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- दलित-मुस्लिम एकता का...
तरुण विजय : बिहार के पूर्णिया जिले के मझुवा गांव में 19 मई की रात महादलितों पर हमला देश को झकझोरने वाला साबित होना चाहिए था। हिंदू समाज के जिस वर्ग को दलितों से भी अधिक पिछड़ा और वंचित मान कर महादलित का दर्जा दिया गया, उनपर मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने हमला किया। इस हमले में 50 से ज्यादा घर जला दिए गए और एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला गया। हमेशा की तरह इस हमले के पीछे भी जमीन-जायदाद का मामला बताया गया। कुछ नेताओं का घटनास्थल पर जाना हुआ और बस। दलितों का दर्द भी अब सेक्युलर पाखंड और निर्मम संवेदनहीनता का शिकार हो गया है। यदि यही घटना किसी गैर हिंदू गांव में घटी होती तो हम देखते कि दलित नेताओं की भीड़ वहां उमड़ती। सभी विपक्षी नेता वहां मातमपुर्सी के लिए एकत्र होते, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के र्मािमक शब्दों में रिर्पोंिटग करने वाले वहीं खूंटा गाड़ कर रनिंग कमेंट्री कर रहे होते। सभी एक स्वर में नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहे होते सो अलग, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ