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- लम्बी चलेगी निजता...
आदित्य चोपड़ा| हम टैक्नोलॉजी के दौर में जी रहे हैं और टैक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को इस हद तक प्रभावित किया है कि हम मोबाइल फोन तक सिमट कर रह गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हर कोई पत्रकार, सम्पादक बन रहा है तो कोई प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस दौर में संसार सिकुड़ रहा है और हमारी निजता खत्म होती जा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पालिसी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। जब से सरकार ने नया नियामक कानून बनाया है और सभी सोशल मीडिया मंचों को एक तय अवधि में उनका पालन करने को कहा तो सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार देकर इसे मानने से इंकार कर दिया। हालांकि फेसबुक और गूगल ने तो आनाकानी के बावजूद उसे मान लिया गया लेकिन व्हाट्सएप और ट्विटर अभी भी अडियल रुख अपनाए हुए हैं। व्हाट्सएप ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि जब तक डाटा संरक्षण विधेयक प्रभाव में नहीं आता तब तक वह यूजर्स को नई निजता नीति अपनाने के लिए बाध्य नहीं करेगा और उसने अपनी नीति पर अभी रोक लगा दी है। फिलहाल यूजर्स को इससे राहत मिली है लेकिन व्हाट्सएप की निजता नीति अस्तित्व में है और भविष्य में इसे फिर से लाया जा सकता है। कम्पनी का यह भी कहना है कि नई निजता नीति अपनाने वाले यूजर्स के लिए उपयोग के दायरे को सीिमत नहीं किया जा सकता। पहले चिंता यह थी कि नई निजता नीति नहीं मानने वाले यूजर्स को कुछ सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है। पहले सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने अपनी सेवाएं मुफ्त में दीं, जब लोगों ने इनका भरपूर इस्तेमाल किया तो यह प्लेटफार्म व्यापार करने लगे। लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि उन्हें कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। व्हाट्सएप की तरफ से यह भी कहा गया कि डाटा संरक्षण विधेयक आने पर उसे अपनी नीति के अनुसार काम करने दिया जाए वर्ना वे अपनी दुकान बंद करके चले जाएंगे। इसका अर्थ यही है कि निजता की रक्षा की लड़ाई लम्बी चलने वाली है। दिल्ली हाईकोर्ट फेसबुक और उसकी सहायक कम्पनी व्हाट्सएप की अपीलों पर सुनवाई कर रही है, जो व्हाट्सएप की नई निजता नीति के मामले में जांच के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इंकार के एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध दाखिल की गई है।