सम्पादकीय

पर्यावरण सुधरने का भ्रम

Gulabi
1 Dec 2020 4:03 PM GMT
पर्यावरण सुधरने का भ्रम
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पिछले हफ्ते आई इस खबर ने कई भ्रम तोड़ दिए।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले हफ्ते आई इस खबर ने कई भ्रम तोड़ दिए। इसका मतलब यह है कि प्राकृतिक मामलों में बहुत कुछ हमें जो दिखता या जिसका प्रत्यक्ष अनुभव होता है, वैसा वास्तव में नहीं होता।

उस खबर के मुताबिक विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने कहा कि 2019 में हवा में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर ने एक नया रिकॉर्ड बनाया, जो कि इस साल भी जारी है। डब्लूएमओ के अनुसार 2019 में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर दस लाख हिस्सों में 410.5 था। यह 2018 की तुलना में भी ज्यादा है और पिछले दशक के औसत से भी अधिक है।

डब्लूएमओ इस बारे में कहा- "हमारे रिकॉर्ड के इतिहास में इस तरह की वृद्धि दर कभी नहीं देखी गई है।" इस संस्था के मुताबिक 2015 से यह स्तर लगातार बढ़ रहा है। इसलिए इसे रोकने के लिए जल्द ही कुछ पक्के समाधान सोचने होंगे। डब्लूएमओ संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है, जिसका मुख्यालय जिनेवा में है।


संस्था का कहना है कि लॉकडाउन करने, बॉर्डर सील करने और उड़ानों को रद्द करने से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी कई ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती जरूर हुई है, लेकिन इतनी नहीं कि इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ सके। यानी जो यह अनुमान लगाया गया था कि इस साल कुल मिलाकर पर्यावरण की स्थिति में जबरदस्त सुधार होगा, वैसा नहीं हो जाने जा रहा है।
इस साल की शुरुआत में जब कोरोना महामारी से निपटने के लिए उपाय किए गए, तब कार्बन डायऑक्साइज का उत्सर्जन पिछले साल के औसत से 17 फीसदी कम हो गया था।
लेकिन अब डब्लूएमओ ने कहा है कि महामारी के कारण औद्योगिक गतिविधियों में वैश्विक स्तर पर जरूर गिरावट आई है, उसके बावजूद धरती का तापमान बढ़ाने वाली ग्रीनहाउस गैसें अब भी वातावरण में फंसी हुई हैं और जलवायु परिवर्तन में अपना योगदान दे रही हैं।
इससे समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है। यानी लॉकडाउन के कारण उत्सर्जन में जो थोड़ी बहुत गिरावट देखी गई, वह सिर्फ एक छलावा है। डब्ल्यूएमओ के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन डॉयऑक्साइड में भी साल के अंत तक कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी जाएगी, बल्कि यह साल दर साल आंकड़ों में दर्ज होने वाला मामूली-सा उतार चढ़ाव है।
उससे ज्यादा उम्मीदें नहीं बांधनी चाहिए। वैसे 2020 का दुनिया भर का पूरा डेटा अभी तक उपलब्ध नहीं है। फिर रुझान दिखाते हैं कि अब उत्सर्जन एक बार फिर रिकॉर्ड तेजी से बढ़ रहा है।


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