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अमेरिका में इस समय लगभग 45 लाख भारतीय रह रहे हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि अगले कुछ ही वर्षों में भारतीय मूल का कोई व्यक्ति अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाए
अमेरिका में इस समय लगभग 45 लाख भारतीय रह रहे हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि अगले कुछ ही वर्षों में भारतीय मूल का कोई व्यक्ति अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाए. कमला हैरिस अभी उप-राष्ट्रपति तो हैं ही. इस समय अमेरिका में सबसे संपन्न कोई विदेशी मूल के लोग हैं तो वे भारतीय ही हैं. वैसे गोरे लोग भी कोई मूल अमेरिकी थोड़े ही हैं. वे भी भारतीयों की तरह यूरोप से आकर अमेरिका में बस गए हैं लेकिन उनका आगमन तीन-चार सौ साल पहले से शुरू हुआ है तो वे यह मानने लगे हैं कि वे गोरे लोग तो मूल अमेरिकी ही हैं.
जो एशियाई लोग पिछले सौ-डेढ़ सौ साल से अमेरिका में पैदा हुए और वहीं रह रहे हैं, उन्हें भी गोरे लोग अपनी तरह अमेरिकी नहीं मानते. लेकिन अब अमेरिका की बड़ी से बड़ी कंपनियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षा और शोध संस्थाओं तथा यहां तक कि उसकी फौज में भी आप भारतीयों को उच्च पदों पर देख सकते हैं.
भारतीयों की योग्यता, कार्यकुशलता और परिश्रम अमेरिकियों को मजबूर कर देते हैं कि उनकी नियुक्ति उन्हें उच्च पदों पर करनी होती है. लेकिन भारतीयों की ये सब विशेषताएं अमेरिकी गोरों के दिल में जलन भी पैदा करती हैं.
इसी का नतीजा है कि आजकल भारतीयों के विरुद्ध अमेरिका में अपराधों की भरमार हो गई है. इन्हें अमेरिका में घृणाजन्य अपराध (हेट क्राइम) कहा जाता है. 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों के विरुद्ध ऐसे अपराध 300 प्रतिशत यानी तीन गुना बढ़ गए हैं.
भारतीयों के विरुद्ध बिना किसी कारण, बिना किसी उत्तेजना के इस तरह के अपराध इसीलिए होते हैं कि लोगों के दिल पहले से ही घृणा से लबालब भरे होते हैं. जब से डोनाल्ड ट्रम्प राजनीति में आए हैं, उन्होंने एशियाई, अफ्रीकी और लातीनी लोगों के खिलाफ इस घृणा को अधिक प्रबल बनाया है.
जो लोग भारतीयों के विरुद्ध घृणा फैला रहे हैं, क्या उन्हें पता है कि यदि आज सारे भारतीय मूल के लोग अमेरिका से बाहर निकल आएं तो अमेरिका की हवा खिसक जाएगी? ये भारतीय लोग न सिर्फ अमेरिका की संपन्नता बढ़ा रहे हैं बल्कि उसे श्रेष्ठ जीवन-पद्धति से भी उपकृत कर रहे हैं.
सोर्स- lokmatnews
Rani Sahu
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