सम्पादकीय

अमेरिका में 5G का खौफ: वास्तविक डर या एविएशन इंडस्ट्री का हौआ

Gulabi
24 Dec 2021 5:46 AM GMT
अमेरिका में 5G का खौफ: वास्तविक डर या एविएशन इंडस्ट्री का हौआ
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अमेरिका में 5G का खौफ
बिक्रम वोहरा।
विमान पर सवार यात्री कई वर्षों से ये घोषणा सुनते आ रहे हैं कि फ्लाइट के टेक ऑफ और लैंडिंग के समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग वर्जित है, क्योंकि इससे फ्लाइट डेक के उपकरणों की रीडिंग प्रभावित होती है. हालांकि अभी तक केवल दो ऐसे संदिग्ध मामले सामने आए हैं जिनमें किसी लाइव मोबाइल फोन या कंप्यूटर के कारण ऊंचाई मापने में दिक्कत आई हो. वैसे एक बड़ा तबका ऐसे किसी भी खतरे से इनकार करते हुए इन हिदायतों को कोरी बकवास बताता है. फिर हममें से कई यात्री इन चेतावनियों को नज़रअंदाज करते हुए विमान में अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते आए हैं.
लेकिन बहुत जल्द तस्वीरें पूरी तरह बदल सकती हैं, क्योंकि बोइंग और एयरबस ने कॉकपिट फ्लाइट डेक पर 5जी के प्रभाव को बहुत गंभीरता से लिया है. चूंकि 5G सर्विस C बैंड पर ऑपरेट होता है इसलिए ये ऑल्टीमीटर रीडिंग (Altimeter Reading) पर अपना गहरा असर छोड़ सकता है, साथ ही घने बादल और कोहरे के समय न केवल तबाही मचा सकता है बल्कि हवाई अड्डों पर विमानों के आवागमन में देरी की बड़ी वजह बन सकता है. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव कैलहॉन और एयरबस अमेरिका के सीईओ जेफरी निटेल ने मांग की है कि एटीएंडटी (AT&T) और वेरिजोन कम्युनिकेशंस द्वारा 5 जनवरी को होने वाली 5G वायरलेस सर्विस की लॉन्चिंग स्थगित कर दी जाए. एविएशन और 5G की फ्रीक्वेंसी करीब-करीब एक जैसी होने की वजह से ओवरलैप के केस में पायलट को गलत डाटा मिलने का खतरा हो सकता है.
एयरलाइन्स को करीब 2.1 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है
यहां ये याद रखा जाना चाहिए कि इसी महीने अमेरिका के फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने इन्ही आशंकाओं को जाहिर करते हुए उड़ान संबंधी कई निर्देश जारी किए हैं. इस मामले में बहस लगातार जारी है, क्योंकि वायरलेस इंडस्ट्री ने इन आशंकाओं को निराधार बताते हुए दावा किया है कि फ्रिक्वेंसी में दखल के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं.
उधर, ब्लूमबर्ग का एक अनुमान कहता है कि उड़ानों की देरी के कारण एयरलाइन्स को करीब 2.1 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि ऑल्टीमीटर संदिग्ध होने पर कम विजिबिलिटी के समय पायलट भ्रमित होकर विमान उतारने से कतरा सकते हैं. यहां ये बताना जरूरी है कि सीनेट की एक सुनवाई के दौरान साउथवेस्ट एयरलाइंस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गैरी केली ने कहा था, "यदि आप हमसे पूछें कि निकट भविष्य में हमारी सबसे बड़ी चिंता क्या है तो वो 5G है."
ऑटोमैटिक लैंडिंग सिस्टम प्रभावित होगी
जीरो विजिबिलिटी के दौरान पायलट को ऑल्टीमीटर से ही विमान की ऊंचाई का अंदाजा लगता है. लेकिन FAA के उस निर्देश से स्थिति और बिगड़ जाएगी जिसमें विमान चालकों को कहा गया है कि वे ऐसे हालात में कुछ खास हवाई अड्डों पर विमान नहीं उतारें, क्योंकि मुमकिन है कि 5G के हस्तक्षेप से उनकी रीडिंग खराब हो जाए. FAA के मुताबिक, जो हजारों अमेरिकी विमान कम विजिबिलिटी के दौरान ऑटोमैटिक लैंडिंग सिस्टम का सहारा लेते थे अब वे ऐसा नहीं करेंगे, खासकर तब जब वे ऐसी हवाईपट्टी पर उतर रहे हों जहां 5G के हस्तक्षेप या खराब मौसम की वजह से ऑल्टीमीटर की रीडिंग विश्वसनीय नहीं लग रही हो.
ऐसे समय में जब एयरलाइंस कोविड की गंभीर मार के बाद किसी तरह अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है और एक और महामारी का खतरा सिर पर मंडरा रहा है, 5G की चिंता इस संकटग्रस्त सेक्टर के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.
5G की लॉन्चिंग में पहले ही एक महीने की देरी हो चुकी है
वेरिजोन और एटीएंडटी (AT&T) जैसे ऑपरेटर्स जहां 5G से जुड़ी सभी आशंकाओं के निराधार साबित होने की गारंटी ले रहे हैं, वहीं FAA उनके तर्कों को मानने से इनकार कर रहा है. वायरलेस ऑपरेटरों की राय है कि इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के उपयोग पर भी उतनी ही चिंता व्यक्त की गई थी जबकि नकारात्मक प्रभाव दिखाने के लिए कोई निर्णायक सबूत मौजूद नहीं थे. गौरतलब है कि वे पहले ही 5G की लॉन्चिंग में एक महीने की देरी कर चुके हैं और अमेरिकी विमानन उद्योग के रवैये से सबसे ज्यादा परेशान हैं. वहीं, अब यूरोप भी अपनी एयरलाइंस को अतिरिक्त सावधानी बरतने की चेतावनी जारी करने के लिए मजबूर हो गया है.
पायलट और विमान उपकरण के बीच भरोसे की कमी फ्लाइट डेक पर भ्रम पैदा कर सकती है. सबसे पहले इस बात का ठोस सबूत दिया जाना चाहिए कि 5G से किसी तरह का खतरा नहीं है, वरना ये अविश्वास विमानन उद्योग के भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा. 5G तकनीक के बचाव में ये कहा जा सकता है कि लगभग 40 देश पहले से ही इस स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रहे हैं, जहां 5G सिग्नल और एविएशन इक्विपमेंट समान बैंड में काम करते हैं. अमेरिकी एयरलाइंस रोज इन देशों में खराब मौसम के बीच बिना किसी तनाव या खतरे के उड़ान भरती है तो अब इतनी चिंता क्यों की जा रही है.
क्या एविएशन और वायरलेस उद्योग के बीच सहमति बनेगी
लेकिन यह भी एक सच है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के एविएशन सेक्टर में जो होता है वो एक तरह से ग्लोबल बेंचमार्क बन जाता है. हालांकि यूरोप ने अपनी खुद की एक समानांतर सुरक्षा एजेंसी बनाने का प्रयास किया है, लेकिन इस मुद्दे पर यूरोप ने अपने को बचाते हुए उचित सावधानी बरती है. क्या आप ऐसे हालात से गुजरना चाहेंगे जब तूफान में फंसे विमान में आपको ये चिंता सताने लगे कि कहीं किसी 5G सिग्नल ने ऑल्टीमीटर में गड़बड़ी न कर दी हो और प्लेन ठीक उसी ऊंचाई पर न उड़ रहा हो जिसका पायलट अंदाजा लगा रहा हो?
ऐसा सुनने में आया था कि एविएशन और वायरलेस उद्योग के बड़े खिलाडियों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कुछ हद तक मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की थी. लेकिन अब जबकि यूएसए में 5G के प्रभावी होने में मात्र दो हफ़्तों का समय बचा है, विमानन और वायरलेस उद्योग के बड़े खिलाड़ियों के बीच किसी सहमति के आसार बहुत कम नजर आ रहे हैं.
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