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कोरोना वायरस अगर रुप बदल रहा है तो हमें भी उससे उसी तरह से पेश आना पड़ेगा
मोहित मुदगल। संजीव चौहान। कोरोना वायरस अगर रुप बदल रहा है तो हमें भी उससे उसी तरह से पेश आना पड़ेगा. वो भी बहुत जल्दी ही यानि वक्त रहते. हमें अपनी बीती जिंदगी के स्टाइल को बदलना होगा. कोरोना से बचने के लिए हमें अपना भी लाइफ स्टाइल तुरंत बदलना होगा. इंसान को कोरोना के खौफ से हर वक्त भयभीत होने में ही वक्त नहीं गंवाना है. जरुरत है कि कोरोना की प्रकृति को समझकर इंसान अपनी आगे की जिंदगी को जीने का स्टाइल बदले. कोरोना संक्रमित व्यक्तियों में पोस्ट कोविड जिस तरह की समस्याएं पैदा हो रही है, वे तो गंभीर हैं ही.
उससे भी ज्यादा गंभीर है कि इंसान कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में आने से पहले ही या फिर आते हीअपने सोचने समझने की ताकत खो दे रहा है. जोकि आने वाली इंसानी दुनिया को बेहद घातक भी साबित हो सकता है. ऊपर उल्लिखित तमाम अलग अलग तरह की खौफनाक सच्चाईयां कोरोना काल में सामने आ रही हैं. हिंदुस्तान के कई मशहूर मौजूदा और रिटायर्ड मनोचिकित्सकों के मुताबिक, "कोरोना सिर्फ इंसानी दुनिया में लाशें ही नहीं बिछा रहा है, वो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी नासूर है.
भविष्य में होने वली परेशानियों से बचने के लिए करें तैयारी
अब भी अगर वक्त रहते इंसान सतर्क नहीं हुआ तो हमारी आने वाली नस्लें सदियों तक इस त्रासदी का दंश झेलने को मजबूर होंगी. कोरोना वायरस इंसानों की जान के पीछे तो पड़ा ही है. साथ साथ वो जिन्हें जिंदा छोड़ रहा है, उन्होंने अगर खुद की जिंदगी के कोरोना के ठीक विपरीत जीने के काबिल नहीं बनाया, तो इंसान के सामने इसके भी भयंकर परिणाम होंगे." भारतीय मनोरोग विशेषज्ञों के मुताबिक, "कोरोना वायरस दरअसल घातक है भी और नहीं भी है. यह किसके बदन में घुसने पर खतरनाक हो जायेगा और किसके बदन में पहुंचकर उसे बख्श देगा?
कोरोना से बचने बाद भी लोगों में डर
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मनोरोग चिकित्सा विज्ञान विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. राकेश चड्ढा के पास हाल-फिलहाल कोरोना से जुड़े अनगिनत मामले या मरीजों से जुड़ी समस्याओं का इन दिनों ढेर लगा है. बकौल डॉ. चड्ढा, "मानता हूं कोरोना खतरनाक है. कोरोना संक्रमित जिन लोगों की जान बच जा रही है, उनमें से बहुतायत ऐसे लोगों की भी है जोकि, सुरक्षित बचने के बाद भी हर वक्त कोरोना के भय से ग्रसित ही दिखाई देते हैं.
जिस तरह से मामले मेरे सामने आ रहे हैं उनके मुताबिक तो हिंदुस्तान में ऐसे बहुत ही कम लोगों की संख्या बाकी रही होगी, जो इस महामारी के खौफ से हलकान होने से बचे रह गये हों. आज इंसान कोरोना से होने वाली त्रासदी के बारे में 24 घंटे जागते-सोते सोचते हैं. इंसान के खुद के लिए यह घातक हैं. कोरोना काल से गुजर रहे लोगों के लिए सेल्फ-मोटीवेशन से बढ़कर कोई दवा नहीं है."
पोस्ट कोविड लक्षण भी खतरनाक
प्रोफेसर डॉ. चढ्डा के मुताबिक, "जो संक्रमित लोग अच्छी इम्यूनिटी के चलते कोरोना वायरस की चपेट में आने से अपना जीवन बचा ले रहे हैं. उनमें दिखाई देने वाले "पोस्ट-कोविड" लक्षण बेहद खतरनाक हैं. हर कोरोना संक्रमित और गैर-कोरोना संक्रमित इंसान खुद की जिंदगी छोड़कर सिर्फ और सिर्फ कोरोना की कहानियों में जिंदगी को डुबोये बैठा है. देश की राजधानी दिल्ली की अगर बात करें तो यहीं, ऐसे लोगों की तादाद हजारों में मिल जाएगी.
कोविड भले किसी को न हुआ हो घर में मगर, टीवी, कम्प्यूटर गेम, अपने तमाम जरुरी कामकाज इत्यादि सबको छोड़कर हर कोई कोरोना की चर्चाओं में ही व्यस्त है. लोगों ने परिवार में रहकर भी पारिवारिक सदस्यों के साथ मिलना जुलना छोड़ ही सा दिया है. अगर वे चर्चा भी करेंगे तो सिर्फ कोरोना की. मेरी समझ में नहीं आता कि आखिर इंसान खुद ही अपना दुश्मन क्यों बना बैठा है? जिसने कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक हालत खुद ही अपने आप ही कर रखी है."
मानसिक दबाव बना परेशानी
बकौल एम्स नई दिल्ली, मनोरोग विभाध्यक्ष, "कोरोना के भय से खौफजदा लोगों ने एक ही घर में रहकर आपस में बोलना तक कम कर दिया. या फिर ऐसे लोगों की भी बहुतायत है जो, कोरोना की असलियत तो दूर दूर तक नहीं जातने हैं. मगर वे मानसिक दबाब में इतने ज्यादा रहते हैं कि, पहले से ही उनकी इम्यूनिटी कम करने पर आमादा कोरोना संक्रमण, इससे बिना प्रभावित हुए इंसान की जिंदगी में भी तमाम बदलाव लाने लगा है.
इंसान की मानसिक सोच, तार्किक शक्ति में बदलाव आने लगे हैं. दरअसल कोरोना वायरस तो चाहता-करता ही यही है. हमें और आपको सोचना है कि, आखिर मौजूदा कोरोना काल में कैसे हम इस हवा के विरुद्ध खड़े होकर भी संभलकर आगे बढ़ जायें. घर हो या बाहर खुद को कोरोना के भय के बोझ से दूर इंसान को स्वंय ही रखना होगा. कोरोना के बारे में चर्चाओं पर लगाम लगानी होगी. कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही तमाम बेतुकी बातों को जानने-पढ़ने और शेयर करने से बचना होगा. कोरोना को आप जिद से नहीं, जिंदादिली और समझदारी से ही हरा सकते हैं."
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