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कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से देश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी
संयम श्रीवास्तव। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से देश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी. महामारी की दो लहरों को झेलने के बाद धीरे-धीरे देश की आर्थिक स्थिति पटरी पर लौट रही है. अगर आप वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के जारी आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि भारत अब एक्सपोर्ट (Export) के जरिए तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था (Economy) को बेहतर बना रहा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नए आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई महीने में देश का वाणिज्यिक वस्तुओं (Commercial Goods) का निर्यात पहले से बढ़कर 35.17 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. यह आंकड़े बीते 9 सालों के रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज हुए हैं.
दरअसल अब दुनियाभर के देश कोरोना की महामारी से उबर रहे हैं. यही वजह है कि विदेशी बाजारों में वस्तुओं की मांग काफी तेजी से बढ़ी है. जाहिर सी बात है जब मांग बढ़ती है तो निर्यातक देश निर्यात भी करते हैं. भारत भी उन्हीं निर्यातक देशों में शामिल है. अगर हम इन आंकड़ों की तुलना साल 2019 के आंकड़ों से करें तो पाएंगे कि इस वर्ष 34 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं अगर पिछले साल के जुलाई के एक्सपोर्ट की तुलना इस साल के जुलाई महीने से करें तो पाएंगे कि 48 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.
9 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा निर्यात
जबसे कोरोनावायरस दुनिया भर में कमजोर हुआ है, तब से पूरी दुनिया के बाजार फिर से खुलने लगे हैं. इसके साथ ही लोगों की डिमांड भी बढ़ने लगी है. यही वजह है कि भारत जैसे देश इस मौके का फायदा उठाकर तेजी से एक्सपोर्ट कर रहे हैं. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के नए जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2021 के महीने में देश ने बीते 9 साल के रिकॉर्ड स्तर पर एक्सपोर्ट किया है. इस बार जुलाई महीने में देश ने 35.17 अरब डॉलर के वाणिज्य वस्तुओं का निर्यात किया है. इस बार जुलाई महीने में गैर पेट्रोलियम वस्तुओं का निर्यात 29.57 अरब डॉलर का था, जो पिछले साल की तुलना में 34.39 फ़ीसदी ज़्यादा था. वहीं अगर इसकी तुलना जुलाई 2019 से करें तो यह 30 फ़ीसदी ज़्यादा है.
मोटर वाहन इंडस्ट्री का ग्रोथ रेट दो अंक में
सोसायटी आफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स 9 जून 2021 की सेल्स रिपोर्ट पेश की है. जिसे देखकर मालूम होता है कि जून 2020 के मुकाबले जून 2021 में भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में खासा बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जून 2020 में भारतीय बाजार में 11,30,744 वाहनों की बिक्री हुई थी. वहीं जून 2021 में देश में 12,96,807 वाहनों की बिक्री हुई. यानि कुल बढ़ोतरी 14.86 फ़ीसदी की दर्ज की गई. इसे ऐसे देखिए कि जून 2021 में पैसेंजर वाहनों की बिक्री 2,31,633 यूनिट हुई. जबकि जून 2020 में 1,05,617 यूनिट पैसेंजर वाहन ही बिके थे. वहीं अगर दो पहिया वाहनों की बात करें तो जून 2021 में 10,55,777 दोपहिया वाहन बिके थे. जबकि जून 2020 में 10,14,827 दोपहिया वाहन ही बिके थे. कार की बात करें तो जून 2021 में 1,21,379 कारों की बिक्री हुई. जबकि जून 2020 में केवल 55,497 कारों की ही बिक्री हुई. इसी तरह से तीन पहिया वाहनों में, यूटिलिटी वाहनों में और वैन्स की बिक्री में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
एफएमसीजी कंपनियों का ग्रोथ रेट मार्च 2019 के पार
2020 के लॉकडाउन के समय जो एफएमसीजी सेक्टर धरातल पर आ गया था, वह अब न सिर्फ पटरी पर लौट रहा है बल्कि 2019 के मुकाबले ज्यादा मुनाफा भी कमा रहा है. एफएमसीजी के क्षेत्र की 2 सबसे बड़ी कंपनियां हिंदुस्तान युनिलीवर और आईटीसी का प्रदर्शन बताता है कि इन कंपनियों के मुनाफे में कितनी तेजी से वृद्धि हुई है. आंकड़े बताते हैं कि एफएमसीजी सेक्टर की कई बड़ी कंपनियां 2021 में इतने मुनाफे में हैं कि वह 2019 की जून तिमाही के अपने राजस्व स्तर को पार करने वाली हैं. मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून की तिमाही के बीच देश की 18 प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों का कुल राजस्व 19 फ़ीसदी बढ़ा है.
बिजली की खपत प्री कोविड लेवल के पार
बिजली मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2021 में बिजली की खपत में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. जहां जुलाई 2020 में बिजली की खपत 112.14 अरब यूनिट थी और 2019 में 116.68 अरब यूनिट थी. वहीं जुलाई 2021 में यह बढ़कर 125.51 अरब यूनिट हो गई. यानि कुल 12 फ़ीसदी की बढ़ोतरी. विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार मानसून देरी से पहुंचा और लॉकडाउन में भी ढील दी गई, जिससे बिजली उपकरणों की बिक्री भी बढ़ी और बिजली की खपत भी. वहीं अगर 1 दिन में सबसे अधिक बिजली आपूर्ति की बात करें तो वह 200.57 गीगावॉट रही. यह आंकड़े 7 जुलाई 2021 को दर्ज किए गए.
पेट्रोल-डीजल की खपत भी कोरोना के पहले स्तर पर
देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बेतहाशा ढंग से बढ़ रही हैं. हालांकि इससे उसके खपत में कोई असर नहीं पड़ा, बल्कि खपत इतनी ज्यादा हुई कि कोरोना काल से पहले के लेवल पर पहुंच गई है. बीते 17 महीनों में पहली बार पेट्रोल-डीजल की खपत प्री कोविड लेवल पर पहुंची है. जुलाई 2021 में पेट्रोल की कुल बिक्री देश में 23.70 लाख टन हुई, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 17 फ़ीसदी अधिक है. वहीं डीजल की बिक्री में भी पिछले साल के मुकाबले लगभग 12.36 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ. हालांकि 2019 के मुकाबले अभी भी डीजल की खपत 10.9 फीसदी कम है. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि अभी भी कई राज्यों में लॉकडाउन लगा है और इसके साथ ऑफिस और कंपनियां भी बंद हैं या फिर उनके कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह से दिन पर दिन डिमांड डीजल पेट्रोल का बढ़ रहा है उससे ये साफ है कि आने वाले समय में यह आंकड़े 2019 के आंकड़ों को भी पार कर जाएंगे.
रसोई गैस सिलेंडर की मांग भी बढ़ी है
देश में डीजल-पेट्रोल की मांग के साथ-साथ रसोई गैस सिलेंडर यानि एलपीजी की मांग भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है. पिछले साल के मुकाबले इसमें लगभग 4.05 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं अगर इसकी तुलना जुलाई 2019 के आंकड़ों से करें तो इसमें 7.55 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
Gulabi
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