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पंजाब पुलिस ने विगत दिनों दो व्यक्तियों से 100 करोड़ रूपये की कीमत की हेरोइन बरामद की है
सच कहूं, पंजाब पुलिस ने विगत दिनों दो व्यक्तियों से 100 करोड़ रूपये की कीमत की हेरोइन बरामद की है। कोई दिन ही गुजरा है,जब हैरोईन की बरामदगी की खबर न मिली हो। यह बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यह सिर्फ नशा तस्करी का मामला नहीं बल्कि पिछले समय में आतंकवादियों व नशा तस्करों का गठबंधन भी रह चुका है। आतंकवाद के लिए पैसा हासिल करने के लिए हैरोईन की तस्करी की जाती रही है। अरबों रूपयों की हैरोईन बेची जाती है। भारत खासकर पंजाब सीमा की तरफ से इसकी तस्करी सरेआम हो रही है। असल में अफगानिस्तान अफीम का गढ़ है, जहां दुनिया की 90 फीसदी अफीम तैयार होती है। दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान ऐसा देश है, जहां आतंकवाद का मजबूत कब्जा रहा है।
अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी वाले 20 सालों के दौरान भी हिंसा और हैरोईन की तस्करी का दौर जारी रहा। अब फिर से अफगानिस्तान पर तालिबान काबिज हो गया है। अगर नशा तस्करी और आतंकवाद का नेटवर्क यूं ही बना रहा तो स्थिति और भी खराब हो सकती हैै। काफी बातें अफगानिस्तान की परिस्थितियों पर भी निर्भर करेंगी। बाकी नशे की सबसे अधिक मार का सामना अभी पंजाब कर रहा है। प्रतिदिन नशों से मौतें हो रही हैं। चाहे पुलिस हैरोईन खेपों को लगातार बरामद कर रही है लेकिन इस नेटवर्क को खत्म करना महज पंजाब पुलिस के वश की बात नहीं है। भारत सरकार के प्रयासों के साथ-साथ अंतरराष्टÑीय स्तर पर भी नीति बने और लागू हो। हजारों किलोमीटर की अंतरराष्टÑीय सीमाओं के कारण नशा तस्करी को रोकने के लिए मुस्तैदी करना अपने आप में एक चुनौती बना हुआ है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन अपनी नापाक कारगुजारी कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में नशा तस्करी को बल मिल रहा है।
हैरोईन की बरामदगी पर महज कुछ गिरफ्तारियां करने से मसला हल नहीं होगा। समस्या को जड़ से खत्म करना होगा। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति तो सिर्फ मोहरे होते हैं, नशा तस्करी की बड़ी मछलियां कार्रवाई से बच निकलती हैं। संयुक्त राष्टÑ और विकसित देशों को नशा तस्करी रोकने के लिए स्पष्ट मापदंड अपनाते हुए मानवता के भले के लिए आगे आना होगा। यह भी आवश्यक है कि भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए। भ्रष्ट अधिकारियों के नशा तस्करों के मिले होने की चर्चाएं भी आम सुनाई पड़ती है। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को भी इस संबंधी जागरूक करने के लिए मुहिम चलाई जानी चाहिए। वास्तविक हल तब ही होगा जब हैरोईन की बरामदगी घटकर शुन्य रह जाएगी।
इस लेख में जनता से रिश्ता टीम ने कोई एडिट नहीं किया है, यह लेखक के अपने विचार हैं
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