सम्पादकीय

भारत को आत्मनिर्भर बनाने और स्वस्थ एवं शिक्षित भारत का सपना साकार करने वाला हो आम बजट

Subhi
29 Jan 2022 5:25 AM GMT
भारत को आत्मनिर्भर बनाने और स्वस्थ एवं शिक्षित भारत का सपना साकार करने वाला हो आम बजट
x
कोविड-19 की परिस्थितियों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए वर्ष 2022-23 का बजट पेश करना यकीनन एक बड़ी चुनौती है।

कोविड-19 की परिस्थितियों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए वर्ष 2022-23 का बजट पेश करना यकीनन एक बड़ी चुनौती है। उनके समक्ष एक प्रश्न यह भी होगा कि चुनावी दौर में आम आदमी को कैसे महसूस कराया जाए कि सरकार उनके हितों के संरक्षक के तौर पर काम कर रही है और साथ ही राजस्व के दायरे का विस्तार भी हो जाए। हाल में एनएसओ द्वारा जारी किए गए प्रथम अग्रिम अनुमानों में कहा गया है कि इस साल की 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेज वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगी। साथ ही नामिनल जीडीपी के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.1 ट्रिलियन डालर तक हो सकता है। ऐसी सकारात्मकता के बावजूद अर्थव्यवस्था की वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए बजट में क्रमवार रणनीति बनानी होगी जिससे भविष्य में भारत न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत बने, बल्कि स्वस्थ एवं शिक्षित भारत का सपना भी साकार हो सके।

कोरोना के कारण बढ़ी बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए बजट में रोजगारपरक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। विनिर्माण क्षेत्र की संभावनाओं को पूरी तरह नहीं भुना पाना भारत में बेरोजगारी की समस्या का सबसे प्रमुख कारण है। ऐसे में रोजगारपरक उद्योगों जैसे फार्मा, स्टील, आटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग और लाजिस्टिक आदि को कर प्रोत्साहनों से ऊंचाई तक पहुंचाया जा सकता है। विनिर्माण क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले छोटे-छोटे उपकरणों के उत्पादन को कर प्रोत्साहन देकर भारत को उत्पादन हब बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास करने होंगे। इससे न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि निर्यात में भी एक नया मुकाम हासिल कर भारत को आत्मनिर्भरता बनाया जा सकता है। देश में निवेश की दर पिछले वर्ष की तुलना में ऋणात्मक 10.8 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत का होना देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल को बताता है। सड़कों, राजमार्गों, रेलवे, बिजली, आवास, शहरी परिवहन आदि बुनियादी ढांचे वाली परियोजनाओं में निवेश से रोजगार को बढ़ावा दिए जाने के साथ-साथ देश की विकास दर भी बढ़ाई जा सकती है। कुशल प्रशिक्षण द्वारा श्रमिकों की गुणवत्ता को बढ़ाकर सेवा क्षेत्र में रोजगार की मांग को भी बढ़ाया जा सकता है। पर्यटन एवं एमएसएमई क्षेत्र को कर राहत दी जानी चाहिए जिससे छोटे कारोबारियों के व्यापार को संरक्षण मिल सके।

आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था को दिशा देने वाले दो प्रमुख क्षेत्रों संचार और अक्षय ऊर्जा पर बजट में विशेष स्थान दिया जा सकता है। डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए 5जी एवं संचार की दिशा में प्रयुक्त तकनीक को और अधिक सस्ता किए जाने की संभावना है। इससे न सिर्फ बैंकिग प्रणाली सुगम होगी, बल्कि अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में व्यवधान कम होने के साथ-साथ आनलाइन ट्रांजेक्शन को भी बढ़ावा मिलेगा। आने वाला समय आनलाइन पाठ्यक्रम, ई-लर्निंग साफ्टवेयर, भाषा एप, वीडियो कांफ्रेंसिंग तकनीक का ही होगा। बच्चों के लिए कोडिंग विकसित करने एवं देश के प्रत्येक छात्र तक शिक्षा की पहुंच के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भावी कार्यबल की दक्षता बढ़ाने के लिए शिक्षा के साथ स्टार्टअप प्रौद्योगिकी में तालमेल स्थापित करना होगा। ग्लासगो समझौते के अंतर्गत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वित्त मंत्री गैर परंपरागत एवं अक्षय ऊर्जा क्षेत्र पर मुख्य फोकस कर सकती हैैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार इस दिशा में न सिर्फ कर प्रोत्साहन दे सकती है, बल्कि इलेक्ट्रानिक उपकरणों के निर्माण और निर्यात प्रोत्साहन के लिए कम जीएसटी के साथ प्रोत्साहन दिए जाने की भी संभावना है।

सरकार का प्रयास रहेगा कि कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे के लिए अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन इस प्रकार दिया जाए कि जीएसटी संग्र्रह किसी भी स्थिति में कम न हो। वित्त मंत्री का प्रयास रहना चाहिए कि जीएसटी को और अधिक सरल बनाकर इसका दायरा बढ़ाया जाए। क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ को कर दायरे में लाया जा सकता है। रियल एस्टेट मार्केट में तरलता की समस्या को दूर करने के लिए कर में राहत दी जा सकती है। आयकर की सीमा में छूट का सभी को इंतजार रहता है। सरकार हाउसिंग लोन और स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में परिवर्तन कर सकती है।

ग्रामीण भारत के मोर्चे पर किसानों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि क्षेत्र में लागत को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। कृषि में अनुसंधान एवं विकास, कृषि वस्तुओं की शीघ्र आपूर्ति के लिए परिवहन को सुगम बनाना, कृषि के लिए अधिक वित्त, सिंचाई आदि पर विशेष ध्यान दिए जाने की भी संभावना है। मनरेगा द्वारा ग्र्रामीण मांग को बढ़ाया जा सकता है। असंगठित क्षेत्र एवं बीपीएल परिवारों को नकद हस्तांतरण और खाद्य सुरक्षा सहायता पर भी वित्त मंत्री का विशेष ध्यान रह सकता है। कोरोना काल में स्वास्थ्य क्षेत्र में जो कमियां उभर कर सामने आई हैैं, उनको ठीक करने के लिए बड़े प्रयासों की घोषणा हो सकती है। लोगों पर पडऩे वाले भारी चिकित्सा व्यय को कम करने के लिए करों में छूट के साथ स्वास्थ्य बीमा को लोकप्रिय बनाए जाने की आवश्यकता हैं।

15वें वित्त आयोग के अनुसार केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के चार प्रतिशत तक ही होना चाहिए। कोरोना काल में सामाजिक और आर्थिक जरूरतों को देखते हुए सरकार का यह प्रयास रहना चाहिए कि किसी भी स्थिति में राजकोषीय घाटा छह अथवा 6.5 प्रतिशत से अधिक न हो। सरकार के संतुलन साधने की कवायद से बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।



Next Story