टी के रूप में पेश करने में कामयाब रही. जिसका मूल मंत्र बीजेपी के आक्रामक हिंदुत्व के विपरीत कुशल शासन करना है. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव अभियान में AAP ने बीजेपी के जय श्री राम का जवाब जय बजरंग बली कहकर दिया. आने वाले चुनावों में AAP को नारेबाजी और हिंदुत्व के प्रतिस्पर्धी प्रदर्शन से ज्यादा की जरूरत पड़ेगी. गौरतलब है कि AAP 15 मार्च को अहमदाबाद में हुए एक बड़े रोड शो के दौरान हिंदुत्व के मुद्दे पर कुछ बोलने से बचती नजर आई. जबकि गुजरात को हिंदुत्व की मूल प्रयोगशाला माना जाता है.
रोड शो में AAP के नेताओं ने एक कुशल और साफ सुथरी सरकार देने के वादे पर फोकस किया. गुजरात में AAP अपने बेहतर प्रदर्शन को लेकर आशावादी है क्योंकि बीजेपी जो 1995 से यहां शासन कर रही है, वह यहां की सबसे भ्रष्ट पार्टी है और कांग्रेस की पारी यहां समाप्त हो चुकी है. इसलिए यहां के मतदाता अब नए विकल्प की तलाश में हैं.
पिछले साल गुजरात निकाय चुनावों में AAP ने सूरत नगरपालिका चुनावों में 27 सीटें जीत कर सबको चौंका दिया था जो सत्तारूढ़ बीजेपी के बाद दूसरे स्थान पर आई थी. बीजेपी ने 120 में से 93 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की अधिकांश ग्रामीण सीटों पर जीत हासिल करते हुए बीजेपी को डरा दिया था. यह शहरी क्षेत्रों में बीजेपी का अच्छा प्रदर्शन ही था जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके अपने राज्य में शर्मिंदा होने से बचा लिया.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
Next Story