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- विडंबना भी चकित होगी!
अंग्रेजी में एक कहावट है कि आयरनी मस्ट हैव डायड यानी विडंबना जरूर मर गई होगी। ये कहावत तब कही जाती है, जब ऐसी विडंबना सामने आती है, जिस पर क्या कहा जाए, यो सोचना मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही कुछ जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और आजादी के लिए भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। कहा कि भारत अधिनायकवाद और अतिवाद से उत्पन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा के लिए जी-7 का स्वाभाविक सहयोगी है। अगले दिन कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने एक ट्विट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 को अच्छा पाठ पढ़ाया। लेकिन अब मुद्दा यह है कि क्या जो सीख उन्होंने दी, उस पर खुद देश के अंदर अमल करेंगे? आखिर जी-7 देशों के नेता भी इससे अनजान नहीं हैं कि भारत में इस समय असल में क्या हो रहा है। लेकिन उनकी चिंता दूसरी है। उनके सिर पर चीन का हौव्वा सवार है। इस प्रतिस्पर्धा में जो भी उनके साथ आ सकता है, उनकी नजर में उसका महत्त्व है।