सम्पादकीय

मुद्दा है कि सूरत बदले

Gulabi
24 Nov 2020 3:20 PM GMT
मुद्दा है कि सूरत बदले
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मेन होल्स में मौतों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने जो एलान किया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।मेन होल्स में मौतों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने जो एलान किया है, वह स्वागतयोग्य है। फिलहाल, उससे उम्मीद भी जोड़ जा सकती है। लेकिन समस्या यह है कि ऐसे इरादे पहले भी जताए गए हैं, लेकिन उनसे जमीनी सूरत नहीं बदली। क्या इस बार परिणाम कुछ अलग होगा? ऐसा हुआ तो यह इस सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। केंद्र सरकार ने पिछले को दो नई घोषणाएं की। पहली यह कि सामाजिक कल्याण मंत्रालय सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए मशीनों का उपयोग अनिवार्य करने का कानून लेकर आएगा। दूसरी यह कि शहरी कार्य मंत्रालय ने सीवर की मानव हाथों से सफाई रोकने के लिए राज्यों के बीच एक प्रतियोगिता शुरू की है। 243 शहरों के बीच होने वाली इस प्रतियोगिता के लिए 52 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। राज्य सरकारों ने संकल्प जताया है कि अप्रैल 2021 तक इस तरह की सफाई की प्रक्रिया को पूरी तरह से मशीन आधारित बना दिया जाएगा।

केंद्र सरकार सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरों को इनाम देगी। गौरतलब है कि आजादी के 73 साल बाद भी भारत में मैन्युअल स्केवेंजिंग एक बड़ी समस्या है। 2013 में एक कानून के जरिए इस पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया था, लेकिन यह अभी तक सिर्फ कागज पर ही है। सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मानव हाथों से सफाई अमानवीय है और जानलेवा भी है। नालों में फैली गंदगी से उनमें घातक गैसें बन जाती हैं।गैसें अधिक मात्रा में नाक में गईं तो जान ले लेती हैं। 2016 से 2019 के बीच देश के अलग अलग हिस्सों में कम से कम 282 सफाईकर्मी सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने के दौरान मारे गए। खुद केंद्र सरकार की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक इनमें से सबसे ज्यादा 40 सफाईकर्मियों की मृत्यु तमिलनाडु में हुई। 31 की हरियाणा में और 30 की दिल्ली और गुजरात में मौत हुई। सफाईकर्मियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि असली आंकड़े इस से कहीं ज्यादा हैं। असली तस्वीर कहीं ज्यादा भयावह है। तो अब केंद्र ने नए कदम उठाए हैं। सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मशीन आधारित सफाई को अनिवार्य करने के साथ ही शब्दावली में से 'मैनहोल' शब्द को हटा कर 'मशीन-होल' शब्द का उपयोग किया जाएगा। नए कानून के उल्लंघन के मामलों की शिकायत करने के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी।

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