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महामारी की शुरुआत के बाद से हर क्षेत्र में गिरावट देखने को मिली
उन्नति गोसाईं |
महामारी की शुरुआत के बाद से हर क्षेत्र में गिरावट देखने को मिली, लेकिन जैसे पैथोलॉजी लैब जैसी कुछ कंपनियों के लिए यह कोरोना (Covid-19) के शुरुआती दिनों में तो कम रहा मगर उसके बाद इसमें काफी तेजी आई. सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों और जगह-जगह लॉकडाउन (Lockdown) के कारण पहली कोरोना की लहर के दौरान उनके राजस्व में कमी आई, लेकिन मार्च 2021 में दूसरी लहर के दौरान उनकी कमाई में भारी उछाल आया. दिसंबर 2021 में तीसरी लहर के दौरान इन पैथ लैबों का व्यापार एक बार फिर से बढ़ गया.जब भी कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई, पैथोलॉजी लैबों में परीक्षण उसी अनुपात में बढ़े
चुंकि, आरटीपीसीआर टेस्ट का रेट अलग-अलग राज्यों में टैक्स के कारण अलग रहा, उनकी कमाई में भी यह असमानता झलकी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी डायग्नोस्टिक चेन डॉ लाल पैथलैब्स का कारोबार उस तिमाही के दौरान औसतन 450 करोड़ रुपये के मुकाबले 600 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. तिमाही में कोरोना और उससे संबंधित टेस्टों की बिक्री करीब 200 करोड़ रुपये बढ़ गई.
कोरोना के चलते हेल्थ को लेकर अलर्ट हुए लोग
कोरोना के बाद भी टेस्टिंग में बढ़ोतरी देखी गई. कोरोना महामारी की लहर कमजोर पड़ने के तुरंत बाद पैथोलॉजी लैबों में कोरोना संबंधी टेस्ट की संख्या कम हो गई और दूसरे टेस्टों की संख्या बढ़ गई. मेडीबडी की हेड ऑफ ओपरेशंस डॉ गौरी कुलकर्णी ने न्यूज9हिन्दी को बताया, 'सार्स कोविड 2 ने दुनिया भर में तूफान मचा दिया और इससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन का महत्व पता चला. लोगों ने अपना ध्यान अपने स्वास्थ्य पर लगा दिया है और स्वस्थ रहने के लिए वह हर उपाय कर रहे हैं. मधुमेह, थायराइड और पूरे शरीर की जांच में हमने क्रमशः 69 प्रतिशत, 67 प्रतिशत और 84 प्रतिशत की वृद्धि देखी है.'
उन्होंने कहा कि शरीर में आयरन की कमी, विटामिन बी 12 और फोलिक एसिड, विटामिन डी 3 की कमी, असामान्य थायराइड का काम, हाई शुगर स्तर, कम इम्युनोग्लोबुलिन, किसी भी पुरानी असाध्य बीमारी या संक्रमण के कारण और एनीमिया जैसे कई कारणों से प्रतिरक्षा में कमी आ सकती है. 'महामारी के बाद से लैब में प्रतिरक्षा परीक्षण पैकेजों में 46 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई.' उन्होंने कहा कि हमने मधुमेह, थायराइड, पूरे शरीर की जांच में क्रमशः 69 प्रतिशत, 67 प्रतिशत और 84 प्रतिशत की वृद्धि देखी है.
डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म ने 12 से 18 वर्ष की आयु के लोगों में 3.67 प्रतिशत, 19 से 30 वर्ष की आयु के लिए 56.5 प्रतिशत, 31 से 40 वर्ष की आयु वालों के लिए 27.3 प्रतिशत और 40 वर्ष की आयु वालों के लिए 11.73 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. 50 और ज्यादा उम्र वाले लोगों में घर पर आकर जांच करने के मामलों में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
फोर्टिस हेल्थकेयर की सब्सिडियरी कंपनी एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के सीईओ आनंद के ने कहा, 'अक्टूबर 2020 तक हम कोरोना से पहले वाले स्तर पर वापस आ गए थे. कोरोना के अलावा दूसरे परीक्षण केवल तब तक प्रभावित हुए जब तक कोरोना महामारी चरम पर थी. नहीं तो दूसरी बीमारियों के लिए परीक्षण लगातार बढ़ रहे हैं. आगे जाकर कोरोना टेस्टिंग केवल करीब दस फीसदी ही रह जाएगी क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने से पहले, यात्रा के दौरान कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट की जरूरत सभी को पड़ेगी इसलिए कोरोना टेस्टिंग आगे भी जारी रहेगी. आगे जाकर, कोरोना हमारे राजस्व का 5-10 प्रतिशत होगा, क्योंकि इन परीक्षणों का उपयोग लोगों को अस्पताल में भर्ती होने, यहां तक कि यात्रा से संबंधित आवश्यकताओं के लिए स्क्रीनिंग के लिए किया जाता रहेगा. इसलिए, कुछ परीक्षण जारी रहेंगे.
क्या आरटीपीसीआर के अलावा दूसरे परीक्षणों की कीमतों में वृद्धि हुई है?
महामारी के शुरुआती दिनों में सरकार के परीक्षणों की कीमतों की सीमा तय करने के कारण आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमतों में उतार-चढ़ाव नजर आया. उदाहरण के लिए, नवंबर 2020 में दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में आरटी-पीसीआर परीक्षणों की दर आठ सौ रुपये तय कर रखी थी और पिछले साल अगस्त में इसे घटाकर पांच सौ रुपये कर दिया गया. बाद में सरकार ने निजी अस्पतालों और लैब में पारंपरिक आरटी-पीसीआर कोविड-19 टेस्ट की कीमत तीन सौ रुपये तय कर दी जो पुरानी कीमतों की तुलना में करीब चालीस फीसदी की गिरावट है. आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए पहले 500 रुपये लगते थे. निजी अस्पतालों और लैब में रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) की कीमत सौ रुपये फिक्स कर दी गई. पहले रैपिड एंटिजन टेस्ट के तीन सौ रुपये लगते थे. आदेश के मुताबिक घर से नमुना लेने पर कीमत सात सौ से कम करके पांच सौ रुपये कर दी गई.
अन्य परीक्षणों का जहां तक सवाल है लैब टेस्ट कंपनियों ने उन सबकी कीमतों में भी फेरबदल की है. हालांकि, कुछ लैब का कहना है कि 2020 की तुलना में उनके रेट में आज भी कोई अंतर नहीं आया है. "खून की जांच और दूसरे नियमित परीक्षणों की कीमतें कोरोना काल से पहले और बाद में एक समान रही हैं. हालांकि, आरटी-पीसीआर टेस्ट के रेट सरकारी गाइडलाइंस के मुताबिक बदलते रहे हैं जिसने कंपनी की कुल आय में अंतर पैदा किया है, डॉ कुलकर्णी ने कहा.
जब तुलना की गई तो विटामिन बी ट्वेल्व प्रोफाइल के लिए एसआरएल कंपनी की टेस्ट की कीमत 2021 में आठ सौ बीस रुपये थी और आज इसकी कीमत एक हजार एक सौ पचास रुपये है; एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की कीमत दो सौ चालीस रुपये थी जो अब बढ़ कर तीन सौ पचास रुपये हो गई है. क्या डायग्नोस्टिक लैब आने वाले कुछ वर्षों में स्थिति सामान्य होने तक जोरदार कमाई करने वाले हैं. कम से कम डॉक्टरों का तो यही मानना है. नोएडा में जेपी अस्पताल की एक चिकित्सक डॉ मीता भागवत ने कहा, 'कोरोना ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है. लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि वे किसी बीमारी से पीड़ित तो नहीं हैं. इसके परिणामस्वरूप अधिक लोग परीक्षण करवा रहे हैं. इसलिए पैथ लैब महामारी से दहशत वाली स्थिति तक तो जोरदार मुनाफा कमाएंगे ही.'
Rani Sahu
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