सम्पादकीय

सरकार के तो मजे हैं!

Gulabi Jagat
3 May 2022 6:59 AM GMT
सरकार के तो मजे हैं!
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अप्रैल में भारत सरकार ने जीएसटी वसूली का रिकॉर्ड बनाया
By मोहन कुमार।
अप्रैल में जो वसूली बढ़ी है, उसका एक कारण है आयात बढ़ना और आयातित वस्तुओं और सेवाओं का महंगा होना। इसमें यह भी अवश्य जोड़ा जाना चाहिए कि देश के अंदर भी बढ़ी मुद्रास्फीति दर का इसमें योगदान है। किसी चीज का जब दाम बढ़ता है, तो उस पर टैक्स दर के अनुपात में टैक्स रकम भी बढ़ती है।
अप्रैल में भारत सरकार ने जीएसटी वसूली का रिकॉर्ड बनाया। लगभग एक लाख 68 हजार करोड़ रुपये की वसूली हुई। सामान्य स्थितियों में यह आंकड़ा पूरे देश की खुशी का विषय होता। इसलिए कि आम तौर पर टैक्स वसूली बढ़ने का संबंध अर्थव्यवस्था में खुशहाली से जोड़ा जाता है। मगर अप्रैल में जो वसूली बढ़ी है, उसके दो प्रमुख कारण बताए गए हैँ। उनमें पहला कारण है आयात का बढ़ना और आयातित वस्तुओं और सेवाओं का महंगा होना। इसमें यह भी अवश्य जोड़ा जाना चाहिए कि देश के अंदर भी बढ़ी मुद्रास्फीति दर का इसमें योगदान रहा है। किसी चीज या सेवा का जब दाम बढ़ता है, तो उस पर टैक्स दर के अनुपात में टैक्स रकम भी बढ़ती है। दूसरा कारण यह बताया गया है कि नए वित्त वर्ष के साथ अब सरकार ने यह नियम लागू कर दिया है कि जो कारोबारी समय पर जीएसटी नहीं चुकाएंगे, उन्हें इनपुट क्रेडिट वापस नहीं दिया जाएगा। तो नतीजा यह हुआ कि कारोबारियों ने समय पर जीएसटी फॉर्म भरा। यानी आलस्य या किसी तात्कालिक दिक्कत के कारण टैक्स चुकाने में देर करने वाले कारोबारियों ने ऐसा नहीं किया। तो सरकार के पास पूरी रकम आ गई।
अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देना अपने-आप में सही कदम है। सभी लोग समय पर टैक्स चुकाएं, यह भी जायजा अपेक्षा है। बहरहाल, महंगाई बढ़ने के साथ सरकार का खजाना और भरे, यह समस्याग्रस्त बात है। खास कर उस समय जब सरकार टैक्स ढांचे में परोक्ष करों का हिस्सा बढ़ाने की नीति पर चल रही है। इससे होता यह है कि वस्तु और सेवाओं की महंगाई से जूझ रहे लोगों पर अधिक जीएसटी का भी बोझ पड़ रहा है। इस कारण लोगों की वास्तविक आय घट रही है। उससे उनका उपभोग घटा है। उसका खराब असर अर्थव्यवस्था की स्वाभाविक चक्रीय विकास परिघटना पर पड़ा है। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने इसी स्थिति की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि छोटी कारों के बाजार के ब्रेड-बटर में बटर (मक्खन) गायब हो गया है। ये मक्खन दरअसल पूरी आम अर्थव्यवस्था से गायब हो रहा है। सरकार पर जिम्मेदारी इसे वापस लाने की है। इसके लिए परोक्ष करों में कटौती एक रास्ता है। और जब रिकॉर्ड वसूली हो रही है, तब तो ऐसा हो, यह और भी अधिक अपेक्षित हो जाता है।
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