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जैसे ही किसी राज्य की विधानसभा या लोकसभा का चुनाव समीप आता है
जैसे ही किसी राज्य की विधानसभा या लोकसभा का चुनाव समीप आता है, वैसे ही प्री-पोल सर्वेक्षण का तांता लग जाता है। आज तक यही देखा जाता रहा है कि सर्वेक्षण के आंकड़े और वास्तविक परिणाम के आंकड़ों में कोई मेल नहीं होता है। मेल होगा भी कैसे, क्योंकि सर्वेक्षण में मुट्ठी भर लोगों की राय ली जाती है, जबकि हर चुनाव क्षेत्र में लाखों की संख्या में मतदाता होते हैं, यानी कुछ हजार लोगों की राय लाखों लोगों की राय कैसे हो सकती है? कई बार दलों द्वारा प्रायोजित सर्वेक्षण किया जाता है, और दल विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए सर्वेक्षण के आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है, ताकि जनता को अपने पक्ष में किया जा सके। राजनीतिक दल मतदाताओं को गुमराह कर अपने पक्ष में करने के लिए सर्वेक्षण के आंकडों का भरपूर प्रचार करते हैं।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal

Rani Sahu
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